बुराइयों के निराकरण व सामाजिक उन्नति में संत रविदास का योगदान अतुलनीय- आचार्य सोलंकी,
लाडनूं में संत रविदास जयंती मनायी
जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर में संत रविदास जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में संस्कृत के वरिष्ठ आचार्य महेन्द्र कुमार सोलंकी ने गुरु रविदास को संत व महान कवि के साथ ही समाज सुधारक भी बताया और कहा कि उन्होंने अपने जीवन में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और समाज की उन्नति में कई महत्वपूर्ण व सराहनीय योगदान उन्होंने दिए। बहिन निहारिका जांगिड ने बताया कि संत रविदास के माता-पिता चर्मकार थे। संत रविदास के पिता का नाम संतोखदास और माता का नाम करमा देवी (कलसा) था। रविदास जी ने अपनी आजीविका के लिए पैतृक कार्य को ही अपनाया, लेकिन इनके मन में भगवान की भक्ति पूर्व जन्म के पुण्य से ऐसी रची-बसी थी कि अपनी आजीविका को धन कमाने का साधन बनाने की बजाय संत सेवा का माध्यम बना लिया। रविदास जी के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। बचपन में अपने मित्र को जीवनदान देने, पानी पर पत्थर तैराने, कुष्ठ रोगियों को ठीक करने समेत उनके चमत्कार के कई किस्से प्रचलित हैं। संत रविदास जी अपना अधिकांश समय भगवान की पूजा में लगाते थे और धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हुए, उन्होंने एक संत का दर्जा प्राप्त किया। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ रविदास जी का दोहा आज भी प्रसिद्ध है। रविदासजी का कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए काम का हमेशा अच्छा परिणाम मिलता है। कार्यकम का संचालन चित्रा प्रजापत ने किया। इस अवसर पर व्यवस्थापक नंदलाल शर्मा, सरिता राजपूत, विमल प्रजापत, सीताराम, बजरंग शर्मा, मनोज, सुप्यार, लोकेश, जितेन्द्र, जगदेव, सुनीता, संगीता दर्जी, लीला वैष्णव, दिनेश स्वामी, सुभाषसिंह, जीवणराम, कुसुम, सुमन दाधीच आदि उपस्थित थे ।