अनुकरणीय पहल- निम्बीजोधां में आकर्षण का केन्द्र बना शिक्षकों द्वारा विकसित ‘भीकू उद्यान’, यहां साधारण व औषधीय पौधे ही नहीं स्वर्ग से आए पौधों का मस्त आलम भी है

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अनुकरणीय पहल-

निम्बीजोधां में आकर्षण का केन्द्र बना शिक्षकों द्वारा विकसित ‘भीकू उद्यान’,

यहां साधारण व औषधीय पौधे ही नहीं स्वर्ग से आए पौधों का मस्त आलम भी है

लाडनूं (kalamkala.in)। निकटवर्ती ग्राम निम्बी जोधा स्थित राजकीय भीकूलाल सारड़ा उच्च माध्यमिक विद्यालय में बनाए गए ‘भीकू उद्यान’ हरियाली से लदा-फदा अनोखा स्थान बन चुका है। यहां शिक्षकों की मेहनत और पर्यावरण के प्रति उनकी संवेदना खुलकर बोल रही है। यहां तरह-तरह के पेड़, पौधे व लताएं फैली हुई क्षेत्र को हरा-भरा और आकर्षक बना रहा है, वहीं पर्यावरण संरक्षण की गवाही दे रहा है। स्वयंसेवी शिक्षक जगदीश प्रसाद घिंटाला ने बताया कि यहां की बढोडी स्कूल में वैसे तो वर्षों से बगीचा लगा हुआ था, लेकिन उसे नवीन स्वरूप देते हुए इसे औषधीय उपयोगी पौधों, वृक्षों व लताओं को लगाकर अलग हट कर छवि प्रदान की गई है। इस उद्यान को उपयोगी पुष्पों, फलों आदि से सम्पन्न बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यहां सदाबहार, गैंदा आदि ही नहीं, बल्कि परिजात या हरसिंगार, अपराजिता, मधु कामिनी आदि से भी सुसज्जित किया गया है कि यह उद्यान लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। वरिष्ठ शिक्षक घिंटाला ने बताया कि मान्यता है कि स्वर्ग से आए तीन पुष्पों में अपराजिता, परिजात और मधु कामिनी शामिल हैं। इनकी पौराणिक कथाएं भी उपलब्ध हैं। इस ‘भीकू उद्यान’ में ये सभी स्वर्गिक पेड़-पौधे सही सलामत विकसित हो रहे हैं और इनकी विशेष खुशबू, आभा व मनमोहिनी स्वरूप के साथ सम्पूर्ण विद्यालय परिविर और आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं।

पुष्प विशेषज्ञ ने महत्व समझ कर किया विकास

पुष्प विशेषज्ञ लक्ष्मी नारायण सांखला ने बताया कि विभिन्न प्रकार के पुष्पों की सुगंध का अलग-अलग महत्व होता हो। पुष्पों के महत्व को चिकित्सा शास्त्र में विशेष उल्लेख किया गया है। इनका स्वास्थ्य के लिए विशेष योगदान रहता है।दैनिक जीवन में केवल पूजा-उपासना ही नहीं, बल्कि अन्य विभिन्न अवसरों पर इनका उपयोग भी महत्वपूर्ण होता है। इस उद्यान का विकास इन पौधों का महत्व समझ कर ही किया गया है। अपराजिता हो या हरसिंगार, मधु कामिनी हो यदि सदाबहार, गैंदा हो या अन्य कोई पुष्पदार पौधा उनका उपयोग सबके लिए अध्ययन योग्य और सेवनीय होता है। भीकू उद्यान आगामी दिनों में ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होने वाला है।

उद्यान के विकास में इन सबका रहा विशेष सहयोग

इस भीकू उद्यान के विकास और औषधीय पौधों को पल्लवित-पुष्पित करने के काम में विद्यालय में कार्यरत स्वयंसेवी शिक्षक लक्ष्मीनारायण सांखला के साथ पुष्पा सोनी व शिव नारायण कासनियां समर्पित भाव से विशेष प्रयास कर रहे हैं और इनके साथ अन्य शिक्षक साथी भी सहयोग करने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय के विकास और विद्यार्थियों के विकास में शिक्षकों द्वारा किया जा रहा यह नवाचार अन्य विद्यालयों के लिए अनुकरणीय है।

सरकारी योजना व प्रयासों में भीकूलाल सारड़ा स्कूल के परिणाम अनुकरणीय

उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार भी विद्यालयों में पौधारोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है और बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक व प्रेरित किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों व शिक्षकों की सहभागिता से सभी स्कूलों में बाग-बगीचे और उद्यान विकसित किए जा रहे हैं और लगातार वृक्षारोपण कार्य को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजकीय भीकू लाल सारडा उच्च माध्यमिक विद्यालय के इस ‘भीकू उद्यान’ में पेड़-पौधों के निरीक्षण-अवलोकन के लिए आए वृक्षप्रेमी जगदीश प्रसाद घिंटाला ने बताया कि पेड़- पौधों की सार-संभाल और पालन-पोषण अपने बच्चों की तरह करनी पड़ती है, जिससे वे पूर्ण सुरक्षित और जीवित रह सकते हैं तथा फलते-फूलते हैं। घिंटाला ने बताया कि राजस्थान की जलवायु में परिवर्तन, अधिक बरसात के पीछे हरियाली और पर्यावरण संरक्षण ही है। इसलिए उद्यान का विस्तार और विकास आवश्यक है। उन्होंने भीकू उद्यान के नए लुक को बेहतरीन बताया। समाज सेवी हरि राम खीचड़ व सेवानिवृत्त शिक्षाविद् हरि सिंह कोयल ने बातचीत के दौरान उद्यान के इस स्वरूप की खुलकर प्रशंसा की।

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Author: kalamkala

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