180 किमी प्रति घंटा की स्पीड से उड़ने का दावा, लगाया वैगनआर कार का इंजन
चूरू। जिले के पडिहारा कस्बे की हवाई पट्टी पर अब एक ग्रामीण द्वारा बनाया गया एयरक्राफ्ट उड़ान भरेगा। यह उड़ान नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अनुमति के बाद ही भरी जा सकेगी। चूरू के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग के अनुसार ग्राम दस्सूसर के रहने वाले बजरंग उर्फ बृजमोहन द्वारा बनाए गए इस एयरक्राफ्ट को उड़ाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से अनुमति प्रदान की जाएगी। इसके लिए पांचवीं पास बजरंग के लिए नागरिक उड्डयन विभाग को अनुशंषा भेज दी जाएगी। इससे पूर्व कलेक्टर सिहाग ने बजरंग को मिलने और अपना प्राजेक्ट समझाने के लिए बुलाया है।
वैगनआर का लगाया इंजन, 180 किमी की होगी रफ्तार
गौरतलब है कि जिले के राजलदेसर कस्बे के पास स्थित छोटे से गांव दस्सूसर के मोबाइल और कंप्यूटर रिपेयर की दुकान करने वाले बजरंग ने इस एयरक्राफ्ट को बनाया है। अपनी दुकान से होने वाली कमाई को इस एयरक्राफ्ट को बनाने में लगाते हुए उसने 8 साल की मेहनत के बाद यह टू-सीटर एयरक्राफ्ट तैयार किया है। करीब 15 लाख रुपयों के खर्च के बाद इस एयरक्राफ्ट को तैयार कर पाया है। बजरंग ने बताया कि इस एयरक्राफ्ट में वैगनआर कार का इंजन लगाया है। इसमें फ्यूल टैंक 45 लीटर का है, जिससे 150 किलोमीटर तक उड़ान भरी जा सकती है। इस एयरक्राफ्ट के बारे में बजरंग का कहना है कि यह प्लेन 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकेगा। हालांकि इस एयरक्राफ्ट का उड़ना अभी बाकी है। लेकिन बजरंग को अपने हुनर पर पूरा भरोसा है। उसका कहना है कि सरकार आर्थिक मदद करे और एयरक्राफ्ट को उड़ाने की परमिशन दे।
पहले ड्रोन भी बनाकर उड़ाया
मोबाइल व कम्प्यूटर रिपेयरिंग का काम करने वाले बजरंग ने एयरक्राफ्ट बनाने से पहले एक ड्रोन बनाया था, जिसमें कम्प्यूटर हार्ड डिस्क में लगने वाली मोटर लगाई। यह ड्रोन तीन दिन तक नहीं उड़ा। बाद में उसका रिमोट तैयार किया और चैथे दिन उसको ड्रोन आसमान में उड़ा दिया। अब तो बजरंग ने गांव में ही एयरक्राफ्ट बनाकर सबको चैंका दिया। उसे एयरोप्लेन देखने का शौक था। जयपुर के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी गार्ड ने उसको टेक ऑफ करता प्लेन नहीं देखने दिया। इसके बाद उसने प्लेन बनाने की ठान ली और कड़ी मेहनत और भारी खर्च करके उसने अपना खुद का एयरक्राफ्ट बना डाला। उसके बचपन के अध्यापक दानाराम ने बताया कि बजरंग पढ़ाई में साधारण था और मात्र पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। बजरंग का स्कूल के रिकाॅर्ड में बृजमोहन नाम अंकित है। बजरंग के पिता ताराचंद कलवानिया खेती व मिस्त्री का काम करते हैं। तीन भाइयों में वह सबसे छोटा है। उसके दोनों बड़े भाई रामेश्वर व मदन खेती-बाड़ी करते हैं।
