Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

Download App from

Follow us on

सड़ने लगा शहर, परेशान हुए ऑटो टीपर चालक, तंग हैं अधिकारी भी, पर जिम्मेदार कौन? लाडनूं के डम्पिंग यार्ड मामले में हालात में सुधार के कोई आसार नहीं, पार्षदों और नागरिकों में रोष गहराया, लापरवाही के जिम्मेदारों को दंडित किया जाए

सड़ने लगा शहर, परेशान हुए ऑटो टीपर चालक, तंग हैं अधिकारी भी, पर जिम्मेदार कौन?

लाडनूं के डम्पिंग यार्ड मामले में हालात में सुधार के कोई आसार नहीं, पार्षदों और नागरिकों में रोष गहराया, लापरवाही के जिम्मेदारों को दंडित किया जाए

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। करीब एक पखवाड़ा होने के नजदीक है, लेकिन डम्पिंग यार्ड की समस्या हल नहीं हो पा रही है और शहर के हालात कचरे के कारण बदतर होते जा रहे हैं। शहर से नित्यप्रति पूरा कचरा नहीं उठाए जाने के कारण लोगों में भी रोष फैलता जा रहा है। नगर पालिका द्वारा इतने लम्बे समय तक समस्या का समाधान नहीं कर पाने से पालिका के अधिकारियों की नाकामी पर लोग सख्त असंतुष्ट हैं।

आटो टीपर ढूंढते फिरते हैं कचरा डालने की जगह

ऑटो टीपर चालकों ने डम्पिंग यार्ड के हालात बिगाड़े थे, उन्होंने डम्पिंग यार्ड के अंदर कचरा डालने के बजाय बाहर रास्ते और लोगों की जमीन व रहवासी मकानों के ईर्दगिर्द अपनी गाड़ियां खाली कर दी और अब लोगों के लगातार विरोध के चलते वे खुद परेशान हो चले हैं। शहर भर के कचरे को कहीं डालने के लिए वे शहर के बाहर विभिन्न स्थानों पर घूमते नजर आते हैं कि शहर से उठाया गया कचरा, वहां डाल सके। इस कचरा डालने की समस्या के कारण शहर से पूरा कचरा भी नहीं उठाया जा रहा है और अनेक स्थानों पर कचरे के ढेर लगे हुए नजर आते हैं। अगर कुछ दिन यही हालात और रहे तो शहर की सारी जनता आंदोलन पर उतर आएगी।

बाहर बिखरे कचरे के ढेरों पर बारिश बनी ‘कोढ़ में खाज’

लाडनूं में शहर के कचरे को डालने के लिए सरकार ने मंगलपुरा के पास स्थित बंद हो चुकी ‘राती खान’ पत्थर की गहरी खदानों को आवंटित किया गया था। इस डम्पिंग यार्ड के चारों तरफ दीवार बनाई गई और अंदर वाहनों के जाने के लिए सड़क का निर्माण किया गया। इसके बावजूद इस खान के गहरे डम्पिंग यार्ड के अंदर जाकर कचरा डालने के बजाय कचरा उठाने वाली गाड़ियों को उनके चालकों द्वारा यार्ड के बाहर ही कचरा डाला जाता रहा। धीरे-धीरे वहां आसपास में बस्तियां बढ़ गई और कचरे से लोगों को परेशानी होने लगी। परेशान लोगों द्वारा इसका लगातार और बार-बार विरोध किया जाता रहा। कई बार वहां से बाहर के कचरे को अंदर डाले जाने के लिए जेसीबी मशीन लगाई जा चुकी और ड्राइवरों को पाबंद भी किया गया, लेकिन उनकी आदतें नहीं सुधरी और अंदर कचरा डालने से आलस करते रहे और बाहर कचरे के अम्बार लगते रहे।‌ बरसात में इस कचरे की गीले होकर फैलने और सड़ने से भयंकर दुर्गंध और बीमारियों से वहां के रहवासियों को रूबरू होना पड़ रहा है। यह स्थिति ‘कोढ में खाज’ कहावत को चरितार्थ करती है।

