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समाज में शांति और अहिंसक व्यवहार को कायम करने में सहायक रहती है ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ लाडनूं का जैविभा संस्थान विश्व का पहला विश्वविद्यालय, जहां खोला गया अहिंसा एवं शांति विभाग, विविध पाठ्यक्रमों, शोध, सुविधाओं औेर कॅरियर की संभावनाओं से भरपूर हे अहिंसा एवं शांति के पाठ्यक्रम, प्रवेश जारी

समाज में शांति और अहिंसक व्यवहार को कायम करने में सहायक रहती है ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’

लाडनूं का जैविभा संस्थान विश्व का पहला विश्वविद्यालय, जहां खोला गया अहिंसा एवं शांति विभाग,

विविध पाठ्यक्रमों, शोध, सुविधाओं औेर कॅरियर की संभावनाओं से भरपूर हे अहिंसा एवं शांति के पाठ्यक्रम, प्रवेश जारी

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। युद्ध व हिंसा की वर्तमान वैश्विक स्थितियों में अहिंसा एवं शांति सबसे बड़ी जरूरत बन कर उभरी है। हिंसा के लगभग चरम पर पहुंचे देश आज भारत की ओर आशा भरी निगाह से ताक रहे हैं। इस हिंसक सोच और विचारधारा के समूल उन्मूलन के लिए ऐसा क्या किया जाए कि फिर हिंसा के लिए कोई स्थान ही नहीं बचे। इसी सोच से प्रेरित होकर शिक्षा के क्षेत्र में अहिंसा एवं शांति का प्रशिक्षण प्रदान करने में विश्व का सबसे अग्रणी विश्वविद्यालय लाडनूं का जैन विश्वभारती संस्थान बन चुका है। यह पहला विश्वविद्यालय है, जहां अहिंसा एवं शांति विभाग के रूप में पूर्ण विकसित एक पृथक् विभाग प्रारम्भ किया गया। युवा वर्ग को अहिंसा का प्रशिक्षण प्रदान करके उनकी सोच को बदली जाकर उन्हें पूर्ण रूप से समन्वयवादी और अहिंसक विचारधारा के पोषक के रूप में तैयार करके समूची मानवता के बदलाव की दिशा में यह अभूतपूर्व कदम बढाया गया है। अहिंसा और शांति विभाग न्याय, शांति और स्वतंत्रता का एक ऐसा समाज स्थापित करने की कल्पना करता है, जो संघर्ष और युद्ध, गरीबी और पर्यावरण क्षरण से मुक्त हो। सभी प्रकार के संघर्षों का समाधान अहिंसा के अनुकल अनेकांत, शांतिपूर्ण संवाद, मतभेदों के सम्मान, दमनकारी संरचनाओं को नष्ट करने और परस्पर सद्भाव विकसित करके करुणा, एकजुटता और सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली मनोवृति का विकास करके मनुष्य मात्र को परिवर्तित किया जा सकता है।

अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली को सरकार ने पैटेंट किया

लाडनूं के जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सबसे बड़ी व महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि यहां आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रवर्तित ‘अहिंसा प्रशिक्षण’ प्रणाली को पोषित-विकसित किया गया और इस ‘अहिंसक व्यवहार प्रशिक्षण प्रणाली’ को भारत सरकार के पैटेंट, डिजाईन एवं ट्रेड माक्र्स विभाग द्वारा पैटेंट प्रदान भी किया जा चुका है। पैटेंट, डिजाईन एवं ट्रेड माक्र्स विभाग के कंट्रोलर जनरल ने बायो मेडिकल इंजीनियरिंग के अन्तर्गत ‘अहिंसक व्यवहार प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट प्रदान किया है। इस पैटेंट के लिए जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से अहिंसा एवं शांति विभाग की डा. लिपि जैन, डा. बलवीर सिंह, डा. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने भारत सरकार के समक्ष आवेदन किया था। जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय ने अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ की प्रेरणा से उनकी अहिंसा प्रशिक्षण की पूर्ण प्रणाली विकसित की और बड़ी संख्या में लोगों को अहिंसा प्रशिक्षण प्रदान किया है।

विश्व का पहला विश्वविद्यालय

यह विश्व का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जिसमें अहिंसा एवं शांति विभाग पृथक् बना हुआ है और इस विभाग द्वारा अहिंसा एवं शांति विषय में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के मार्गदर्शन इस विभाग में में अहिंसक व्यवहार सम्बंधी प्रशिक्षण की प्रणाली विकसित की गई। इस परिपूर्ण प्रणाली द्वारा व्यक्ति के व्यवहार में आमूलचूल परिवर्तन किया जाकर उसे अहिंक विचारों से दूर करके पूर्ण अहिंसक बनाया जा सकता है। व्यक्ति को मानवीय अस्तित्व और संकट की समस्याओं की गहन समझ प्राप्त करने में सक्षम बनाने, समस्याओं को हल करने के लिए अहिंसक साधनों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने, सिद्धांत सिखाना और अभ्यास के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करने, अहिंसा में प्रशिक्षण प्रदान करने तथा अहिंसा, अनेकांत, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के उच्च आदर्शों को बढ़ावा देने पर इस विभाग द्वारा मुख्यरूप से ध्यान दिया जाता है।

