रात्रि में प्रबुद्धजन सम्मेलन और प्रातः सेना के जवानों को पावन प्रेरणा आध्यात्मिक ऊर्जा
गंगाशहर (बीकानेर)। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्तायुगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण के चार दिवसीय गंगाशहर प्रवास में बीकानेर की आम जनता से लेकर हर क्षेत्र के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों, विद्वतजनों, लेखकों, न्यायाधीशों सहित देश की सीमा की सुरक्षा में जुटे जवानों को भी आचार्यश्री से मानवीय मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर मिला।
बुधवार रात नौ बजे प्रबुद्धजन सम्मेलन में संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन, पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलक्टर, न्यायाधीश, वाइस चांसलर, महाविद्यालयों के प्रोफेसर, वकील, साहित्यकार, चिकित्सक, वरिष्ठ पत्रकार, कला-संस्कृति तथा व्यापारिक वर्ग के वरिष्ठजनों ने आचार्यश्री से पावन प्रेरणा प्राप्त की व उनसे जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त किया।
गुरुवार को प्रातः साढ़े छह बजे बीएसएफ के 100 से अधिक जवान डीआईजी पुष्पेन्द्र सिंह व सिविल एयरपोर्ट अधिकारी अनिल शुक्ला के नेतृत्व में तथा मिडिया के लोग पहुंचे और आचार्यश्री से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की। आचार्य महाश्रमण ने जवानों को प्रेरणा प्रदान की और उनकी अनुज्ञा से मुनि कुमारश्रमण ने उन्हें ध्यान-योग के प्रयोगों द्वारा चित्त को शांत और एकाग्र बनाने की विधि बताई।
आचार्यश्री अपने प्रातःकाल भ्रमण के दौरान गंगाशहर के असक्त, अक्षम और वयोवृद्ध श्रद्धालुओं को दर्शन दिए और साता पूछी।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान बीकानेर क्षेत्र के समस्त जैन समाज की ओर ‘जैन जीवनशैली’ विषय पर आचार्यश्री का विशेष व्याख्यान द्वारा ‘प्रज्ञा समवसरण’ में महाश्रमण ने पावन पाथेय प्रदान किया। देर रात तक बीकानेर के विशिष्ट लोगों से मिलना व उन्हें प्रेरित करने के अलावा प्रातःकाल सेना के जवानों का उत्साहवर्धन और उनके जीवन को उन्नत बनाने की प्रेरणा और फिर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए।
बुधवार की रात को आयोजित प्रबुद्धजन सम्मेलन में उपस्थित बीकानेर जिले के सभी वरिष्ठ लोगों को आचार्यश्री ने अपनी बुद्धि को शुद्ध करने और बुद्धि द्वारा समस्या पैदा करने में नहीं, समस्याओं के समाधान में नियोजित करने की प्रेरणा प्रदान की। उपस्थित विशिष्ट महानुभावों की व्यक्त अनेक जिज्ञासाओं का समाधान उन्होंने प्रदान किया।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में तेरापंथी सभा-गंगाशहर के आयोजन प्रभारी लूणकरण छाजेड़ ने स्वागत वक्तव्य दिया। मुनि कुमारश्रमण ने आचार्यश्री महाश्रमण और अहिंसा यात्रा के विषय में जानकारी दी। महावीर रांका ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन के अलावा न्यायाधीश महेश शर्मा, पत्रकार हेम शर्मा, डॉ. सुधा आचार्य, बाफना अकादमी के सीईओ पी.एस. बोहरा, कैरियर काउन्सलर चन्द्रशेखर श्रीमाली व महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के सचिव बिट्ठल बिस्सा ने अपनी जिज्ञासाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश, जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल, एसडीएम पंकज शर्मा, आयकर अधिकारी प्रमोद के. देवड़ा, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर विनोद कुमार, वृत्ताधिकारी दीपचन्द, वास्तुविज्ञ आर.