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धर्म की हानि, राक्षसों का वध और सज्जनों के कल्याण के लिए लेते हैं ईश्वर अवतार- संतश्री धीरजराम

श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव प्रंसग सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु


लाडनूं। स्थानीय रामद्वारा सत्संग भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन संतश्री धीरजराम महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की लीला का मनोहारी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित से शुकदेव कहते हैं कि संसार का कल्याण करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। जब-जब धर्म की हानि होती है, तब सज्जनों का कल्याण और राक्षसों का वध करने के लिए भगवान अवतार लेते हैं। संतश्री ने संगीतमयी चौपाइयों ‘जब-जब होई धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा’ आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
कृष्ण ने जन्म लिया तो सारे बंधन टूट गए
संत ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। उन्होंने कहा कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रद्धालुगण झूमने लगे। इस अवसर पर यजमान के रूप में साहित्यकार डॉ. वीरेंद्र भाटी मंगल, अनिल भोजक, राहुल गुर्जर आदि रहे।

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