समस्त बुराइयों का मूल मिथ्या दृष्टिकोण होता है- डा. वीरबाला छाजेड़, ‘जैन दर्शन में सम्यक् दर्शन का वैशिष्ट्य’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

SHARE:

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

समस्त बुराइयों का मूल मिथ्या दृष्टिकोण होता है- डा. वीरबाला छाजेड़,

‘जैन दर्शन में सम्यक् दर्शन का वैशिष्ट्य’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन

लाडनूं (Kalamkala.in)। जैन विश्वभारती संस्थान के जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के तत्वावधान में शनिवार को साप्ताहिक व्याख्यान का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में हुई इस व्याख्यानमाला में ‘जैन दर्शन में सम्यक् दर्शन का वैशिष्ट्य’ विषय पर डा. वीरबाला छाजेड़ ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि जैन दर्शन का सबसे महत्वपूर्ण विषय ‘सम्यक्त्व’ है। उन्होंने बुराई की वास्तविक जड़ मिथ्या दृष्टिकोण को बताया और कहा कि दृष्टिकोण सही नहीं होने पर न तो व्यक्ति को समझा जा सकता है और न समस्याओं का हल किया जा सकता है। आज के शारीरिक व मानसिक तनावों का हल हम भौतिकता में ढूंढ रहे हैं। लेकिन, गलत जगह ढूंढने से समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि विवेक को ही धर्म बताया गया है। विवेकपूर्वक सबको समझना आवश्यक है। सब जीवों की आत्मा एक है और सबको दुःख व कष्ट होते हैं, यह जानने से ही समानता संभव हो सकती है। जो व्यक्ति आत्मा को जान लेता है, वह सबकुछ जान लेता है।

कभी एक वाक्य में पूर्ण सत्य नहीं कहा जा सकता

डा. वीरबाला ने कहा कि सम्यक दर्शन को व्यवहार नय और निश्चय की दृष्टि से समझने की जरूरत है। पूर्ण सत्य को एक वाक्य में नहीं बताया जा सकता है। सत्यांश ही कहा जा सकता है। हर वस्तु को उसके वास्तविक रूप में जानना ही सम्यक् दर्शन कहा जा सकता हैं। उन्होंने बताया कि व्यवहार नय से सम्यक् दर्शन के स्वरूप में देव, गुरू व धर्म के प्रति हमारी आस्था होनी चाहिए। जीव, अजीव, पुण्य, पाप आदि नव तत्वों को जानना जरूरी है और धर्मास्तिकाय, अधमास्तिकाय, आकाशस्तिकाय, पुदगलास्तिकाय आदि षट् द्रव्यों को जानना आवश्यक है। तत्वज्ञान की तरफ हमारा रूझान कम होता है। सम्यक् दर्शन की पहचान के लक्षण हैं- शम, संवेग, निर्वेग, अनुकम्पा व आस्तिक्य। जिसका कषाय शांत होता है, वह सम्यक् दृष्टि होती है। निर्वेग में संसार से विरक्ति होती है और अनुकम्पा में दया व करूणा के भाव पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि सबके प्रति होती है।

सम्यक् दर्शन के भूषण व मिथ्यात्वों का वर्णन 

डा. छाजेड़ ने बताया कि आस्था की आवश्यकता भी जरूरी है। जैन दर्शन पूरा आत्मा पर टिका हुआ है। आत्मा पर आस्था नहीं रही तो जैन दर्शन ही नहीं रहता है। सम्यक् दर्शन के भूषण में उन्होंने स्थैर्य, भक्ति, प्रभावना, कौशल और तीर्थसेवा को बताया। मन को विचलित नहीं होने देना और धर्म में स्थिर कर देना होता है। सम्यक् दर्शन के दोषों में शंका, कांक्षा, विचिकित्सा यानि संशय व आत्महीनता, पर पाखंड संस्तव और पर पाखंड परिचय शामिल हैं। उन्होंने मिथ्यात्व के 10 प्रकार बताए और कहा कि जीव को अजीव समझना, अजीव को जीव समझना, धर्म को अधर्म समझना, साधु को असाधु समझना, असाधु को साधु समझना, मार्ग को कुमार्ग समझना, कुमार्ग को मार्ग समझना, बद्ध को मुक्त समझना तथा मुक्त को बद्ध समझना हैं। यह सब मिथ्यादृष्टि है। सम्यक्दृष्टि रखने से ही हमारी आत्मा ही परमात्मा बन सकती है। स्वयं चैतन्यमान हो सकते हैं। इसलिए अपने आप में कभी हीन भावना नहीं रखनी चाहिए। सब लोग अपना सम्यक् दृष्टि जीवन बनाएं। कर्ता भाव नहीं रखें। ज्ञाता-दृष्टा भाव आत्मा का मानें। शरीर की जरूरतें हैं संयोग के साथ होती है, जो भी करें कर्तव्यभाव से करें।

ज्ञान को जीवन में उतारा जाए

व्याख्यान के अंत में डा. वीरबाला छाजेड़ ने व्याख्यान के सहभागियों की जिज्ञासाओें का समाधान किया गया। अध्यक्षता करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने ज्ञान को जीवन में उतारे जाने की जरूरत बताई और कहा कि आचार्यों ने सम्यक् दर्शन में आत्मा को मानने की आवश्यकता बताई और कहा कि आत्मा को बिना माने दर्शन सम्यक् नहीं हो सकते। कार्यक्रम का प्रारम्भ ईर्या जैन शास्त्री ने मंगलाचरण करके किया। प्रमुख वक्ता डा. वीरबाला छाजेड़ का परिचय व स्वागत वक्तव्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. रामदेव साहू ने किया। इस अवसर पर पंकज भटनागर, डा. जेपी सिंह, ओमप्रकाश गैणा, प्रगति चैरड़िया, अंजुबाला जैन, चन्दन जैन, हरेन्द्र गैणा, तरूण जैन, सुमन, ललिता जैन, डा. राजेश, सीताराम भादू, रामदेव, सुनीता, नवीन, प्रणीता तलेसरा, विमल, सुरेन्द्र, स्मिता जैन, मनीषा चैहान, स्मृति अरोड़ा, विमल गुणेचा, विद्या घोड़ावत, सुनीता इंदौरिया, नेहा वी शाह, सपना जैन आदि सहभागी रहे। कार्यक्रम में संचालन डा. मनीषा जैन ने किया।
kalamkala
Author: kalamkala

Leave a Comment

सबसे ज्यादा पड़ गई

अवैध खनन के विरुद्ध चार विभागों और उपखंड प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई, 1.27 लाख की वसूली और दो डम्पर जब्त, लाडनूं के लोढ़सर, तंवरा, दुजार, निम्बी जोधां व जसवन्तगढ़ क्षेत्रों में की गई अवैध खनन, निर्गमन, भंडारण को लेकर कार्रवाई 

फायरिंग का मुख्य आरोपी लाडनूं आते हुए हुआ गिरफ्तार, उसके कब्जे से 12 बोर पम्प एक्शन बंदूक और 19 जिंदा कारतूस बरामद, सुजानगढ़ के बीआरडी होटल में की थी फायरिंग, पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद सुजानगढ़ शहर में करवाई आरोपी की परेड

बड़ी संख्या में मिलकर घर आकर हमला करने वाले आरोपियों में से 4 फिर गिरफ्तार, 7 को पहले ही किया जा चुका गिरफ्तार, साढ़े चार माह पहले बड़ा बास के शौकत खां मूनखानी के घर किया था हमला, इमरान को तलवार, बरछी व सरियों के हमले में लगी थी 18 चोटें

Advertisements
Advertisements
Advertisements