सावण-सोमवार, हरियाली अमावस्या को सिद्ध हनुमत्पीठ पाबोलाव धाम के मंदिर और सरोवर पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़,
महिलाओं ने जमकर उठाया हरियाली व सावण के झूलों का लुत्फ, पूजा-मंगलगीत और गोठ का आनंद भी लिया
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। श्रावण मास में शिवभक्ति की धूम मची रहती है। श्रावण सोमवार और हरियाली अमावस्या को तो महिला-पुरुष शिवभक्त श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़ तो दर्शनीय रहती है। यहां पाबोलाव हनुमत् सिद्धपीठ के रमणीय स्थल पर सुबह से शाम तक लोगों का तांता लगा रहता है। ऐसे ही निकटवर्ती पर्वतीय स्थल डूंगर बालाजी पर भी लोगों की खासी भीड़ लगी रहती है। हरियाली अमावस पर सिद्धपीठ पाबोलाव हनुमान मंदिर में दिन भर धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। पाबोलाव के तट पर लगे झूलों में बहार छाई रही। सावन के महीने में महिलाओं में झूले झूलने की होड़ लगी रहती है। महिलाओं और बच्चों ने वहां लगे विभिन्न झूलों का जमकर आनंद लिया। पाबोलाव की हरियाली और तालाब में नहाने का लुत्फ भी लोगों ने खूब उठाया। मंदिर में दर्शन करने वालों का भी तांता लगा रहा।
फोटो और सेल्फी की रही सभी में ललक
महंत कमलेश्वर भारती ने सबको पूजा करवाई, प्रसाद चढ़ाए और आशीर्वाद प्रदान किया। हनुमान मंदिर की परिक्रमा और शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए भी लोग अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए। इसके बाद मंदिर में ऊपर बने विशाल हॉल में लोगों ने अपने साथ लाया भोजन करके हरियाली अमावस मनाई। महिलाओं ने हरियाली अमावस्या के गीत व भजन गाए तथा परस्पर बधाइयां दी। झुंड के झुंड महिलाओं के कारण, आटो रिक्शा, मोटर साइकिल, स्कूटियों और पैदल पहुंचे। इस दौरान यहां महिलाओं में झूलों में, तालाब के तीर पर, मंदिर परिसर में, सीढ़ियों पर, पूजा करते, शिव पर जल चढ़ाते हुए अपने फोटो खींचने-खिंचवाने और सेल्फी लेने की खासी ललक दिखाई दी।
प्राचीन पवित्र सरोवर व मंदिर के प्रति लोगों में अथाह आस्था
संत कमलेश्वर भारती ने बताया कि पाबोलाव तालाब करीब 870 साल से अधिक प्राचीन जलाशय है। इसे प्राचीन काल में पाबू तलाई कहा जाता था और कालांतर में पाबोलाव नाम से पहचान बनी। पहले आस पास के गांवों के लोग इसी के पानी से अपनी पेयजल की मांग पूरी करते थे। यहां लम्बा-चौड़ा ताल पानी की आवक के लिए है, जिसमें नहर व पुलिया तक बने हुए हैं। इस पूरे ताल की स्वच्छता का हमेशा खयाल रखा जाता रहा था। यहां हनुमान प्रतिमा की स्थापना और मंदिर निर्माण के बाद इस पवित्र सरोवर का बहुत विकास होता रहा है। यहां प्रतिष्ठापित हनुमान प्रतिमा को लोगों द्वारा चमत्कारी बताया जाता है। इस मंदिर में लाडनूं, सुजानगढ़, जसवंतगढ़, डाबड़ी, लेडी, खानपुर, आसोटा, मंगलपुरा, दुजार एवं समूचे सुजलांचल के आस्थावान लोग पहुंचते हैं। वैसे तो यहां भक्तजन हर मंगलवार, शनिवार ही नहीं प्रतिदिन भी आकर धोक लगाते हैं, लेकिन पूरे सावन महीने में यहां श्रद्धालुओं का विशेष तांता लगा रहता है।
