भारत में वैदिक काल से ही काल गणना शुद्ध व सटीक रही है- उम्मेद सिंह चारण,
लाडनूं में ‘कलम कला कैलेण्डर- 2025’ का समारोह पूर्वक किया गया विमोचन, संत लादूदास जी की बगीची में हुआ आयोजन
लाडनूं (kalamkala.in)। समाजसेवी उम्मेदसिंह चारण ने कहा है कि विश्व में सबसे प्राचीन काल गणना भारत में रही है। वैदिक आदिकाल से ही भारत में पंचांग का प्रचलन विख्यात है, जिसमें ग्रह, नक्षत्र आदि की सटीक गणना आदि को आधुनिक विज्ञान भी नहीं नकार सकता। आज भी कैलेण्डर्स में उस गणना को पूरी तरह महत्व दिया जाता है। वे यहां डीडवाना रोड स्थित संत बाबा लादू बाबा की बगीची में कलम कला मंच द्वारा प्रकाशित ‘कलम कला कैलेण्डर- 2025’ का विमोचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कैलेण्डर जहां दिनांक, तिथि, पर्व, छुट्टियों आदि को इंगित करते हैं, वहीं आज विज्ञापन का माध्यम भी बन चुके हैं। विज्ञापनदाता द्वारा मिलने वाले सहयोग के कारण कैलेण्डरों का नि:शुल्क विवरण तक संभव हो पाया है।
बगीची में बाबा को और मंदिर में करणी माता को समर्पित की प्रतियां
इस अवसर पर संत बाबा लादूदास जी महाराज के जीवन और चमत्कारों को याद किया गया तथा उनकी बरसी पर 8 जनवरी को आयोज्य धार्मिक कार्यक्रमों को सफल बनाने पर चर्चा भी की गई। कार्यक्रम में कलम कला कैलेंडर के विमोचनोपरांत कैलेंडरों का वितरण किया गया। इससे पूर्व प्रधान सम्पादक सुमित्रा आर्य ने डीडवाना रोड स्थित डाढाली करती माता मंदिर में मंदिर व माताजी को कैलेंडर समर्पित किया गया। इसी प्रकार बाबा लादूदास जी की बगीची में भी बाबा के समक्ष कैलेंडर समर्पित किया गया। बाद में लाडनूं पुलिस थाने के थानाधिकारी राजेश कुमार डूडी को भी कैलेण्डर की प्रति भेंट की गई। पुलिस कर्मियों को भी कैलेण्डर वितरित किए गए। इसी प्रकार शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कैलेण्डर की प्रतियों का वितरण करवाया गया।
इन सबकी रही गरिमामय उपस्थिति
इस कैलेंडर विमोचन कार्यक्रम में विमोचन कर्ता उम्मेद सिंह चारण के साथ प्रधान सम्पादक पार्षद सुमित्रा आर्य सैनी, कार्यकारी सम्पादक जगदीश यायावर के अलावा मंगलपुरा के पूर्व सरपंच दुलीचंद सांखला, संत लादूदास बगीची सेला संस्थान के अध्यक्ष संतोष प्रजापत, संत पन्नाराम महाराज, मोतीराम सांखला, भाजपा ओबीसी मोर्चा के शहर मंडल अध्यक्ष प्रेमसुख जांगिड़, पं. सीताराम गौतम, पत्रकार लक्ष्मण चारण, अबू बकर बल्खी, सुरेश खींची, हंसराज सांखला, विद्या प्रकाश सांखला, भोलाराम सांखला, सुरेन्द्र रेवंत टाक, तेजकरण सांखला, अरविंद सांखला, नानूराम नायक, ओमप्रकाश स्वामी, सद्दाम सिलावट, उदाराम जाखड़, अनिल सैनी, बलवीर टाक आदि उपस्थित रहे।