कहानी में विश्वसनीयता पैदा करना लेखक का कमाल- तिवाड़ी,
डाॅ. मदन सैनी को दिया गया ‘चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार’
पवन पहाड़िया डेह। श्रीडूंगरगढ़ (kalamkala.in)। राजस्थानी के ख्यातिनाम कथाकार डॉ. मदन सैनी को गुरुवार को यहां राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति के प्रांगण में ‘श्री चुन्नीलाल सोमानी राजस्थानी कथा पुरस्कार’ प्रदान किया गया। पुरस्कार में उन्हें शॉल-श्रीफल के साथ इकत्तीस हजार रुपये की राशि समर्पित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्याम महर्षि ने कहा कि भारत में बहुत तेजी से भाषाओं का अवसान होता जा रहा है, राजस्थानी भी अवसान के इसी पथ पर है। दूसरे प्रांतों के लोग अपनी भाषाओं के प्रति बेहद सजग, सचेत हैं, वहीं राजस्थान का व्यक्ति अपनी धरोहर के प्रति बेहद गाफिल है। स्वागताध्यक्ष उद्योगपति लक्ष्मीनारायण सोमानी ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति से जुड़ी विरासत को बचाना है, तो राजस्थानी भाषा को जीवित रखना ही होगा। हरेक राजस्थानी परिवार इस विषम भाषाई परिस्थिति के दौरान, अपनी भूमिका को समझने का यत्न करे।
अपनी भाषा को लुप्त होने से बचाना जरूरी
विशिष्ट अतिथि मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि कहानी के मूल्यांकन में हम अनेक भूलें कर जाते हैं, कहानी कभी बायोग्राफिकल नहीं होतीं, पर हम उसमें लेखक की जीवनी ढूंढ़ते रहते हैं। वे यहां मदन सैनी की कहानियों का विवेचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कहानी विश्वसनीय होती है, तो यह लेखक का कमाल है कि वह कल्पना को सच जैसा बनाने की ताकत रखता है। राजस्थानी कवि-आलोचक डॉ. गजादान चारण ने कहा कि छोटा-छोटा प्रयास कर हम अपनी भाषा को लुप्त होने से बचा सकते हैं। हमारे राजस्थानी समाज को अब भाषा के मुद्दे पर तटस्थ नहीं रहना चाहिए। भाषा के लिए हर आदमी को खड़ा तो होना होगा। समारोह में कथाकार सत्यदीप ने पुरस्कृत कृति ‘आस- औलाद’ पर टिप्पणी प्रस्तुत की।
राजस्थानी को राजभाषा बनाने का बड़ा आंदोलन जरूरी
पर्यावरणविद् ताराचंद इंदौरिया ने कहा कि वे भाषा के कार्यों को करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। युवा लेखक संघ बीकानेर के कमल रंगा ने कहा कि राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता है। डॉ. मदन सैनी ने अपनी रचना प्रकिया पर विचार प्रगट किए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ. चेतन स्वामी ने राजस्थानी भाषा की प्रगति और विकास के लिए कुछ सूत्र प्रस्तुत किए। श्रीमती पुष्पादेवी सैनी ने अपनी राजस्थानी गीतों की पुस्तक लक्ष्मी नारायण सोमानी को भेंट की।
