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अलग-अलग धर्म, जाति और संप्रदाय के होते हुए भी देश के सभी लोगों का ध्येय अहिंसा मार्ग होना चाहिए- मोहन भागवत

रतनगढ में आरएसएस सर संघचालक मोहन भागवत ने आचार्य महाश्रमण से भेंट की

रतनगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि देश में अलग-अलग धर्म, जाति और संप्रदाय के सभी लोगों का मुख्य ध्येय अहिंसा मार्ग होना चाहिए। वे रविवार को रतनगढ़ में आचार्य महाश्रमण के साथ एक मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे। जिले के दो दिवसीय प्रवास पर आए भागवत करीब दो घंटे रतनगढ़ में रहे। इस दौरान उन्होंने आचार्य महाश्रमण के साथ गोलछा ज्ञान मंदिर में हुए कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि वे संत महात्माओं के बीच जाते रहते हैं, ताकि वे रिचार्ज होते रहे। वे उनसे बातें ग्रहण करके अपने कार्यकर्ताओं के बीच भी उक्त संदेश को भेजते हैं, ताकि आरएसएस के कार्यकर्ता भी लाभान्वित हो सके। भागवत ने कहा कि आत्मीयता में अपनापन होता है, इसमें दुर्भावना नहीं होती। हमारा ये प्रयास होना चाहिए कि सबके प्रति सद्भाव रखें। उन्होंने आचार्य महाश्रमण के संबोधन से लोगों को प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
तेरापंथ संघ और आरएसएस का अनुशासन एक जैसा
मोहन भागवत ने कहा- तेरापंथ संघ और आरएसएस का अनुशासन एक जैसा है। आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुशासन में एकरूपता है। जैसे आरएसएस के स्वयंसेवक अनुशासन में रहते हुए देश में काम करते हैं, वैसे ही तेरापंथ धर्मसंघ से जुड़े लोगों का अनुशासन भी अपने आप में मिसाल है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि तेरापंथ संघ व आरएसएस के लोगों में एक जैसा अनुशासन है। आचार्य महाश्रमण की कही गई बात का विश्लेषण करते हुए भागवत ने कहा कि सुख जो है, वह बाहरी जीवन में नहीं है। सुख हमारे भीतर ही है। हमें सुख के लिए बाहरी दुनिया के पीछे भागदौड़ नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसे अंदर ही खोजना चाहिए, जिससे कभी समाप्त नहीं होने वाले शाश्वत सुख की प्राप्ति होती है। भागवत ने कहा कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। इस मौके पर डॉ. सरिता शर्मा के निर्देशन में डॉ. रश्मि बैद ने आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशवराम हेडगवार पर रचित अपनी शोध पुस्तक को भी आचार्यश्री महाश्रमण के चरणों में भेंट करते हुए डॉ. भागवत को सुपुर्द की। उद्बोधन के बाद भागवत ने आचार्य महाश्रमण से करीब 40 मिनट विभिन्न मुद्दों पर एकांत में वार्तालाप किया। इसके बाद वे चूरू के लिए रवाना हो गए।
पहली बार रतनगढ़ आए मोहन भागवत
रतनगढ़ में कार्यक्रम के बाद भागवत चूरू पहुंचें। यहां उन्होंने कार्यकर्ता के यहां गांव जोड़ी में भोजन किया तथा शाम को चूरू से झुंझुनूं के लिए रवाना हो गए। इससे पहले भागवत ने रात्रि विश्राम चूरू के आदर्श विद्या मंदिर में किया। सर संघचालक मोहन भागवत पहली बार रविवार को रतनगढ़ आए। कड़ी सुरक्षा के बीच भागवत चूरू मार्ग से रतनगढ़ पहुंचे तथा आचार्य महाश्रमण के कार्यक्रम में शिरकत की। हालांकि इस दौरान काफी लोग भागवत से मिलने के इच्छुक थे, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें अनुमति नहीं दी गई। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व आरएसएस के सर संघचालक माधवराव सदा शिवराव गोलवलकर (गुरुजी) रतनगढ़ आए थे। आरएसएस से जुड़े एडवोकेट बजरंग गुर्जर ने बताया कि 1969 में गुरुजी संघ के कार्यक्रम में शामिल होने रतनगढ़ आए थे और उसके बाद आरएसएस के ये दूसरे सर संघचालक हैं, जो रतनगढ़ आए हैं।

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