जैन साधना: 101 सामायिक के साथ आचार्य भिक्षु के महाभिनिष्क्रमण की कथा प्रस्तुत
लाडनूं (kalamkala.in)। आचार्यश्री महाश्रमण द्वारा इंगित शनिवार की सामायिक वृद्ध सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री कार्तिक यशा के सान्निध्य में लाडनूं में आयोजित हुई। इसमें सामायिक की संख्या 101 रही। इस अवसर पर आचार्य भिक्षु पर आधारित तेरापंथ प्रबोध से ऋषभ द्वार का प्रांगण गूंज उठा। तत्पश्चात ‘विघ्न हरण मंगल करण स्वामी भिक्षु रो नाम’ का जाप किया गया। भिक्षु व्याख्यान ग्रंथ माला द्वारा आचार्य भिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला गया। सामुहिक अर्हंत वंदना की गई एवं आचार्य भिक्षु पर आधारित गीतिका का संगान किया गया। साध्वीश्री कार्तिक यशा ने कार्यक्रम में कहा कि मुनि भिक्षु को स्थानकवासी संप्रदाय के आचार्य रघुनाथ ने राजनगर भेजा। वहां के श्रावक ने साधु को वंदना करने से मनाही कर दी। मुनि भिक्षु जब राजनगर गए, उन्होंने श्रावकों को समझाया, लेकिन उस रात उन्हें बुखार आ गया। तब आचार्य भिक्षु ने सोचा कि अगर मेरा बुखार उतर गया, तो इस विषय पर वापस सोचूंगा। सुबह बुखार ठीक होते ही वे आचार्य रघुनाथ जी के पास गए एवं उन्हें कहा कि हमारे साधु शिथिलाचार की ओर बढ़ रहे हैं, हमारे में कथनी और करनी में बहुत फर्क है। इस पर डेढ़ साल तक चर्चा चली। मतभेद के कारण आचार्य भिक्षु ने पांच साधुओं के साथ चैत्र शुक्ला नवमी को अभिनिष्क्रमण किया। उन्होंने जैत सिंह की छतरियां में पहला प्रवास किया। ज्ञानशाला एवं सभी सभा संस्था के पदाधिकारी गण, सदस्य गण एवं श्रावक-श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।
