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लाडनूं में सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय समर स्कूल का आयोजन 19 जून से, राजस्थानी भाषा अकादमी की ओर से जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में होगा शिविर

लाडनूं में सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय समर स्कूल का आयोजन 19 जून से,

राजस्थानी भाषा अकादमी की ओर से जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में होगा शिविर

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में आगामी 19 से 25 जून तक सात दिवसीय द्वितीय राजस्थानी ग्रीष्मकालीन स्कूल का आयोजन किया जाएगा। इस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की समर स्कूल का आयोजन राजस्थानी भाषा अकादमी के तत्वावधान में किया जाएगा। इसमें राजस्थानी भाषा और साहित्य के प्रेमाख्यान, डिंगल काव्य, संत और जैन साहित्य, राजस्थानी गजल, शेखावाटी के भीत्ति चित्रों, नृवंश विज्ञान की दृश्य-कलाएं, हस्तकला और लोक संगीत पर विशेष फोकस किया जाएगा। राजस्थानी भाषा अकादमी द्वारा यह समर स्कूल आयोजन दूसरी बार करवाया जा रहा है और इसके लिए ऐतिहासिक शहर लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय का चयन किया गया है। इस द्वितीय समर स्कूल में धर्म पर आधारित कार्यशालाएं आयोजि की जाएगी, जिनमें 12वीं से 19वीं शताब्दी तक के काव्य, युद्ध इतिहास, शहरी इतिहास और धार्मिक साहित्य जैसे क्षेत्रों से सम्बद्ध ग्रंथों को शामिल किया जाएगा।

प्राचीन ग्रंथों और पुरातत्व महत्व के आइटम्स पर रहेगा फोकस

समर स्कूल की कार्यशालाओं में शामिल किए जाने वाले इन फोकस ग्रंथों पर कुवलयमाला (8वीं शताब्दी), कुमारपाल चरित (12वीं शताब्दी), दादू जन्मलीला परची (17वीं शताब्दी), सुंदरदास का सवैया ग्रंथ (17वीं शताब्दी), सतीनामा (16वीं शताब्दी), रघुनाथ रूपक (19वीं शताब्दी), छत्रपति रासो (17वीं शताब्दी), माताजी री वचनिका (18वीं शताब्दी) और रघुनाथ रूपक (19वीं शताब्दी) आदि ग्रंथ प्रमुख हैं। इसके साथ ही 19वीं शताब्दी के मध्य से 20वीं शताब्दी के आरंभ तक के हवेली भित्तिचित्रों के अध्ययन के लिए फील्ड ट्रिप की योजना भी इसमें बनाई गई है। जैन राजस्थानी गजल, बीकानेर राज्य से पट्टा बही और पट्टे री गवा री बही भी इनमें प्रमुख रूप से रहेंगे। इसके अलावा संगीतकार और हस्तकला के कारीगर समुदायों और स्थानीय तीर्थस्थलों के नृवंशविज्ञान का आईएनआर अध्ययन भी होगा। इसमें सम्मिलित होने वाली सहभागियों के लिए आवश्यक है कि वे राजस्थानी भाषा का बुनियादी ज्ञान रखे, जो राजस्थानी भाषा अकादमी के उन्नत पाठ्यक्रम के स्तर तक का हो और देवनागरी लिपि पढ़ने की क्षमता हो।

इन विद्वानों का मिलेगा मार्गदर्शन

इस समर स्कूल में सम्मिलित होने वालों के लिए जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय परिसर में आवास के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध करवाई जाएगी। इस अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के समर स्कूल में यूटी आस्टिन के प्रो. दलपतराज भंडारी, न्यूयार्क यूनिविर्सटी के प्रो. दीप्ति खेड़ा, ओपी जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी के प्रो. सौम्या अग्रवाल, लाॅस एंजेल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से मुकेश कुलरिया, राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर के डा. नितिन गोयल, प्रो. गजादान चारण, प्रो. आयला जाॅनकीरी और डा. समणी संगीप्रज्ञा विद्वानों के रूप में सम्मिलित होंगी।

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