नई दिल्ली. चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान दिनों दिन आर्थिक बदहाली के दलदल में फंसता जा रहा है। इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए अब पाकिस्तान कश्मीर के अवैध कब्जे वाला हिस्सा गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाका चीन को सौंप सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के तनाव गंभीर स्थिति में पहुंच सकते है।
ऐसा करके चीन का लोन चुकाने से पाकिस्तान को कुछ राहत तो मिल सकती है, लेकिन अमेरिका इस हरकत से नाराज हो जाएगा। इससे पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाली मदद के लिए मुश्किलें पैदा हो जाएगी. इधर दक्षिण एशिया में अपना दबदबा बढ़ाने के मौके ढूंढ रहे चीन के लिए यह एक बहुत बड़ा मौका हो सकता है, क्योंकि गिलगिट-बाल्टिस्तान से होकर ही चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) गुजरता है।
इस सरे हालात में गिलगिट-बाल्टिस्तान का इलाका आने वाले समय में टकराव के नए स्थान के रूप में उभर सकता है। हालांकि, यह इलाका हथियाना चीन के लिए इतना आसान नहीं होगा। अतंरराष्ट्रीय विरोध के साथ-साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान में रहने वाले लोग भी इसके खिलाफ सड़को पर उतर सकते हैं। पहले से ही CPEC को लेकर वहां के लोग नाराज चल रहे हैं। गिलगिट-बाल्टिस्तान इलाके में सरकार ने पहले से ही लोकल प्रशासन को कम ताकतें दे रखी हैं।गिलगिट-बाल्टिस्तान में लोग रोजगार, बिजली, शिक्षा जैसे जरूरी सेवाएं न मिल पाने की वजह से परेशान हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक- पाकिस्तान में कुल 9% आत्महत्याएं इसी इलाके में होती हैं।
चीन अपना मतलब निकालने की ताक मे है। वह पाकिस्तान के कंधे परबन्दूक रख कर भारत पर निशाना साधना चाहता है। पाकिस्तान का मकसद अरब सागर के ग्वादर बंदरगाह से लेकर बलूचिस्तान, गिलगिट- बाल्टिस्तान से लेकर शिनचियांग तक अपना नियंत्रण करना है। भारत सरकार ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा था – 1947 में भारत के राज्यो के संवैधानिक विलय के अनुसार गिलगिट-बाल्टिस्तान को भारत का अटूट हिस्सा बताया।
पाकिस्तान को उकसा रहा है चीन
चीन ने जब से पाकिस्तान में सीपैक योजना से अपनी सड़कें और अपना नौसैनिक अड्डा बनाया है, तब से वह पाकिस्तान को सलाह दे रहा है कि वह गिलगिट-बाल्टिस्तान को पाकिस्तानी राज्य का हिस्सा घोषित कर दे। उसके बाद उसके इन कामो में हस्तक्षेप करने वाला कोई नही होगा. क्योंकि चीन की सीपैक योजना का काफी हिस्सा गिलगिट-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है। पाकिस्तान को चीन की यह चाल समझ नही आ रही। चीन ने अपने सीपैक परियोजना के बजट को 25 अरब डॉलर से बढ़कर 60 अरब डॉलर कर दिया है। और अब वह पाकिस्तान को गिलगिट-बाल्टिस्तान को राज्य का दर्जा देने को उकसा रहा है। जिससे उसके इस स्वार्थपूर्ण काम मे भारत का दखल बन्द हो जाये।