अहिंसा व शांति प्रशिक्षण सम्बंधी पाठ्यक्रम

इस अनूठे विभाग के रूप मे संस्थापित अहिंसा एवं शांति विभाग की मुख्य विशेषताओं में अहिंसा में प्रशिक्षण के लिए युवा शिविर आयोजित करने, पारिवारिक समायोजन और सद्भाव सम्बंधी कार्यशालाएं आयोजित करने, नशा मुक्ति, मानवाधिकार, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण नैतिकता, सापेक्ष अर्थशास्त्र आदि पर सम्मेलन और सेमिनार आयोजित करने तथा स्व-रोजगार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने पर जोर दिया जाना है। इस विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों में डी.लिट और पीएच.डी., अहिंसा और शांति में एम.ए. एवं राजनीति विज्ञान में एम.ए. की डिग्रियां शामिल हैं। विभाग में शोध कार्य भी लगातार चलता रहता है। यहां शोध, अनुवाद और संपादन कार्य में अब तक ‘घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए निवारण तंत्रः एक अध्ययन’, ‘अनेकान्त और पाश्चात्य दर्शनः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन’, ‘प्रश्न व्याकरण में अहिंसा की अवधारणा और आयाम’, ‘व्यवसाय प्रबंधन में अहिंसा की भूमिका का एक महत्वपूर्ण अध्ययन’, ‘भारत में आतंकवाद की समस्या और शांति पहल’ आदि प्रमुख हैं। सतत् शोध कार्य यहां इस विभाग की प्रमुख विशेषता है।

कैरियर की अथाह संभावनाएं

आजकल हर शिक्षा के पीछे कॅरियर की संभावनाओं पर सबसे पहले नजर डाली जाती है, तो अहिंसा एवं शांति विभाग से शिक्षित-प्रशिक्षित युवा के लिए अपना कॅरियर बनाने की भी अथाह संभावनाएं मौजूद हैं। अहिंसा एवं शांति का विषय तनाव, संघर्ष, अशांति और आतंकवाद से ग्रस्त आधुनिक समाज में अत्यधिक प्रासंगिक है। इस विषय में योग्यता रखने वाले लोग गांधीवादी विचार और शांति अध्ययन विभाग, गांधीवादी और अन्य गैर-सरकारी संस्थानों द्वारा ग्रामीण उत्थान, पर्यावरण संवर्धन, मूल्य-शिक्षा, संघर्ष समाधान, मानवाधिकार और अपराध रोकथाम आदि से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में उपयोगी रूप से नियोजित हो सकते हैं। यह विषय जैन धर्म, बौद्ध धर्म और शांति अध्ययन के अंतर्गत आता है ,जिसे यूजीसी द्वारा आयोजित नेट और जेआरएफ परीक्षा में शामिल किया गया है।

प्रवेश सम्बंधी जानकारी

इस अहिंसा एवं शांति विभाग के अन्तर्गत अहिंसा एवं शांति तथा राजनीति विज्ञान विषयों में स्नातकोत्तर (एम.ए.) की उपाधि प्रदान की जाती है। यहां स्नातक परीक्षा उतीर्ण करने के पश्चात एक साथ दो नियमित डिग्रियां करने का सुनहरा अवसर भी उपलब्ध है। इस विभाग से पी.एचडी. करने के लिए अहिंसा एवं शांति, राजनीति विज्ञान, इतिहास, समाज शास्त्र, हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, प्रबंधन, लोक प्रशासन, दर्शन शास्त्र आदि विषयों में विस्तृत क्षेत्र उपलब्ध है। यहां स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश प्रक्रिया चालू है। 31 जुलाई तक आॅनलाईन आवेदन करने की अंतिम तिथि रखी गई है। इसके बाद 100 रूपए विलम्ब शुल्क सहित 8 अगस्त तक आवेदन किया जा सकता है। आवेदन के बाद शुल्क जमा करवाने के लिए अंतिम तिथि 16 अगस्त रखी गई है। इसके बाद विलम्ब शुल्क 100 रूपए सहित शुल्क 31 अगस्त तक जमा करवाया जा सकता है।

विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध सुविधाएं

जैन विश्वभारती संस्थान ने अहिंसा एवं शांति को बढावा देने के लिए विद्यार्थियों के लिए आकर्षक छात्रवृति की व्यवस्था भी रखी है। यहां न्यूनतम फीस पर गुणवतापूर्ण अध्यापन करवाया जाता है। इसके लिए प्रशिक्षित, अनुभवी और योग्य संकाय सदस्यों की टीम उपलब्ध है।नवीनतम स्मार्ट कक्षाओं में अध्ययन करवाया जाता है। विद्यार्थियों के लिए खेलकूद एनएसएस, केंटीन एवं जिम की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। विद्यार्थियों का शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया जाता है। अहिंसक जनचेतना के लिए अहिंसा प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन और सामुदायिक सहभागिता कार्यक्रमों में सहभागिता के आयोजन एवं अहिंसा प्रशिक्षण शिविरों के आयोजनों का लाभ भी विद्यार्थियों को प्राप्त होता है। यहां राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, कार्यक्रमों में सम्मिलित होने का अवसर विद्यार्थी प्राप्त करते हैं। इनके अलावा यहां विद्यार्थियों के लिए नेट, जेआरएफ, पीएचडी में प्रवेेश के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन किया जाता है।

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