12 अगस्त शुक्रवार को मनाना श्रेष्ठ रहेगा रक्षाबंधन का त्यौहार
इस वर्ष रक्षाबंधन का त्यौहार 12 अगस्त शुक्रवार को मनाना श्रेष्ठ रहेगा। इसका कारण है कि 11 अगस्त गुरुवार को चतुर्दशी तिथि प्रातः 10.13 बजे तक के तत्पश्चात 10.13 बजे से भद्रा लग रही है और पूर्णिमा तिथि का भी आगमन हो रहा है, तो भद्रा के अंदर में ना ही तो कोई मांगलिक कार्यक्रम होते हैं और ना ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा सकता है। भद्रा 11 अगस्त गुरुवार को रात्रि 8.25 तक है। भद्रा के अंदर सूण जिमाने का कार्य नहीं हो सकता और रक्षाबंधन का कार्यक्रम नहीं हो सकता है, इसलिए दूसरे दिन 12 अगस्त शुक्रवार को ही रक्षाबंधन का त्योंहार मनाना श्रेष्ठ रहेगा।
शास्त्रानुसार 12 अगस्त ही मान्य
यदि कोई व्यक्ति रक्षाबंधन या सूण जिमाने का काम रात्रिकाल को करता है, तो कर सकता है। लेकिन यह कार्य रात 8.25 बजे के पश्चात उदया तिथि पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 7.30 बजे तक ही होगा। 12 अगस्त शुक्रवार को 7.30 बजे से रक्षाबंधन का पुनीत कार्य चलता रहेगा। उदया तिथि को मानने वाला वैदिक ब्राह्मण अपनी शाखा की परंपरा के अनुसार श्रावणी उपक्रम 12 अगस्त शुक्रवार को ही मनाया जाएगा एवं शास्त्रों में यही कहा गया है कि जो उदया तिथि है देवकार्य केंद्र में, मांगलिक-कार्य केंद्र में, पूरे दिन वही माननीय होती है। इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार एवं श्रावणी कर्म आप लोग 12 अगस्त शुक्रवार को ही मनाएं।
भारतीय कालगणना को ही सही मानें
भारतीय संस्कृति में जितने भी व्रत त्योंहार हुए, सभी कालगणना तिथि एवं पंचांग के अनुसार ही चलते हैं। तो उन्हीं के अनुसार पूर्ण विश्वास भी करना चाहिए और उन्हीं को माना जाना चाहिए। आजकल संस्कृति को नुकसान पहुंचाने के लिए, उसे छिन्न-भिन्न करने के लिए कई लोग हर त्योंहार पर अपवाद के रूप में सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ना कुछ अपने तर्क देते रहते हैं, तो उन पर विश्वास न करें। पंचांग की बात को ही सर्वश्रेष्ठ मानना चाहिए।