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राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के नाम से तीन लाख रुपये की ठगी की कोशिश, मामला दर्ज

सीएम अशोक गहलोत के नाम से तीन लाख की ठगी की कोशिश, ठग ने मोबाइल नंबर 96017 89128 से एक वाट्सअप अकाउंट बना उस पर सीएम की फोटो लगाई

अशोक गहलोत के फोटो लगे इस नंबर से RAS अधिकारी को वाट्सएप काल कर मांगे तीन लाख
जयपुर। सीएम अशोक गहलोत के नाम पर ठगी करने के प्रयास का मामला सामने आया है। साइबर ठग ने वाट्सअप पर सीएम की फोटो लगाकर ठगी करने की कोशिश की। ठग ने शासन सचिवालय के डीएस प्रोटोकॉल उप सचिव नरेश विजय से तीन लाख के अमेजन गिफ्ट कार्ड मांगे। नरेश ने मामले की जानकारी सीएमओ के अधिकारियों को दी।
इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की तरफ से शहर के अशोक नगर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। जिसके अनुसार ठग ने मोबाइल नंबर 9601789128 से एक वाट्सअप अकाउंट बनाया गया। इस पर सीएम की फोटो लगाई। इस नंबर से विजय के पास संदेश भेजा और पूछा कि क्या आप अमेजन गिफ्ट कार्ड के बारे में जानते हैं? मैं एक जरूरी बैठक में हूं, पैसों की जरूरत है। आप दस-दस हजार रुपये के 30 अमेजन गिफ्ट कार्ड मुझे भेजें। साइबर ठग ने कुल तीन लाख रुपये की मांग की थी।
बाड़मेर के प्रशासनिक अधिकारी के साथ भी यही हुआ 
इसी प्रकार अशोक गहलोत के फोटो लगे नंबर से बाड़मेर के प्रशासनिक अधिकारी को वाट्सएप काल कर उससे खुद के मीटिंग में होने के कारण अमेजन के गिफ्ट वाउचर खरीदने की डिमांड की गई। हालांकि बाड़मेर के जिला परिषद के अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई सजगता से ठगी से बच गए।
जानकारी के मुताबिक जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो और नाम लिखे हुए नंबर से व्हाट्सएप पर मैसेज आया कि वह मीटिंग में हैं और उसे अर्जेंट अमेजन पे ई-गिफ्ट कार्ड से कुछ सामान खरीदना है तो पैसों की जरूरत है, ऐसे में मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने सजगता दिखाते हुए उसे कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद लगातार फोन कॉल व व्हाट्सएप पर मेसेज कर पैसों की डिमांड की जा रही थी. उन्हें लगातार मैसेज कर अमेजन पे ई-गिफ्ट कार्ड से 30 कार्ड खरीदने की डिमांड रखी गई, जो एक कार्ड 10 हजार रुपये का था. ऐसे में मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सजगता से 3 लाख रुपये की ठगी से बच गए है.
सीएम की फोटो लगे नंबर से आया कॉल
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई के मुताबिक उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री का फोटो और नाम लिखे नम्बरों से मैसेज और WhatsApp कॉल आए कि अमेजन पे ई गिफ्ट कार्ड से उन्हें 30 कार्ड खरीदने हैं. वह खुद मीटिंग में है. हर कार्ड 10 हजार रुपये का था. ऐसे में करीब 3 लाख रुपये की डिमांड की गई थी. उन्हें विश्वास था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसा मैसेज नहीं भेज सकते हैं. इसके बाद पैसे नहीं दिए तो लगातार मेसेज और फोन कॉल आने लगे. मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई की सजगता से खुद को लाखों की ठगी से बचा लिया है. उन्होंने आमजन से अपील की है कि ऐसे कोई भी परिचित या अनजान नम्बरों से मेसेज या फोन कॉल आए तो उसे पैसे नहीं दें.

मंत्री सालेह मोहम्मद के नाम का भी उपयोग करके मांगी रकम

इस बीच, गहलोत सरकार में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद ने बृहस्पतिवार को ट्वीट कर कहा कि उनके नाम से कोई व्यक्ति इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों से पैसे मांग रहा है। पैसे मांगने वाला व्यक्ति मोबाइल नंबर 7987793382 का उपयोग कर रहा है। यह मेरा नंबर नहीं है। किसी के झांसे में नहीं आएं। गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को वाट्सअप पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक दिनेश एमएन का फोटो लगाकर कुछ लोगों से पैसे मांगे गए थे। राज्य की साइबर पुलिस ठगी करने वाले गिरोह को तलाशने में जुटी है।

विधायक सुरेश मोदी से भी ठगे ढाई लाख रुपये

गौरतलब है कि इससे पहले राजस्थान के कांग्रेस विधायक सुरेश मोदी को एक साइबर ठग ने वाट्सअप काल कर खुद को जापानी कंपनी का महाप्रबंधक बताया था। कंपनी का काम दिलवाने के का झांसा देकर सुरेश मोदी के पुत्र व भांजे से ढाई लाख रुपये की रकम ठग ली। इस संबंध में सुरेश मोदी के भांजे रवि कुमार ने जयपुर के सांगानेर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया है। पुलिस के अनुसार, पिछले दिनों विक्रांत कौशिक नाम के एक व्यक्ति ने खुद को सरेश मोदी को वाट्सअप काल किया और उनके निर्वाचन क्षेत्र नीमका थाना का निवासी होना बताया।

एडीजी दिनेश ने नाम से भी ठगी का प्रयास

इससे पहले बुधवार को व्हाट्सएप पर एसीबी एडीजी दिनेश एमएन का फोटो लगाकर ठगी करने का प्रयास किया गया था। व्हाट्सएप पर फेक प्रोफाइल बनाकर ठग ने विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से रुपये और गिफ्ट वाउचर की मांग की थी। साइबर ठगों ने 8839060836 नंबर से व्हाट्सएप पर फेक प्रोफाइल बनाई और उस पर एडीजी दिनेश एमएन का फोटो लगाया। इसके बाद विभाग के अधिकारी और कर्मचारी को व्हाट्सएप पर मैसेज कर रुपये और अमेजन गिफ्ट वाउचर की मांग की। ठगों ने मैसेज में कहा कि वह एक मीटिंग में व्यस्त हैं, जल्द रुपये ट्रांसफर कर दें। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी को जैसे ही ठगों का मैसेज मिला तो एडीजी दिनेश एमएन की फोटो देखकर वह हैरान रह गए। एडीजी का नंबर नहीं होने के कारण उन्होंने इसकी जानकारी एडीजी को दी, जिसके बाद मामला सामने आया।

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