लोडसर में ताल, रास्तों और सरकारी जमीनों पर अवैध खननकर्ताओं का कब्जा, बड़ी गहरी खाइयों से पशुओं की शामत, अंदर गिरे सांड को निकाल बाहर फेंका,
अवैध क्रेशर से फैला प्रदूषण, पूरे क्षेत्र में फैली मिट्टी की धुंध, लोग हो रहे सिलीकोसिस और दूसरी बीमारियों के शिकार
लाडनूं (kalamkala.in)। तहसील के ग्राम लोडसर नागौरियां बास की पहाड़ी क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन के कारण आमजन का जीवन संकटमय बना हुआ है। आएदिन हादसों से रूबरू होते रहने और बाधाओं में जीने की आदत डालने पर यहां के लोग मजबूर हो रहे हैं। लोडसर गांव चूरू व नागौर दोनों जिलों में आता है। इस समूचे ग्राम तंवरा की माइनिंग क्षेत्र की प्रशासन की मंथली बंधी हुई होने की जानकारी मिल रही है, जिससे खननकर्ता अपनी मनमर्जी से काम कर रहे हैं। और ग्रामीण लोगों की दु:ख-तकलीफ को सुनने वाला तक कोई नहीं है।
अवैध खनन से बनी खाइयां और आएदिन पशुओं पर मंडराती है मौत
खननकर्ताओं ने लोडसर गांव में ताल की भूमि पर कब्जा करके उस पर भी धड़ल्ले से अवैध खनन करना शुरू कर रखा है। जिन लोगों ने अपने खेतों की भूमि को खनन में कन्वर्जन कराई है, वो लोग भी गांव की गोचर व सार्वजनिक ताल की जमीन पर आगे बढ़कर अवैध खनन कर रहे हैं। ताल पर भी अवैध कब्जा कर रखा है, जिससे ताल की सैंकड़ों बीघा जमीन का दुरुपयोग खुलेआम हो रहा है और प्रशासन की सरासर अनदेखी बनी हुई है। साथ ही सार्वजनिक भूमि, गोचर भूमि, ताल की भूमि आदि में जगह-जगह रास्ते बना लिए हैं। ग्राम लोडसर के नागौरिया बास के ताल में लीज धारकों द्वारा जगह-जगह ताल की भूमि में रास्ते बना लिए, जो गहरे रास्ते हैं, उनमें बहुत बार आवारा पशु गिर जाते हैं। रविवार को इन लीजधारकों द्वारा बनाए गए रास्ते में सांड गिर गया, जिसे उन्होंने निकाल कर बाहर डाल दिया। उस सांड का इलाज करवाने के लिए उन लोगों ने कुछ भी नहीं किया। पीड़ा की हालत में यह सांड जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। गौरतलब है कि अवैध खनन के चलते 100 से 300 फीट तक गहरी खाईयां और खदानें बन गई और उनमें आवारा पशु गिर रहे हैं और उनमें भी गायें और सांड आदि गिरती रहती हैं। यहां के बहुत से ग्रामीणों की भी गायें, भैंसे, बकरियां आदि बहुत बार गिर जाती है और उनकी कोई सुनवाई तक नहीं होती।
अवैध क्रेशर फैला रहे प्रदूषण, लोग हो रहे बीमार
अवैध खनन ही नहीं यहां अवैध तरीके से बने क्रेशर भी धड़ल्ले से चल रहे हैं, जिनके लिए कोई नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। अगर प्रशासन चाहे तो इन क्रेशरों में से 50 प्रतिशत क्रेशर तत्काल बंद करवाये जा सकते हैं। इन क्रेशर मशीनों से भारी प्रदूषण भी हो रहा है। लोडसर, तंवरा, धां ग्राम सहित सभी गांवों में चौबीसों घंटे मिट्टी के बारीक कणों की धुंध फैली हुई रहती है, लेकिन राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, माइनिंग अधिकारी, उपखंड या जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी समेत कोई भी इसकी खैर-खबर तक नहीं लेते। इस प्रदूषण के कारण केवल ग्राम लोडसर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के करीब 50 प्रतिशत ग्रामीण तक सिलिकोसिस आदि बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में दो-तीन दिन पहले एक खान में पास की सड़क सहित पूरी दीवार गिर गई थी, जिसकी भी प्रशासन ने अभी तक सुध नही ली। बहुत बार लोग खानों में गिर कर मरे भी हैं, क्रेशर में भी घायल हुए हैं, लेकिन ऐसे गरीब लोगों को मात्र 10-20 हजार रुपए देकर इन घटनाओं को दबा देते हैं। इस सब की पूरी जांच होनी चाहिए।
इनका कहना है
लोडसर सहित आसपास के माइनिंग क्षेत्र के अवैध खनन, ब्लास्टिंग, अवैध कब्जा, अवैध रास्ते की समस्या और क्रेशरों की प्रदूषण की समस्या प्रशासन के समक्ष उठाई, लेकिन किसी को परवाह नहीं है और कोई सुध नही ले रहा है।
-हरिश मेहरड़ा एडवोकेट, सामाजिक कार्यकर्ता, लोढ़सर (लाडनूं)।