के. सुथार, शिक्षाविद् डॉ. पन्नालाल हर्ष, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के डॉ. गिरिराज हर्ष, लॉयन एक्सप्रेस के पत्रकार हरीश बी. शर्मा, खबर एक्सप्रेस के हेम शर्मा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल, एडवोकेट अजय पुरोहित, लेखक डॉ. अजय जोशी, कवि गिरिराज पारीक, राजाराम स्वर्णकार, पूर्व महापौर नारायण चौपड़ा, कार्डियोलॉजी विभाग के डा. पिन्टू नाहटा, गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉ. सुशील फलोदिया, सर्जन डा. संजय लोढ़ा, चिकित्सक होमियोपैथिक विभाग डा. चारूलाल शर्मा, प्राइवेट स्कूल ऐसोसिएशन राजस्थान (पेपा) के अध्यक्ष गिरिराज खैरीवाल, प्राचार्य प्रदीप लोढ़ा, अखिल भारतीय अल्पसंख्य आयोग के सलीम भाटी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के टेकचन्द बरड़िया, राजेन्द्र अग्रवाल, सी.बी.एस. अस्पताल के डा. एन.के. दारा, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के एएसपी रजनीश पुनिया, कार्डियोलाजिस्ट डा. आर.एल. रांका, नेत्र रोग विभाग के डा. जीसी जैन के अलावा अनेकों लेखन, कला, साहित्य, नाट्य, उद्योग, शिक्षा, व प्रशासनिक कार्यों से जुड़े विशिष्ट महानुभाव उपस्थित रहे। इन सभी महानुभावों को साहित्य आदि भेंट कर सम्मानित किया गया।
गुरुवार को प्रातः बीएसएफ के जवानों व मिडियाकर्मियों के साथ आयोजित कार्यक्रम में आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त करने के उपरान्त बीएसएफ के डीआईजी श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। मुनि कुमारश्रमणजी ने जवानों को ध्यान आदि का प्रयोग कराया।
गुरुवार को ‘जैनी जीवनशैली’ विषय पर आधारित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सृष्टि का प्रत्येक प्राणी जीवन जीता है, किन्तु कलापूर्ण जीवन जीना महत्त्वपूर्ण बात होती है। जीवनशैली को अच्छा बनाने के लिए पहले जीवन में लक्ष्य का निर्धारण हो और फिर उसके अनुरुप सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र का निर्माण करने का प्रयास करना चाहिए। विचार से लेकर आहार तक में विशुद्धि रखने का प्रयास हो तो ‘जैनी जीवनशैली’ की बात सार्थक हो सकती है। हिंसा से बचना, भोजन में मांसाहार का सर्वथा त्याग, नशा से मुक्तता ‘जैनी जीवनशैली का महत्त्वपूर्ण अंग है।
कार्यक्रम में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने अपना उद्बोधन दिया। अपनी जन्मभूमि में मुनि राजकुमारजी, समणी जयंतप्रज्ञाजी व समणी सन्मतिप्रज्ञाजी ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। मूर्तिपूजक समाज की ओर से तथा जैन महासभा के मंत्री श्री सुरेन्द्र जैन, स्थानकवासी समाज की ओर से श्री मोहन सुराणा, दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री विनोद जैन, जैन महासभा के अध्यक्ष व जैन श्वेताम्बर तेरापंथी समाज की ओर से श्री लूणकरण छाजेड़ व तेरापंथी सभा-बीकानेर के मंत्री श्री रतनलाल छल्लाणी ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला-गंगाशहर के ज्ञानार्थियों ने जैन ध्वज के साथ मार्च पास्ट करने के उपरान्त आचार्यश्री के समक्ष ‘महाश्रमण अष्टकम्, भक्तामर, प्रतिक्रमण आदि की भावूपर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय-बीकानेर की शोधार्थिनी डा. मेघना व्यास ने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा रचित पुस्तक ‘रत्नपालचरितम्’ः एक समीक्षात्मक अनुशीलन शोध की पुस्तक पूज्यचरणों में समर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।