पुलिस ने फिर पकड़ा पर्ची पर अंक लिख कर जुए की खाईवाली करते हुए एक युवक को,
जुए-सट्टे को समूल उखाड़ फेंकने के लिए कब कमर कसेगी पुलिस
लाडनूं (kalamkala.in)। यहां सरकारी अस्पताल के पास पुलिस को देख कर मुंह फेर कर निकलने की कोशिश करते हुए पुलिस ने एक जुआरी खाईवाल को गिरफ्तार किया है। उसके कब्जे से पुलिस ने जुआ सामग्री के रूप में एक अंक लिखी पर्ची, पेन व जुआ राशि के 320 रुपए नगद बरामद किए। पुलिस ने पकड़े गए मुलजिम अंकित शर्मा (24) पुत्र मनोज कुमार शर्मा निवासी सदर बाजार लक्ष्मी रेस्टोरेन्ट के पास लाडनूं के खिलाफ 13 आरपीजीओ के तहत कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार किया गया।
इस तरह से पकड़ा गया मुलजिम अंकित शर्मा
यह गिरफ्तारी पुलिस द्वारा गश्त के दौरान मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर की गई। 22 अप्रेल शाम को सहायक उप निरीक्षक पर्वत सिंह मय जाप्ता के गश्त कर रहा था, तो बस स्टेंड पर उन्हें मुखबिर से सूचना मिली, जिसके अनुसार वे सरकारी अस्पताल के पास पहुंचे, तो वहां पुलिस को बताए हुए हुलिए का व्यक्ति पर्ची पर अंक लिखते-लिखवाते दिखाई दिया। वह व्यक्ति वर्दीधारी पुलिस को देखकर मुंह फेर कर वहां से निकलने लगा, तो पुलिस ने पीछा कर उसे पकड़ा। तलाशी में उसके पास जुआ सामग्री अंक लिखी पर्ची, पेन व नगदी रुपए जुआ राशि के मिले। इस व्यक्ति अंकित शर्मा पुत्र मनोज कुमार शर्मा निवासी सदर बाजार लक्ष्मी रेस्टोरेन्ट के पास लाडनूं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उसका कृत्य सार्वजनिक स्थान पर पर्ची पर अंक लिख कर जुआ-सटटा की खाईवाली करना जुर्म धारा 13 आरपीजीओ कि तारीफ में आना पाया गया। सारी सामग्री जब्त कर मुलजिम को गिरफ्तार किया गया। मौके पर उसने अपना जामिन शमसुल हक पुत्र फिरोज तेली निवासी तेली रोड वार्ड नम्बर 24 लाडनूं ने उसकी जमानत लेना स्वीकार किया। जमानत व मुचलका स्वीकार कर उसे छोड़ा गया। मामले की तफतीश हेड कांस्टेबल बन्नाराम के हवाले की गई है।
क्यों नहीं बंद हो पा रहा यह जुआ-सट्टा, क्या है पीछे की कहानी?
शहर में जुआ-सट्टा, आंक-दड़ा बरसों से चल रहा है। इनका संचालन करने वाले बदल जाते हैं, मगर इस जुए का कारोबार पुलिस की कार्रवाइयों के बावजूद बंद नहीं हो पा रहा है। पुलिस अगर चाहे तो इसकी रोकथाम पूरी तरह कर सकती है, लेकिन या तो पुलिस का जुआरियों से खौफ समाप्त हो चुका या पुलिस इन्हें बंधी के आधार पर संरक्षण दे रही है। लोगों के इन कयासों को खोखला भी नहीं कहा जा सकता है। जानकारी मिली है कि जुआरी-सटोरिए पकड़े जाने के नाम पर खानापूर्ति मात्र होती है। बड़े जुआरी पुलिस को अपना एक आदमी देते हैं और उसे 200-400 रुपयों के साथ पेश व पर्ची देकर पुलिस को सौंप देते हैं। इस व्यक्ति की जमानत और वकील का पूरा बंदोबस्त ये बड़े जुआरी करते हैं, साथ ही पकड़े जाने वाले व्यक्ति को खर्चे के रूप में एक दिन की मजदूरी के करीब दो हजार रुपए या अधिक तक दिए जाते हैं। एक बार एक आदमी पकड़वा कर फिर उनका धंधा बेखौफ चलता रहता है। हर बार लगभग यही दोहराया जाता रहता है। इस तरह का गोरखधंधा चलता रहा तो जुआ सट्टा बंद होगा भी कैसे। पुलिस को इसे समूल नष्ट करने की पूरी प्लानिंग करनी होगी।
