लाडनूं के राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय की रौनक लौटी, पंचकर्म विधि की सुविधा मिलने से हो रहे हैं मरीज लाभान्वित

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लाडनूं के राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय की रौनक लौटी,

पंचकर्म विधि की सुविधा मिलने से हो रहे हैं मरीज लाभान्वित

लाडनूं (अबू बकर बल्खी, पत्रकार)। यहां झंडा चौक स्थित रिद्धकरण जैन राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में पंचकर्म की सुविधा शुरू होने से मरीजों को उसका लाभ मिलना शुरू हो गया है। मई और जून माह में कुल 80 मरीजों ने इस पंचकर्म चिकित्सा विधि से इलाज का लाभ उठाया। लंबे समय तक यह आयुर्वेदिक चिकित्सालय उपेक्षाओं और दुर्दशा का शिकार था। यहां चिकित्सक और स्टाफ की कमी थी, कोई दवा देने वाला तक नहीं था। मरीजों ने इस अस्पताल में जाना ही बंद कर दिया था। अब जाकर फिर से इस चिकित्सालय की रौनक बढ़ी है और मरीजों की आवाजाही शुरू हो पाई है। मरीजों को अब यहां अन्य औषधीय लाभ के साथ ही सम्पूर्ण पंचकर्म विधि का लाभ भी प्राप्त होने लगा है। यहां प्रतिदिन 2 से 3 मरीज आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा पद्धति का लाभ ले रहे हैं।

महिला चिकित्सक व स्टाफ की सेवाओं से फिर आने लगे लोग

यहां नियुक्त आयुर्वेद ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डा. (वैद्या) रेणु शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में पंचकर्म विधा शरीर शोधन की प्रक्रिया है। इसमें आंतरिक व बाह्य विधि से मरीज का इलाज किया जाता है। इस अस्पताल में शरीर की बाह्य बीमारियों के लिए केरलीय पंचकर्म किया जाता है व शास्त्रोक्त या मुख्य पंचकर्म द्वारा शरीर की आंतरिक बीमारियों का इलाज पांच विधियों से किया जाता है। पिछले डेढ़ महीने में यहां ब्लड प्रेशर, अकड़न, गठिया, पुराने दर्द, जॉइंट दर्द के 80 मरीजों ने चिकित्सकीय लाभ प्राप्त किया है। इसके लिए मेल थेरेपिस्ट पवन कुमार व महिला थेरेपिस्ट निशा मोठसर यहां निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

मिट गया था आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान

गौरतलब है कि इस राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय में मरीजों की भर्ती के लिए बेड की सुविधाओं से लेकर समस्त प्रकार की सुविधाएं-व्यवस्थाएं सदा से ही उपलब्ध रही हैं, लेकिन सही व पर्याप्त वैद्य और स्टाफ नहीं होने तथा जो थे उनकी उपेक्षा की भावनाओं के चलते यहां कोई भी काम नहीं होता। मरीजों को भी केवल खानापूर्ति का शिकार होना पड़ रहा था। मजबूरन मरीजों ने यहां आना ही बंद कर दिया था। लोग आयुर्वेद के बजाय अन्य पैथियों की तरफ जाने लगे थे। अब जाकर लोगों को इस अस्पताल के प्रति वापस विश्वास जागा है।

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Author: kalamkala

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