कलेक्टर ने परिषद की भूमि का पट्टा निरस्त किया था, जबकि उपाध्यक्ष ने दिया था भूमाफिया को
नागौर। 6 साल पहले फर्जी दस्तावेजों से बेशकीमती जमीन का पट्टा व लीज डीड जारी करवाने के एक प्रकरण में मंगलवार को शहर में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की कार्रवाई हुई। एसओजी अजमेर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिव्या मित्तल एवं उनकी टीम ने नागौर पहुंच साल 2016 के एक प्रकरण के आरोपी नगरपालिका के पूर्व उपाध्यक्ष कुम्हारी दरवाजा निवासी हाजी गुलजार खां पुत्र मजीद खां, ताऊसर जमासर बास निवासी हिम्मताराम माली पुत्र जगदीश तथा रोल में फिजिक्स लेक्चरर इन्द्रा कॉलोनी निवासी नीरज कुमार गुप्ता पुत्र धुरेन्द्र कुमार को गिरफ्तार किया है।
एएसपी दिव्या ने बताया कि तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इनको न्यायालय में पेश किया गया, जहां से तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने के आदेश हुए हैं। उल्लेखनीय है कि फर्जी दस्तावेजों से पट्टा व लीज डीड जारी करने का प्रकरण अगस्त 2016 में एडवोकेट महावीर बिश्नोई ने कोतवाली थाने में दर्ज कराया था। अभी और भी कुछ लोगों की गिरफ्तारियां संभव हैं।
बीकानेर रोड पर खसरा नंबर 53 में खरीद व पट्टाशुदा बता प्रस्तुत की पत्रावली और चार्ज मिलते ही सौंप दिया
एएसपी दिव्या मित्तल ने बताया कि हरीराम ने बीकानेर रोड सरस डेयरी के सामने खसरा नंबर-53 में खरीदशुदा पट्टाशुदा बताते हुए दुकान, भवन निर्माण के लिए स्वीकृति बाबत पत्रावली प्रस्तुत की। पत्रावली में जायगा बताने के लिए चैनल दस्तावेजों में जायगा हिम्ताराम से नीरज कुमार को बेचना व धुरेन्द्र कुमार से उपरोक्त जायगा जरिए रजिस्ट्री हरिराम द्वारा खरीदना बताया। रजिस्टर्ड दस्तावेजों से खांचा भूमि प्राप्त की। 2014 में निर्माण स्वीकृति भी जारी करवा ली।
इस दरम्यान दस्तावेजों की जांच किए बगैर करोड़ों की जमीन पर भू माफियाओं को वैध रूप से लूटने का अधिकार प्रदान कर दिया। जबकि वास्तव में एकमात्र मालिक नगर परिषद नागौर थी। रिपोर्ट अनुसार जायगा हिम्मताराम के पक्ष में पट्टा जारी हुआ था व पालिका ने लीज डीड जारी कर रखी थी। कलेक्टर ने निगरानी आदेश व पालिका के पट्टे को ही निरस्त कर दिया था।
फर्जी दस्तावेजों से खांचा भूमि की प्राप्त
खांचा भूमि की लीज डीड पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर की जगह हाजी गुलजार के हस्ताक्षर हैं, जबकि लीज डीड का निष्पादन 08 जून 2012 को किया तथा उस समय हाजी गुलजार अध्यक्ष ही नहीं था। इस तरह भू-माफिया हरीराम ने सम्पूर्ण मिथ्या व फर्जी रिकॉर्ड का सहारा लेकर करोड़ों की जायगा हड़प ली, जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से परिषद तत्कालीन आयुक्त पोकरराम चौहान, कर्मचारी ने अपने पदीय कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही बरती। हालांकि जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी कलेक्टर तक पहुंची, तो उन्होंने निर्माण स्वीकृति को भी निरस्त कर दिया था।
फिर भी हरी राम ने कई अवैध दुकानें निर्माण कर उन्हें एग्रीमेंट टू सेल कर कई लोगों को अवैधानिक रूप से मौके पर काबिज करवा दिया।
कुछ समय के लिए अध्यक्ष का चार्ज, तभी यह घोटाला
एसओजी की जांच में यह भी सामने आया था कि पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष के पास कुछ समय के लिए पालिका अध्यक्ष का चार्ज रहा था। उसी समय आरोपियों ने मिलीभगत करते हुए वृहद स्तर पर गड़बड़ियां की थी। इसके बाद किसी को भनक भी नहीं लगने दी। अब इस मामले में पूरी कड़ी से कड़ी मिलाकर जांच की जा रही है।