Download App from

Follow us on

सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दर्शन आगे तक साथ जाने वाले- आचार्यश्री महाश्रमण

सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दर्शन आगे तक साथ जाने वाले- आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्य कालूगणी के नामकरण, बाल्यावस्था व दीक्षा आदेश के प्रसंगों का किया वर्णन किया

छापर (चूरू)। वर्ष 2022 का चतुर्मास छापर में कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महानसूर्य, मानवता के मसीहा, प्रभावी प्रवचनकार, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी नियमित रूप से ऐसी ज्ञानगंगा का प्रवाहित कर रहे हैं कि जन-जन का मन उस ज्ञानगंगा में डुबकी लगाकर परम आनंद की अनुभूति कर रहा है। भगवती सूत्र आगम के आधार पर आचार्यश्री के मंगल प्रवचन का श्रवण तदुपरान्त ‘कालूयशोविलास’ के पद्यों का संगान तथा उसका स्थानीय भाषा में आख्यान का श्रवण कर श्रद्धालु भावविभोर नजर आ रहे हैं। परम पूज्य कालूगणी की जन्मधरा पर उनके जीवन के चरित्रों का व्याख्यान मानों छापरवासियों को कालूगणी के युग में ले जा रहा है। हालांकि इसका सुअवसर का लाभ छापरवासी ही नहीं, आसपास के अनेक क्षेत्रों तथा देश के विभिन्न हिस्सों से सेवार्थ पहुंचे श्रद्धालुओं को भी प्राप्त हो रहा है।

सोमवार को प्रातः नित्य की भांति आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवती सूत्र आगमाधारित पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि एक प्रश्न किया गया कि जो ज्ञान आदमी करता है, वह इसी जन्म तक साथ रहेगा या आगे के जन्मों में भी साथ जा सकता है। शास्त्रकार ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि कोई ज्ञान इस जन्म तक ही सीमित रहता है और कोई-कोई ज्ञान भावी जीवन तक भी साथ जा सकता है। जाति स्मृति ज्ञान है, जिसके कारण आदमी अपने पिछले जन्म की बातों को भी बता देता है। पिछला ज्ञान साथ आया तभी तो आदमी अपने वर्तमान जीवन में पिछले जन्म की बात को बता देता है। ज्ञान आगे से आगे संक्रान्त होता है। चतुर्मास का समय में ज्ञान का अच्छा विकास करने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार सम्यक् दर्शन भी आगे के जीवन में जा सकता है, किन्तु चारित्र केवल इसी जन्म तक साथ रहता है। यह साधुपन रूपी दुकान साथ नहीं जाती, किन्तु इस दुकान से की हुई कमाई साथ जाती है। इस प्रकार सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दर्शन आगे भी जा सकते हैं चारित्र यहीं रह जाता है।

आचार्यश्री ने भगवती सूत्र आधारित मंगल प्रवचन के उपरान्त कालूयशोविलास के संगान के पश्चात् कालूगणी के नामकरण, उनके पिता की मृत्यु, मां और बेटे में वैराग्य भाव के जागरण, दीक्षा के आदेश का आदि का वर्णन आचार्यश्री ने स्थानीय भाषा में किया। आचार्यश्री के श्रीमुख से आचार्य कालूगणी के जीवन के रोचक घटना प्रसंगों को सुनकर आह्लादित नजर आ रहे थे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या ने श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया।

Share this post:

खबरें और भी हैं...

अपनी कमाई और ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाकर परिवार को उन्नति के लिए आगे बढाएं- खर्रा,  शहीद मांगू राम खर्रा की 26वीं पुण्यतिथि पर स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने की शिरकत 

Read More »

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

We use cookies to give you the best experience. Our Policy