कोई काम नहीं आया पालिका अधिकारियों का हस्तक्षेप

करीब दस दिन पहले लोगों ने वहां एकत्र होकर डंपिंग यार्ड में कचरा डाले जाने का विरोध किया और ट्रेक्टरों और ऑटो टीपरों के आड़े फिर गए। उन्होंने डम्पिंग यार्ड में कचरा नहीं डालने दिया। हाईवे पर कचरे से भरी गाड़ियां ही गाड़ियां नजर आने लगी। इस परिस्थिति में पालिकाध्यक्ष रावत खां, अधिशाषी अधिकारी जितेंद्र कुमार मीणा और कनिष्ठ अभियंता दीपक मीणा ने मौके पर पहुंच कर लोगों से बातचीत की। लोगों की मांग रही थी कि उनके आसपास और रास्ते में कचरा नहीं डाला जाए। बाहर मौजूद सारे कचरे को साफ करवाया जाए। इस पर जेसीबी मशीन लगाई गई और कचरा हटाया जाना शुरू करवाया गया। अधिकारियों ने लोगों से तीन दिनों में कचरा हटाने और समस्या समाधान का भरोसा दिलाया, परन्तु ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया है। स्थिति यह है कि कचरा डम्पिंग यार्ड में नहीं डालने दिया जा रहा है।

हालात बिगाड़ने में किसका कितना दोष, क्या हो कार्रवाई

बिगड़े हुए हालात को सुधारना मुश्किल बनता जा रहा है। बस्तियों के बीच कचरे के टीले लगाने के लिए आखिर दोषी कौन है? नगर पालिका के ऑटो टीपर्स के ड्राइवरों की जिम्मेदारी सबसे अधिक है, लेकिन उनसे भी अधिक जिम्मेदारी उस ठेकेदार की है, जिसके लिए ये सारे ड्राइवर काम करते हैं। नगर पालिका ने जो ठेका दिया है, वो केवल इसलिए नहीं दिया कि कचरा संग्रहित कचरे यत्र-तत्र कहीं भी ले जाकर डालते रहें और लोगों के लिए परेशानी पैदा करते रहें।‌ ठेकेदार की जिम्मेदारी है कि वह अपने ड्राइवरों को इस बात के लिए पाबंद रखे कि सारा कचरा डम्पिंग यार्ड में ही डाला जावे। अगर ऐसा नहीं होता है तो उस ठेकेदार का पूरा भुगतान रोक लिया जाना चाहिए और जितना भी खर्च जेसीबी लगाने का नगर पालिका ने किया हो, उसकी पूरी वसूली ठेकेदार से की जाए। इसके अलावा नागरिकों और पालिका प्रशासन को जितनी परेशानी हुई, उसके लिए भारी हर्जाना अलग से वसूल किया जाना चाहिए। जानकारी मिली है कि डम्पिंग यार्ड पर नगर पालिका के एक कर्मचारी की स्थाई नियुक्ति की हुई थी, उसकी भी इस हालात के लिए पूरी जिम्मेदारी बनती है। उसे एक भी ट्रोली या आटो टीपर को बाहर कचरा खाली नहीं करने देना चाहिए। अगर कोई बात नहीं माने तो उसकी रिपोर्ट अधिकारियों को तत्काल देनी चाहिए। पता नहीं वह कार्मिक वहां मौजूद रहता भी था या नहीं। हो सकता है वह कहीं भी मटरगश्ती करता रहे और महिने की महिने नगर पालिका से अपना वेतन लेता रहा हो। ऐसे व्यक्ति को भी तत्काल सस्पेंड किया जाकर जांच और कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए।

कम नहीं किया जा सकता अधिकारियों का जिम्मा

क्षेत्र के लोगों द्वारा नगरपालिका के सभी अधिकारियों और उपखण्ड प्रशासन तक सबको लगातार अवगत करवाया जाता रहा, इसके बावजूद उनमें से किसी के द्वारा कोई सक्षम कार्रवाई नहीं की, इस कारण उनकी भी इन हालात के लिए जिम्मेदारी बनती है। उनको देर आयद- दुरुस्त आयद, अब भी दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और दंडनीय वसूली करके अपना फर्ज निभाना चाहिए।

Share this post:

खबरें और भी हैं...

सदस्यता अभियान में जुट कर विशाल टोली बनाकर कार्यकर्ता करें भाजपा को मजबूत- प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ का कसूम्बी के बागड़ा निवास में किया गया भावभीना स्वागत,

Read More »

सर्वोच्च न्यायालय के अजा सम्बंधी निर्णय और भारत बंद को लेकर अनुसूचित वर्ग के लोग दो भागों में बटे, सरकारी सेवाओं का लाभ लेने वाला वर्ग विरोध में भारत बंद का समर्थक और सरकारी सेवाओं से वंचित रहे लोग फैसले का लागू करने के प्रयास में लगे, डीडवाना में वंचित अनुसूचित जाति समाज के लोगों ने दिया कलेक्टर को ज्ञापन, की सुप्रीम कोर्ट के उपवर्गीकरण फैसले को शीघ्र लागू करने की मांग

Read More »

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

We use cookies to give you the best experience. Our Policy