छपारा में सैन समाज के समक्ष दहेजप्रथा के विरुद्ध पहल,
दहेज में मात्र एक रुपया-नारियल लेने के साथ ही किया पड़ला, बारात जुंवारी, टीका सभी का त्याग
लाडनूं (kalamkala.in)। दहेज प्रथा के दुष्परिणामों के निरन्तर सामने आने के बाद समाज में अनेक लोगों ने पहल करते हुए बिना दहेज के और साथ ही अनेक कुरीतियों का निवारण करते हुए शादी जैसे महत्वपूर्ण अवसर को समाज के समक्ष आदर्श मिसाल के रूप में पेश किया है। लाडनूं के सैन समाज में भी ऐसी पहल की गई है। लाडनूं के छपारा गांव के ओंकार मल सैन की पुत्री निशा के विवाह के दौरान ऐसा ही उदाहरण सामने आया है। निशा की शादी सांगलिया (सीकर) निवासी छीतरमल सैन (हाल जोधपुर) के पुत्र दीपक सैन के साथ हुई। इस विवाह को आदर्श वर पक्ष ने शगुन के रुप मे 1 रुपया व नारियल मात्र ही स्वीकार किया। इसके साथ ही वर पक्ष ने पड़ला, बारात, जुंवारी, टीका वगैरा कुछ भी नहीं लिया। उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि इन सब चीजों पर हो रहे अनावश्यक खर्च अनुचित है, इनका त्याग सभी लोगों को करना चाहिए। यह भी खास बात रही कि उनकी बारात में आए सभी व्यक्ति नशामुक्त थे। ऐसे बाराती देखकर सभी ने हर्ष व्यक्त किया और इन बारातियों का परिवार के साथ गांव वालों ने भी भव्य स्वागत किया।
दूल्हे का पूरा परिवार दहेजप्रथा के विरुद्ध
दूल्हे के पिता छीतरमल सैन ने बताया कि विवाह के दौरान बेटी को अपनी हैसियत के अनुसार दहेज देने की परम्परा बरसों पुरानी है। लेकिन, मेरा परिवार दहेज के खिलाफ है और सब कहते हैं कि दहेज जैसी कुप्रथा खत्म होनी चाहिए। लेकिन, इस पर अमल कोई नहीं करता। इसकी शुरुआत हमें अपने घर से ही करनी चाहिए, ताकि दूसरे लोग भी इससे प्रेरणा ले सकें। इस बात का मन-मस्तिष्क पर गहरा असर होने से हमारे परिवार ने बिना दहेज दिए शादी करने पर अपनी सहमति प्रदान की है। उन्होंने कन्यादान को ही महत्वपूर्ण माना है। वहां समाज के सभी लोगों ने इस विवाह में प्रस्तुत मिसाल की सराहना की और इसे समाज के समक्ष सकारात्मक पहल बताया।
