सभी व्यक्तिश: संस्कारवान व नशामुक्त समाज बनाने का दायित्व संभालें- सांसद राजेन्द्र गहलोत,
अमरपुरा के संत शिरोमणि लिखमीदासजी स्मारक विकास संस्थान में राज्यस्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह एवं भागवत कथा व नानी बाई रो मायरो कथा का आयोजन
नागौर (kalamkala.in)। अमरपुरा स्थित संत शिरोमणि श्री लिखमीदासजी महाराज स्मारक विकास संस्थान के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा व नानी बाई रो मायरा कथा का आयोजन किया जा रहा है। मेड़ता रोड के प्रीतमदासजी का रामद्वारा के रामस्नेही संत गोवर्धनदास महाराज द्वारा यह कथावाचन कार्यक्रम अमरपुरा स्थित परिसर में किया जा रहा है। कथा के तृतीय दिवस पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुषों ने कथा-श्रवण का लाभ उठाया। इस दौरान आयोज्य कार्यक्रमों में संस्थान के अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत की अध्यक्षता में माली सैनी समाज के राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह में विभिन्न कक्षा वर्ग में निर्धारित अंक प्राप्त करने वाले तथा राजकीय सेवा में चयनित हुए तथा सामाजिक सरोकारों से संबंधित कार्य करने वाले बंधुओं का अभिनंदन रखा गया है। कार्यक्रम में 600 से अधिक प्रतिभाएं व समाज बंधु सम्मानित होंगे, जिनमें सर्वाधिक संख्या जोधपुर, नागौर, डीडवाना- कुचामन व पाली जिले की है। इसमें 32 जिलों का प्रतिनिधित्व रहेगा। सम्मान समारोह में विभिन्न कक्षा वर्ग में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले समाज बंधुओं को स्वर्ण पदक, रजत व लघु रजत पदक से सम्मानित किया जाना है। इसी अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाशित प्रतिभा मंजूषा 2024 का भी विमोचन होना है।
भगवान राम से मिलता है पारिवारिक आत्मीयता का बोध
इस अवसर पर संत शिरोमणि लिखमीदासजी स्मारक विकास संस्थान के अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने अपने सम्बोधन में कहा कि कथा व संत प्रवचन से जीवन संस्कारमय बनता है। श्रीराम के नाम के स्मरण से भाइयों से, प्रजा से, पुत्र से, पत्नी से, पिता से किस प्रकार का आत्मीय संबंध होना चाहिए, इसका ज्ञान प्राप्त होता है। इस आत्मीय भाव से ही हमारे परिवारों की संरचना बनी है, जिनमें आपसी प्रेम, सद्भाव होने से हम आगे बढ़ते हैं। संत इनमें प्रेरणा व मार्गदर्शन का कार्य करते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं से संस्कारयुक्त व नशामुक्त समाज बनने के निमित्त अपना व्यक्तिशः योगदान देने का आह्वान किया।
भगवान की भक्ति अनंत व अविचल बनी रहती है
कथा में तृतीय दिन संत गोवर्धन दास महाराज ने कथा वाचन करते हुए भक्त प्रह्लाद की कथा के माध्यम से भगवान नरसिंह अवतार का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि नौ प्रकार की भक्ति भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति में प्रचलित है। भक्त प्रहलाद गुरु भक्ति, मातृ भक्ति व ईश भक्ति के पर्याय हैं। नारद मुनि व श्रीयादे मां के मार्गदर्शन से प्राप्त ज्ञान से उन्हें अनुभव हुआ कि केवल भगवान के सहारे, एकनिष्ठ व एकांतिक भाव ही श्रेष्ठ है। इसी कारण भक्त प्रहलाद को बचाने तथा स्वयं को इस संसार में सर्वश्रेष्ठ व भगवान मानने के कारण से उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया। भगवान भक्ति अनंत व अविचल रहती है, जबकि घर, धन आदि नाशवान होते हैं।
इन सब प्रमुखजनों की रही समारोह में उपस्थिति
इस अवसर पर संस्थान के उपाध्यक्ष मोती बाबा सांखला, सचिव राधाकिशन तंवर, सह सचिव हरिश्चंद्र देवड़ा, कोषाध्यक्ष कमल भाटी, कार्यकारिणी सदस्य मिश्रीलाल सोलंकी, धर्मेंद्र सोलंकी, पारसमल परिहार, लादूराम कच्छावा, भंवरलाल गहलोत, कुंभाराम मेघवाल, प्रहलाद, मोतीराम, हजारी राम घोसलिया, भंवरलाल वैष्णव, जगदीश सोलंकी, नाथूराम व पुखराज पंवार सहित अनेक गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में समाजबंधु व अन्य श्रद्धालु महिला-पुरुष उपस्थित रहे।
