भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, तो श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम थे- त्यागी संत हेतमराम महाराज
मूण्डवा (रिपोर्टर लाडमोहम्मद खोखर)। मारवाड़ मूंडवा में चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठ दिवस कथा प्रवक्ता श्री करुणामूर्ति धाम भादवासी (नागौर) के मुख्य अधिष्ठाता त्यागी संत हेतमराम महाराज ने श्रीकृष्ण की गोपाल लीला का वर्णन करते हुए कहा कि गौ दान से धन की शुद्धि होती है और गौ-सेवा से मन की शुद्धि होती है। श्रीकृष्ण कथा और गौ सेवा कल्पतरु के समान है, जिससे मनवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए परमात्मा में अटूट श्रद्धा होनी चाहिए। जिस गाय को हम रोटी देते हैं, वो गाय सुबह-शाम हमारे घर आती है, और जिन परमात्मा ने हम को रोटी, कपड़ा, धन वैभव सब कुछ दिया, उस परमात्मा के घर जाना हम जरूरी नहीं समझते हैं। फिर तो हमसे गाय व कुत्ता अच्छा है। हम झूठी घोषणा की आस्था रखते हैं, जबकि श्री कृष्ण कथा में आस्था व विश्वास नहीं, तो कैसे कल्याण होगा।
श्रीकृष्ण में समाहित है सृष्टि का समस्त आकर्षण
त्यागी संत ने श्री गोवर्धन लीला के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि केवल संसार की नजरों में ही अच्छे मत रहो, बल्कि परमात्मा की नजरों से भी अच्छे भने रहो। त्यागी संत ने कहा कि श्रीकृष्ण में सृष्टि का समस्त आकर्षण समाहित है। आत्मा के स्वामी परमात्मा श्रीकृष्ण ही है। भक्त सभी गोपी स्वरूप हैं।भगवान श्री कृष्ण ने मात्र सात वर्ष की आयु में महारास लीला गोपियों के संग में निधिवन में रचाकर उन्हें आत्मा और परमात्मा का ब्रह्म ज्ञान देकर मुक्ति प्रदान की थी। आत्मा और परमात्मा का मिलन ही महारास है, जो जीव परमात्मा की भक्ति में अपने जीवन को समर्पित कर देता है, उसे समस्त कर्म बंधनों से मुक्त कर परमात्मा अपने ब्रह्म भाव समाहित कर मोक्ष प्रदान करते हैं।
त्यागी संत ने अक्रूर जी की ब्रजयात्रा प्रसंग में कहा कि जब जीव भगवान की तरफ अग्रसर होता है, तो मोह माया के बंधन से मुक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे, तो श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम थे। श्री राम ने वनवास में रहकर उत्तर से दक्षिण तक पूरे देश को जोड़ा, तो श्री कृष्ण ने भागवत गीता में संसार के सार को समझाया। उन्होंने कहा कि जिस घर में तुलसी है, वह घर स्वर्ग बन जाता है। संत ने कहा उद्धव चरित्र प्रसंग पर भी प्रकाश डाला।
भजनों फर झूमे सब, झांकियों ने मोहा
इस अवसर पर प्रस्तुत ‘मैं तो गोवर्धन को जाऊं मेरे वीर, नहीं माने मेरो मनवा’, ‘आओ आओ गोवर्धन बाबा आओ, छप्पन भोग तैयार जी, सब बृजवासी करें मनवार जी’ भजनों पर भक्तगण झूमने लगे। इस मौके पर गिरिराज पर्वत की झांकी सजाई गई एवं अन्नकूट एवं छप्पन भोग लगा कर श्रद्घालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।