अयोध्या का अर्थ है जो युद्ध से दूर हो। जहाँ केवल शांति का वास हो। लोग यही जानते हैं कि अयोध्या श्री राम का जन्म स्थान है,
उनके पूर्वजों का जन्म स्थान है। यह बात सच है। पर क्या अयोध्या केवल राम का जन्म स्थान है, ऐसा नहीं है।
यह पांच जैन तीर्थंकरों का जन्म स्थान भी है। ऋषभ नाथ, अजितनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ और अजिलनाथ
तीर्थंकरों का जन्म यहीं हुआ है। इसलिए इस नगरी को जैन तीर्थ के रूप में मान्यता मिली।
छह जैन तीर्थंकरों का निर्वाण स्थान भी अयोध्या है।
भगवान बुद्ध का 14 बार चातुर्मास अयोध्या में हुआ है। गुरु नानक देव, गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविंद सिंह जी
तीनों सिख गुरुओं का आवास यहाँ रहा है। लंबे लंबे समय तक वे अयोध्या में रहे हैं। तीन सिख गुरुओं का
स्थान भी अयोध्या है। नाथ लोगों की भूमि अयोध्या है। कबीरपंथियों का स्थान अयोध्या है। श्रीसंत अयोध्या में निवास करते थे।
अनेक मत, पंथ, समुदाय जो हिंदू समाज के हैं, वे सब कभी न कभी अयोध्या में रहे। अयोध्या भारत के हिंदू समाज के
सभी पंथ, संप्रदायों की एक मिलन स्थली है। इसके जैसी कोई जगह नहीं।
– डॉ. कृष्ण गोपाल
भारतीय परिप्रेक्ष्य (संपादक अनिल जोशी एवं राजेंद्र आर्य) से उद्धृत