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शांतिपूर्ण समाज के लिए एक दिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित, सुजानगढ के सोना देवी सेठिया महाविद्यालय में शिवर आयोजित कर छात्राओं को दिया अहिंसा का प्रशिक्षण

शांतिपूर्ण समाज के लिए एक दिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित,

सुजानगढ के सोना देवी सेठिया महाविद्यालय में शिवर आयोजित कर छात्राओं को दिया अहिंसा का प्रशिक्षण

लाडनूं  (kalamkala.in)। जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा सोना देवी सेठिया स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय सुजानगढ़ में एक दिवसीय युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के शुरुआत में विभाग की सहायक आचार्य डॉ. लिपि जैन ने विषय परिचय प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और कुछ राष्ट्र आतंकवाद के बल पर वैश्विक अशांति फैला रहे हैं, यदि इसके स्थान पर लोगों को अहिंसा का प्रशिक्षण दिया जाए, तो विश्व में शांति का माहौल बनाया जा सकता है। आज प्रत्येक व्यक्ति शांति की चाह रखता है। इसके लिए आंतरिक शांति और बाह्य शांति दोनों का होना जरूरी है। जब तक व्यक्ति आंतरिक रूप से शांत नहीं होगा, तब तक बाह्य शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। विभाग के सहायक आचार्य डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़ ने अहिंसा प्रशिक्षण के चार आयामांे की चर्चा में बताया कि हृदय परिवर्तन, दृष्टिकोण परिवर्तन, व्यवस्था परिवर्तन तथा जीवन शैली परिवर्तन आयामों को व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले, तो काफी हद तक हिंसा की प्रवृत्तियों से बचा जा सकता है। उन्होंने इतिहास के उदाहरण देते हुए हिंसा का परित्याग कैसे किया गयाख् के बारे में बताया। सम्राट अशोक महान के हृदय-परिवर्तन के लिए कलिंग के युद्ध को उत्तरदायी बताते हुए उन्होंने उनके दृष्टिकोण के बदल कर हिंसा के स्थान पर स्वतः ही अहिंसक बनने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वर्तमान वैश्विक समस्याओं के पीछे आपसी वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्धा को मुख्य कारण बताया और राष्ट्रों के लिए हिंसा की प्रवृत्ति को छोड़कर अहिंसा की नीतियां अपनाने को जरूरी बताया तथा कहा कि इससे अधिकांश अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का निराकरण शांतिपूर्ण ढंग से हो सकता है

यूएनओ ने भी माना अहिंसा, शांति व पारस्परिक सद्भाव को विवादों का हल

अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह ने शिविर के दौरान बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी अहिंसा, शांति एवं पारस्परिक सद्भाव की नीति को राष्ट्रों के विवादों को हल करने में महत्वपूर्ण आयाम मान रहा है। आज संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से विश्वशांति दिवस, अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस जैसे आयोजन भी अहिंसा की नीति पर ही आधारित है। इस अवसर पर उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा शांति स्थापना की दिशा में विद्यार्थियों को दी जा रही अहिंसा एवं शांति की शिक्षा के बारे में जानकारी दी और बताया कि संस्थान इस माध्यम से युवाओं के चिंतन व दर्शन के साथ मानवीय मूल्यों को विकसित करने का प्रयास कर रहा है। विभाग की छात्रा माया कवंर ने भी अहिंसा प्रशिक्षण विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए और कहा कि वर्तमान में बढ़ती हिंसक घटनाओं के निराकरण में अहिंसा प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण उपाय बन सकता है। अंत में महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. साधना सिंह ने आभार ज्ञापित किया और बताया कि इस प्रकार के शिविरों के आयोजन की वर्तमान में आवश्यकता है। इनसे युवाओं के दृष्टिकोण में बदलाव लाया जा सकता है। जैैन विश्व भारती संस्थान इस दिशा में अग्रणी भूमिका निर्वहन कर रहा है। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थियों के साथ अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों सहित 74 प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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