(सवीर्य, शक्ति, भाग्य और पुरुषार्थ को किया व्याख्यायित)
छापर (चूरू)। आचार्य श्री महिश्रमण ने कहा है, भगवती सूत्र में एक प्रश्न किया गया है कि दो आदमी जो अवस्था में समान और उनके पास युद्ध की सामग्री भी समान होती है। वे जब आपस में एक युद्ध करते हैं, तो एक जीत जाता है और दूसरा हार जाता है, ऐसा क्यों? इसका उत्तर दिया गया कि सवीर्य जीतता है और अवीर्य हारता है। जो शक्तिशाली होता है वह जीत का वरण करता है और कमजोर हार जाता है। इसमें कर्म का संबंध है। जिसके बाह्य कर्म उपशांत होते हैं उसकी विजय होती है। शरीर, उम्र और साधन सामग्री में समानता होने के बाद भी जिसके भीतर शक्ति होती है, विजयश्री उसकी होती है। आदमी का सत्व और उसकी शक्ति है तो साधन सामग्री कम होते हुए भी विजय प्राप्त हो सकता है।
अपनी शक्ति का विकास करने का प्रयास करें

उन्होंने बताया कि आदमी की आंतरिक शक्ति कितनी और उपलब्ध साधन सामग्री के उपयोग की कला किसमें अच्छी है, जय-पराजय का निर्धारण उससे भी होता है। बन्दूक हाथ में हो और चलानि नहीं आए तो भला वह किस काम का। जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है। शक्तिशाली होना एक तरह का वरदान है और कमजोर होना मानों एक तरह का अभिशाप है। हाथी का स्थूल शरीर कितना विशाल होता है, किन्तु एक छोटा-सा अंकुश उसे नियंत्रित करता है। अंधकार कितना घना होता है, किन्तु एक छोटे से दीपक के जलते ही अंधकार दूर हो जाता है। एक छोटा वज्र बड़े पहाड़ को भी चकनाचूर कर देता है। इसलिए, आदमी को अपनी शक्ति का विकास करने का प्रयास करना चाहिए।
शक्ति की जागरणा और उसके विकास का प्रयास करने तथा उसका सही सदुपयोग करने की चेतना का विकास हो तो आदमी सफलता को प्राप्त कर सकता है। जीवन में भाग्य का महत्त्व है तो पुरुषार्थ का भी बहुत महत्त्व है। पुरुषार्थी व्यक्ति का लक्ष्मी वरण करती हैं। भाग्य भरोसे बैठ जाने वाला पुरुष कापुरुष होता है। आदमी को पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। कई बार पुरुषार्थ के बाद भी सफलता नहीं मिलती तो आदमी को असफलता से निराश नहीं होना चाहिए। आदमी को असफलता से अच्छी सीख ग्रहण कर और आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने भगवती सूत्र के आधार पर लोगों को उत्प्रेरित करते हुए कहा कि आदमी के भीतर शक्ति का विकास हो और आदमी विवेकपूर्वक सही दिशा में अपनी शक्ति का नियोजन करे, सम्यक् पुरुषार्थ करे, तो सफलता प्राप्त हो सकती है।
जिला प्रमुख भागीरथ चौधरी ने किए दर्शन
आचार्यश्री ने नित्य की भांति कालूयशोविलास के माध्यम से आचार्य कालूगणी के आचार्यकाल के अनेक प्रसंगों का सरसशैली में वर्णन किया। नागौर जिलाप्रमुख भागीरथ चौधरी ने आचार्यश्री के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। सरदारशहर के आठ वर्षीय बालक लक्षित बरड़िया ने आचार्यश्री से अठाई की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम में समणी कुसुमप्रज्ञा ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से आशीष प्राप्त की। इस दौरान उपस्थित प्रेक्षाध्यान के शिविरार्थियों को भी आचार्यश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया।