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लाडनूं नगर पालिका में यह क्या हो रहा है?- 6 6 करोड़ का घोटाला और फाईलें हुई गायब, पार्षद संदीप प्रजापत की शिकायत एसीबी से ईओ तक पहुंची और लीपापोती शुरू, डस्टबिन, रोडलाईटें, सीमेंट बैंच, हाईमास्ट लाइटें सबमें हुआ भ्रष्टाचार का बड़ा खेला

लाडनूं नगर पालिका में यह क्या हो रहा है?- 6

6 करोड़ का घोटाला और फाईलें हुई गायब, पार्षद संदीप प्रजापत की शिकायत एसीबी से ईओ तक पहुंची और लीपापोती शुरू,

डस्टबिन, रोडलाईटें, सीमेंट बैंच, हाईमास्ट लाइटें सबमें हुआ भ्रष्टाचार का बड़ा खेला

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। नगर पालिका के वार्ड सं. 38 के पार्षद संदीप प्रजापत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक को पत्र लिख कर नगरपालिका लाडनूं में 1 सितम्बर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक खर्च किए गए करीब छह करोड रूपयों में बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। इस पर एसीबी के अति. पुलिस अधीक्षक (परि.) जयपुर ने स्थानीय निकाय विभाग, राजस्थान के निदेशक को मूल शिकायत भेजते हुए ब्यूरो में प्राप्त इस परिवाद में अपने स्तर पर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने को लिखा है। इस परिवाद में एसीबी ने नगर पालिका लाडनूं के अध्यक्ष व अधिशाषी विरुद्ध जांच के लिए लिखा गया है। जानकारी मिली है कि डीएलबी डायरेक्टर ने इसकी जांच डीडीआर अजमेर को सौंपी और उन्होंने नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी को ही रिपोर्ट के लिए भेज दिया और हालत यह रही कि ईओ को कर्मचारियों ने सम्बंधित फाईलें तक उपलब्ध नहीं करवाई। लगता है कि अब इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की तैयारियां है।

आखिर क्या है यह मामला, किन जांचों की मांग है

पार्षद संदीप प्रजापत ने एंटीकरप्शन ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल को लिखे अपने पत्र में बताया है कि 1 सितम्बर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक जो बजट नगरपालिका लाडनूं में भिन्न-भिन्न कार्यों जैसे जल संचय आदि कार्यों के लिए था, लेकिन अधिशाषी अधिकारी व अध्यक्ष ने मिलीभगत करके यह सारा बजट विकास कार्यों में लगा दिया और बिना पारदर्शिता बरते सारे टेंडर अपने साथी व निजी ठेकेदारों को, जो कि लाडनूं से बाहर के हैं, को काम दे दिया। इस बारे में पार्षदों द्वारा कोई भी जानकारी मांगे जाने पर फाईलें व रजिस्टर गुम होने का बहाना बना लिया जाता है और कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता। प्रजापत के अनुसार इन टेंडरों में हुए कार्यों की जांच करवाई जानी आवश्यक है। उसने पत्र में डस्टबिनों की संख्या और मौजूदगी की जांच भौतिक रूप से करवाई जाने की मांग की है। दूसरी मांग में रोडलाईट की गिनती भी धरातल पर करवाई जाकर जांच के लिए की है। तीसरी मांग में विभिन्न जगहों पर लगवाई गई सीमेन्टेड बैंचों की जांच व काउंटिंग धरातल पर करवाई जाने की है। चौथी मांग में हाईमास्ट लाईटों की काऊटिंग व जांच धरातल पर करवाने के लिए है।

क्या सच में फाईलें हो चुकी गायब? फाईलें छुपाने के जिम्मेदार कौन? इनके खिलाफ कौन करेगा कार्रवाई?

इन मांगों के साथ शिकायत पत्र में यह भी लिखा गया है कि लाडनूं में जब भी एसीबी टीम आती है, तो इन्हें उसका पता पहले ही चल जाता है और सब सावधान हो जाते हैं। इसलिए आकस्मिक व गोपनीय तरीके से जांच कर सख्त कार्यवाही की जावे। इसके बावजूद इसकी जांच डीएलबी होते हुए आखिर ईओ के पास ही पहुंच गई और पत्र में लिखे आरोप के अनुसार फाईलें हाथ नहीं लगने की स्थिति को ही दोहराया जा रहा है। सवाल उठता है कि फाईलों को छिपाया क्यों जा रहा है? किस कर्मचारी के पास थी फाईलें? फाईलें गायब होने की एफआईआर पुलिस में दर्ज क्यों नहीं करवाई गई? दोषी कार्मिकों को बचाने के पीछे किसका हाथ? किन-किन लोगों की मिलीभगत रही इस सबके पीछे? कितने करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ? सबका खुलासा चाहिए।

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