गोगा नवमी पर विशेष-
हर साल भादवा में मनाया जाता है गोगा देव श्री जाहरवीर का जन्मोत्सव
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। राजस्थान में विशेष रूप से मनाए जाने वाले पर्वों में गोगा नवमी का त्यौहार प्रमुख हैं। वैसे इस पर्व को राज्य के प्रसिद्ध लोकपर्व का दर्जा प्राप्त है। इसे लोकभाषा में ‘गुग्गा नवमी’ भी कहते हैं। इस वर्ष यह गोगा नवमी पर्व 20 अगस्त शनिवार को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी को आया हैं इस दिन गोगा देव श्री जाहरवीर का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से साल भर तक सर्प दंश से रक्षा होती है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है, जो 9 दिनों तक चलती रहती है। फिर नवमी तिथि को गोगा देव की मुख्य पूजा की जाती है।
घोड़ों के साथ हाती है वीरपूजा
घरों में महिलाओं द्वारा वीर गोगाजी महाराज की मिट्टी की बनी प्रतिमा लेकर पूजा की जाती है। पहले कुम्हार जाति के लोग इन गोगाजी के घोड़ों को बनाकर लाते थे। बिना पकाए कच्ची मिट्टी से बने इन घोड़ों की प्रतिमाओं की पूजा रोली व चावल से तिलक लगाकर बने हुए प्रसाद का भोग लगा कर महिलाएं करती है। कई स्थानों पर तो गोगा देव की घोड़े पर चढ़ी हुई वीर प्रतिमा का पूजन किया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बंधी राखियों को गोगा जी पर बांध कर उनसे रक्षा की मन्नत मांगी जाती है। गोगाजी के घोड़े के आगे पानी में गली हुई दाल भी रखी जाती है। विभिन्न गोगा मेड़ियां, जो गोगाजी के मंदिर स्थल होते हैं, उनमें विशेष आयोजन होते हैं। गोगाजी के पंडे अपने अनेक करतब दिखाते हैं।
प्रजापति समाज ने किया पूजन, भजन संध्या आयोजित
मूंडवा में प्रजापति समाज द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष गोगाजी के मंदिर में विशाल भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के सभी व्यक्तियों का सहयोग रहा। भजन संध्या में गायक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों दी। इस दौरान मांगीलाल प्रजापत, मानकराम प्रजापत, सत्यनारायण, नारायण प्रजापत, जगदीश प्रजापत, प्रेम प्रजापत, श्रवणराम, गणपतराम प्रजापत, रामप्रसाद, मनोहर प्रजापत, अर्जुन आदि उपस्थित रहे।