लाडनूं के बस स्टेंड, सुखदेव आश्रम जैन मंदिर, बीसथम्बा छत्रियों, खाखीजी की बगीची आदि के सामने कीचड़ और गंदे पानी से जलभराव की समस्या को लेकर सौंपा ज्ञापन,
समाजसेवियों ने कलक्टर व एसडीएम के समक्ष समस्या बताई और सुधार की मांग उठाई
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। कतिपय स्थानीय समाजसेवियों ने यहां जिला कलेक्टर बालमुकुन्द असावा व उपखंड अधिकारी मिथलेश कुमार को ज्ञापन देकर लाडनूं की ज्वलंत समस्या बस स्टेंड और जैन मंदिर सुखदेव आश्रम के सामने से पानी की निकासी और सफाई की समुचित व्यवस्था की मांग की। ज्ञापन में बताया गया है कि श्री सुखदेव आश्रम लाडनूं की अनमोल और भव्य धरोहर है। यह लाडनूं की पहिचान भी है। यहीं पास में 350 वर्षों पुरानी ऐतिहासिक छतरियां और प्राचीन राहू कुआं है। लाडनूं का बस स्टैंड भी यही हैं, जहां प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आवागमन रहता है। श्मशान भूमि जाने के लिए इसी रास्ते से शवयात्रा निकलती है। पास में ही बालाजी का प्राचीन मंदिर है, जहा सैंकडांे श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शनार्थ आते हैं। सुखदेव आश्रम जैन मंदिर में भी प्रतिदिन सुबह भगवन-दर्शन के अलावा काफी संख्या में लोग योग और मेार्निंग वाॅकिंग (प्रातः-भ्रमण’) करने आते हैं। सुखदेव आश्रम को देखने हेतु बाहर से पर्यटक भी आते हैं। इसी प्रकार प्रसिद्ध करंट बालाजी मंदिर के लिए जाने का मुख्य मार्ग भी यही है। बस स्टेंड से प्रतिदिन सैंकडों बसें आगमन और प्रस्थान करती है। यहां व्यावसायिक बैंक, एटीएम और दुकानें भी स्थित हैं। इस प्रकार यह स्थल अत्यधिक व्यस्ततम और महत्वपूर्ण है। इसके बिना लाडनूं अधूरा ही रहता है।
श्मशान जाने के लिए शवयात्रा को गुजरना पड़ता है 2-3 फुट पानी से
इसके बावजूद यह प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां थोड़ी सी बारिश होते ही भयंकर कीचड़-गंदगी होकर आवागमन बाधित हो जाता है और कोई श्रद्धालु दर्शन हेतु भी नही जा सकता है, यात्री यात्रा नही कर सकते, शव यात्रा 2-3 फीट गंदे पानी में चलकर भी शमशान भूमि पर नहीं पहुंच सकती है। इस विश्वप्रसिद्ध आश्रम के सामने तथा बस स्टैंड पर भयंकर जलभराव होना और वर्षा न हो तो भी गंदगी व कूड़े-करकट की भरमार, मक्खी-मच्छरों का भिनभिनाना, यह सब समझ के परे है कि लाडनूं की जनता को किस बात की सजा दी जा रही है। इस स्थिति को गम्भीरता से लेते हुए प्राथमिकता से स्थाई समाधान किए जाने की मांग ज्ञापन में की गई है। यह ज्ञापन देने वालों में महेन्द्र कुमार सेठी, श्यामसुन्दर शर्मा, देवाराम पटेल आदि शामिल थे।
