गायों की सेवा का परोपकार करने के लिए किया प्रेरित
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर )। मनुष्य का जीवन सत्संग से ही सुधरता है, सत्संग का मतलब ही सत्य का संग व असत्य का त्याग होता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बार-बार नहीं मिलता है, इसका सदुपयोग करके अपने कर्मों को सुधारें। ये विचार नोखा चांदावता रामद्वारा के संत श्रवणदास महाराज ने गांव रूण के लूणायच फार्म हाउस पर शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहे, उन्होंने कहा कि आप ईश्वर को किसी भी नाम से पुकारें, किसी भी रूप में श्रद्धा से याद करें, वह श्रद्धा ईश्वर में ही समझी जाती है, क्योंकि सब नाम व रूप ईश्वर के ही हैं। जो धर्मप्रिय हों, जिस ऋषि, मुनि, महात्मा, पीर-पैगंबर, महापुरुष या वीरों पर आपका विश्वास हो, उसी पर श्रद्धा करके अपनी ईश्वर तक बात पहुंचा सकते हैं। इस मौके पर संत तुकाराम महाराज ने कहा कि जिस तरह से मुकदमा लड़ने के लिए वकील की जरूरत होती है तथा बिजली के लिए ट्रांसफार्मर की जरूरत होती है, उसी प्रकार ईश्वर तक बात पहुंचाने के लिए महापुरुषों की जरूरत रहती है, सेतु रूपी महापुरुषो से श्रद्धा व विश्वास से अपनी बात ईश्वर तक पहुंचाएं, जो मनुष्य महापुरुषों की बातें नहीं मानता, यकीनन वह भटका हुआ है। ऐसे मनुष्य ही नास्तिक की श्रेणी में आते हैं। इन दोनों संतो ने इस अवसर पर संगीतमय भजनों की प्रस्तुतियां दी।
उन्होंने अपने प्रवचन में गायों की बीमारी से इन दिनों हो रही दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की और सभी ग्रामीणों से अनुरोध किया कि अपनी श्रद्धा के अनुसार गायों की रक्षा करें। इस परोपकार कार्य की पहल करें। जिस तरह तेजाजी महाराज ने गायों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे, उसी तरह हमें गौ माता की रक्षा करनी चाहिए। इस मौके पर गायों की दशा को देखते हुए पंडित रामकुंवार शर्मा द्वारा राम नाम का जप किया गया। इस मौके पर हरसुखराम, हरकाराम, नेनाराम पांचाराम, भंवरूराम लुणायच, जंवरूराम जांगिड़, श्रवणराम, भंवरूराम डूकिया आदि उपस्थित रहे।
