विंमल विद्या विहार स्कूल के विद्यार्थियों के समूह ने किया छापर भ्रमण
लाडनूं। आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा है कि अपने कर्मो का भोग तो हमे हर हाल में भोगना ही पड़ता है। अच्छे कर्म किए है, तो अच्छे फल मिलेंगे। बुरे कर्मो का फल भी हमे जरूर मिलेगा। जीवन में इसलिए आदमी को त्याग, तपस्यायुक्त जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में जितना त्याग बढ़ेगा, साधना होगी, आगे की गति अच्छी हो सकती है। त्याग, तपस्या, पूजा, आराधना और व्रत से जीवन को नई दिशा दी जा सकती है। वे छापर में नियमित प्रवचन में बोल रहे थे। उनके समक्ष पहुँच कर स्थानीय विंमल विद्या विहार स्कूल के विद्यार्थियों के समूह ने छापर भ्रमण करके तेरापंथ जैन धर्म संघ के आचार्यश्री महाश्रमण के प्रवचन सुने। आचार्य श्री के दर्शनों से अपने आप को लाभान्वित किया।
प्राचार्या रचना बालानी ने बताया कि स्कूल की छात्राओं में कीर्ति मुनि श्री के दर्शन किये और उनको अपने समक्ष देखकर उनमे खुशी की लहर दौड़ गई। बालानी ने बताया कि कीर्ति मुनि श्री ने बच्चो को समझाया कि शिक्षा जीवन की वट वृक्ष जैसी होती है, उससे जीवन में खुशी आती है, जीवन का गुलशन गुलजार हो जाता है। वन में प्रकाश का दीप प्रज्जवलित होता है। शिक्षा को कोई चुरा नहीं सकता। बड़े विद्यार्थियों को अपने छोटे भाई बहिनों को भी अच्छी शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। कीर्ति मुनि श्री द्वारा विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व पर उपदेश सुनकर सब सोचने पर विवश हो गए। विद्यार्थियों ने भी अनुशासन के इस उपदेश को जीवन में उतारने का वचन दिया। छात्राओं ने मुनि श्री से भी प्रश्नोत्तर किए। मुनि श्री भी विद्यार्थियों की उत्सुकता और जिज्ञासा को देखकर बहुत खुश हुए। विधार्थियो के प्रश्नों के उत्तर बहुत ही सहज और सरल भाषा में दिए।
प्राचार्या रचना बालानी ने इस वर्ष विद्यालय के कक्षा 10 और कक्षा 12वी के बोर्ड परीक्षा के परिणाम के बारे में जानकारी दी। आचार्य श्री के दर्शनार्थ गए हुए दल का नेतृत्व माया वर्मा और श्याम सुंदर शर्मा ने किया।