आत्मविश्वास, साहस और तनावमुक्त होकर बोलना होता है प्रभावी- संदीप सुनेजा
लाडनूं में व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम में पांचवें दिन प्रभावी वक्तृत्व कला पर व्याख्यान
लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की प्रेरणा एवं प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी के निर्देशन में चल रहे सात दिवसीय व्यक्तित्व विकास व्याख्यान माला के पंचम दिवस मुख्य वक्ता जूनियर चैम्बर आफ इंटरनेशनल (जेसीआई) इंडिया के नेशनल ट्रेनर संदीप सुनेजा ने सार्वजनिक प्रभावी वक्तृत्व की कला पर बोलते हुए कहा कि जीवन में सीखने का महत्व होता है और व्यक्ति अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में सीखता ही चलता है, इसलिए यह कहना भी उपयुक्त ही होगा कि ‘सीखना बंद तो जीना बंद’। व्यक्ति को बिना किसी हिचकिचाहट के सबके सामने और विशेषकर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को मंच पर चढ कर सम्बोधित करने में पारंगत होने के लिए कुछ विशेष बिन्दुओं को अंगीकार करने की जरूरत होती है। आमतौर पर देखा गया है कि व्यक्ति जब बोलने के लिए खड़ा होता है तो उसका मस्तिष्क शून्य सा हो जाता है। जिन बातों को उसने सीख रखा है या सोच रखा है, वे सारी दिमाग से खाली हो जाती है। जब व्यक्ति किसी एक ही पंक्ति या वाक्य को दोहराने लगे तो समझो कि उसके दिमाग से सब खाली हो चुका है। मंच से उतरते ही उसे सारी बातें वापस याद आने लगती है। यह स्टेज फीवर की स्थिति होती है। यह स्थिति नहीं आनी चाहिए। व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस होना जरूरी है। डिप्रेशन, और मानसिक तनाव से मुक्त होकर अगर वक्तव्य दिया जाए, तो उसमें समस्या नहीं आती है। इस अवसर पर सनुजा ने तीन छात्राओं को उनके स्पीच देने की शैली, शब्दों और साहस के लिए पुरस्कृत भी किया गया। उन्होंने भावना, मल्लिका व स्मृति कुमारी को ईपीएस किट प्रदान करने की घोषणा की। कार्यक्रम में प्रारम्भ में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने मुख्य वक्ता का परिचय व स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। अंत में डा. प्रगति भटनागर ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रगति चैरड़िया ने किया। इस अवसर पर रितु चैहान, अजयकुमार चैहान, वीणा जोशी, सीमा वर्मा, विकास चैहान, अशोक सैनी, मनीषा जैन, भारती, सुमित्रा सैन आदि उपस्थित रहे।