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विभाजन महज जमीन का बंटवारा मात्र नहीं, बल्कि लाखों लोगों के पलायन की दर्दनाक दास्तान था- सोनी

 

विभाजन महज जमीन का बंटवारा मात्र नहीं, बल्कि लाखों लोगों के पलायन की दर्दनाक दास्तान था- सोनी

‘विभाजन विभीषिका दिवस’ पर व्याख्यान व नाटिका प्रस्तुत

लाडनूं। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में व्याख्यान का आयोजन किया गया। इतिहास के सहायक आचार्य प्रेयस सोनी ने ‘विभाजन: एक त्रासदी’ विषय पर व्याख्यान दिया। सोनी ने भारत-पाक विभाजन के दौर की परिस्थितयों का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए कहा कि विभाजन का मतलब महज जमीन के किसी भाग का बंटवारा मात्र नहीं था, बल्कि यह लाखों लोगों के पलायन की वो दर्दनाक दास्तान है, जिसने पंजाब और बंगाल के लोगों को अपनी ही मातृभूमि पर पराया होने का एहसास करवाया। भारत सरकार द्वारा 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका दिवस’ घोषित करने के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए सोनी ने बताया कि किन-किन कारकों ने भारत-पाकिस्तान विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बंटवारे में जिन्ना और मुस्लिम लीग की भूमिका को उजागर करते हुए सोनी ने वर्तमान देश में फैली साम्प्रदायिक चुनौतियों को भी गंभीरतापूर्वक सुलझाने में युवा पीढ़ी की भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से देश के प्रत्येक नागरिक को देश के ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी होने के साथ ही मन में उठने वाली सहज जिज्ञासाओं का समाधान भी होता है। उन्होंने कहा कि आजादी मिलने के उपरांत अब सकारात्मकता के साथ देश को विकास की नई ऊंचाइयाँ प्रदान करने की जरूरत बताई।

झांकियों से किया स्वातंत्र्य वीरों का किरदार

व्याख्यान के उपरांत अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की अगली कड़ी में महाविद्यालय के प्रार्थना सभागार में देश के उन वीर सेनानियों को समर्पित एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता भी प्राचार्य प्रो. त्रिपाठी ने की। विशिष्ट अतिथि शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बनवारी लाल जैन रहे। कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राओ के साथ एनएसएस की स्वयंसेविकाओं एवं एनसीसी कैडेट्स द्वारा देश की आन, बान और शान पर मर मिटने वाले विभिन्न देशभक्त सेनानियों को न केवल झांकियों के रूप में प्रस्तुति देकर अपनी सहभागिता निभाई । झांकी में प्रदर्शित प्रत्येक किरदार अपने देश प्रेम के जज्बे और अपने अस्तित्व की पहचान स्वयं के मुखारविंद से देता सा जान पड़ा। इन झांकियों के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई कि भारत में ऐसे वीर क्रांतिकारी और वीरांगनाए भी हुई है, जिनका आजादी में बड़ा योगदान रहा। आजादी के 75 वर्षों के बाद भी उनके द्वारा दिए गए योगदानों की जानकारी जरूरी है। कार्यक्रम में स्वातंत्र्य-वीर राजेंद्रसिंह लाहिड़ी, सचिंद्रनाथ सान्याल, खुदीराम बोस, बटुकेश्वर दत्त, तोहा खालसा, रानी वेलू, सुचिता कृपलानी आदि को साकार किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रगति चौरड़िया ने किया। कार्यक्रम में डॉ. भावाग्रही प्रधान, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. आभा सिंह, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. सरोज राय, अभिषेक चारण, डॉ गिरधारी लाल शर्मा, श्वेता खटेड़, प्रेयस सोनी, प्रमोद ओला, खुशाल जांगिड़, देशना चारण एवं एनसीसी प्रभारी लेफ्टिनेंट डा. आयुषी शर्मा के साथ एनएसएस इकाई प्रथम एवं इकाई द्वितीय प्रभारी डॉ. प्रगति भटनागर व डॉ. बलवीर सिंह मौजूद रहे।

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