बदलते घटनाक्रमों से अविचलित और प्रसन्नता का भाव रखें- रामकुमार तिवाड़ी, लाडनूं के रामद्वारा सत्संग भवन में चातुर्मास सत्संग प्रवचन का आयोजन

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बदलते घटनाक्रमों से अविचलित और प्रसन्नता का भाव रखें- रामकुमार तिवाड़ी,

लाडनूं के रामद्वारा सत्संग भवन में चातुर्मास सत्संग प्रवचन का आयोजन

लाडनूं (kalamkala.in)। यहां राहगेट स्थित रामस्नेही सम्प्रदाय के रामद्वारा सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास सत्संग में प्रवचनकर्ता रामकुमार तिवाड़ी ने कहा है कि संसार में परिस्थितियां बदलती रहती है। यहां बदलते घटनाक्रमों के बावजूद जो अविचलित रहता है, वहीं सफल होता है। उन्होंने घटनाओं से अप्रभावित रहने की जरूरत बताई और कहा कि घटनाओं के कारण व्यक्ति खिन्न, हताश, चिंतित, क्रोधित होता है, तो वह आध्यात्मिक सोच के विरूद्ध है। रूपयों के जल कर या पानी में डूब कर, गल कर नष्ट होने पर स्वाभविक रूप से चिंता हो सकती है, लेकिन जेब से गिरे या चोरी गए रूपयों के लिए चिंता नहीं करनी चाहिए। आप सोचें कि जो इन रूपयों को लेकर गया है, उसके घर प्रसव हो सकता है और उसे रूपयों की जरूरत रही होगी, उसके पास पाई भी नहीं होगी। यह रूपए आपको पुण्य प्रदान करेंगे। यह अप्रत्यक्ष सहायता है, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। वे रूपए वापस तो आ नहीं सकते, इसलिए इसे ईश्वरीय इच्छा मान कर सदैव प्रसन्नचित रहने का प्रयास करें। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रसन्नता सब प्रकार के दुःखों का नाश करती है। आनन्दित रहना जीवन की श्रेष्ठतम पूंजी है। जीवन में उतार-चढाव आने पर भी शिवसंकल्प युक्त रहो। सच्चे अर्थों में इसी का नाम सत्संग है। सत्संग का अर्थ आनन्द ही है। उन्होंने कहा कि सत्संग सुन कर उठो तब अन्तर्मन में विशेष चेतना, उत्साह, उमंग और आनंद का छलछलाता हुआ झरना प्रवाहित होता महसूस होता है। इस झरने की शीतलता से अन्तर्मन में सुख, शांति, संतुष्टि का अनुभव होता है। इस प्रसन्नत को वितरित करते रहो, यही सत्संग की सार्थकता है। श्रावण मास के इस सत्संग को सुनने के लिए प्रतिदिन दूर-दूर से लोग रामद्वारा आ रहे हैं और बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरूषों की भीड़ यहां लगती है।
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Author: kalamkala

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