लाडनूं के पांच गांवों को सुजानगढ़ नगर परिषद् के पेराफेरी में शामिल किए जाने का विरोध,
भाजपा नेता करणीसिंह ने की मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर जनभावना के विरुद्ध लिए गए एकपक्षीय निर्णय को निरस्त करने की मांग
लाडनूं (kalamkala.in)। सुजानगढ़ नगर परिषद द्वारा लाडनूं तहसील के 5 गांवों को जनता के विरोध के बावजूद मनमाने ढंग से मास्टर प्लान में शामिल करने का यहां सभी लोगों द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है। लाडनूं विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रहे भाजपा नेता ठाकुर करणी सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अवगत करवाते हुए इस एकपक्षीय निर्णय का विरोध जताया है। करणी सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखा है कि सुजानगढ़ नगर परिषद् द्वारा लाडनूं तहसील के 5 गावों को जनभावना के विरुद्ध एक पक्षीय निर्णय कर अपने मास्टर प्लान में सम्मिलित किया गया है। इस बारे में सुजानगढ़ नगर परिषद् द्वारा तहसीलदार लाडनूं को पत्र क्रमांक 6708 दिनांक 06-02-2025 लिखा गया और तहसीलदार लाडनूं द्वारा जिला कलेक्टर को इस सम्बन्ध में मार्गदर्शन देने के लिए लिखा गया पत्र क्रमांक 139 दिनांक 07-02-2025 का हवाला देते हुए ठा. करणी सिंह ने आगे लिखा है कि लाडनूं तहसील के 5 गांवों (भियाणी, आसोटा, खानपुर, सुजला व जसवंतगढ़) को सुजानगढ़ नगर परिषद् द्वारा प्रस्ताव लेकर अपनी पेराफेरी में सम्मिलित किया गया है। अब लाडनूं के राजस्व अधिकारियों और पंचायतों पर भूमि के पट्टे और रूपांतरण की अधिकारिता भी सुजानगढ़ नगर परिषद् को हस्तांतरित करने का दबाव बनाया जा रहा है। ये सभी 5 गांव स्वतंत्रता से पूर्व से ही लाडनूं तहसील और मारवाड़ राज्य का भाग रहे हैं, जबकि सुजानगढ़ पृथक तहसील और बीकानेर राज्य का भाग था। सुजानगढ़ का जिला प्रारम्भ से ही चूरू रहा है और लाडनूं का जिला नागौर और अब डीडवाना-कुचामन जिला है। भौगोलिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक सभी मापदण्डों से लाडनूं और सुजानगढ़ सदैव भिन्न रहे हैं। उपरोक्त 5 गांवों के निवासियों की सुजानगढ़ नगर परिषद् का भाग बनने की कोई अभिलाषा नहीं है। किसी भी अन्य जिले के गांवों को काट कर दूसरे जिले के स्थानीय निकाय का हिस्सा बना देना तर्कपूर्ण और न्यायसंगत नहीं है। इसलिए इस प्रसंग का अविलम्ब संज्ञान लिया जाकर सुजानगढ़ नगर परिषद् द्वारा आरम्भ की गयी अनुचित कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाने और लाडनूं तहसील क्षेत्र के राजस्व और ग्राम पंचायत हितों की रक्षा करने की पत्र में मांग की गई है। इस पत्र की प्रतियां राजस्व मंत्री और स्वायत्त शासन मंत्री को भी भेजी गई है।
