लाडनूं में दो दिन बंधक बनाकर लूटपाट, मारपीट और बैंक से अवैध लेनदेन करने वाले आरोपियों के साथ पुलिस की मिलीभगत का आरोप,
पीड़ित दलित व्यक्ति ने किया एडिशनल डीजी के पास की शिकायत, मामले की जांच निष्पक्ष पुलिस अधिकारी से करवाने की मांग
लाडनूं (kalamkala.in)। लाडनूं में हुए गंभीर अपराध को लेकर पीड़ित पक्ष की ओर से गत 28 सितम्बर को दर्ज एफआईआर में अब तक पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर पीड़ित तोलाराम नायक ने अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (सिविल राईटस) जयपुर को पत्र लिख कर अपनी एफआईआर नंबर 249/24 पुलिस थाना लाडनूं के प्रकरण की जांच व अनुसंधान सही व निष्पक्ष उच्च अधिकारी से करवाने तथा मुल्जिमान की गिरफ्तारी करवाने की मांग की गई है। साथ ही पुलिस पर मुलजिमानों से मिलीभगत करने एवं पीड़ित को गुमराह रखने के आरोप भी लगाए हैं। पत्र में मुलजिमानों व पुलिस पर धमकाने, राजीनामे का दबाव डालने के कारण उसे व परिवार को नुकसान पहुंचाने का अंदेश जताया गया है। गौरतलब है कि करीब 8-10 लोगों द्वारा उसे लाडनूं में हाईवे पर तिरपाल गोदामों के पास शराब ठेके के पीछे एक मकान में दो दिनों तक बंधक बनाए रखने, उसे पिस्तौल दिखा कर उसके बैंक खाते से जबरन करीब 10 लाख रूपयों का लेनदेन करने एवं उसका मोबाईल क्षतिग्रस्त कर देने, रूपए छीन लेने और मारपीट करने का आरोप लगाया था। पत्र की प्रतियां एडिशनल डीजी के अलावा आईजी अजमेर, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री आदि को भी भिजवाई गई है।
बड़ी गैंग से जुड़े और राजनीतिक पहुंच वाले हैं आरोपी
पीड़ित तोलाराम पुत्र पेमाराम जाति नायक निवासी बालेरा तहसील बीदासर, जिला चूरू ने अपने पत्र में लिखा है कि उसने पुलिस थाना लाडनूं में एफआईआर सं. 249/2024 अन्तर्गत धारा 318 (4), 140(3), 303 (2) 127 (2), 189 (2) भारतीय न्याय संहिता एवं 3 (1) (आर), 3 (1) (एस). 3 (2) (वीए) अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम में दर्ज करवाई थी, जिसमें अनुसंधान अधिकारी द्वारा मुल्जिमान से मिलीभगत करते हुए उसको बचाने, अवैध सांठगांठ के कारण पीड़ित को गुमराह करने और मुल्जिमानों को गिरफ्तार नहीं करके गुपचुप रूप में इस मामले पर एफआर लगा कर न्यायालय में आरोप पत्र पेश करने की फिराक में पुलिस लगी हुई है। पत्र में बताया गया है कि 28 सितम्बर को दर्ज हुई इस एफआईआर में हो रही जांचव कार्रवाई के बारे में पूछताछ करने पर अनुसंधान अधिकारी उल्टा पीड़ित को ही डरा-धमका रहे हैं एवं उस पर राजीनामा का दबाव बनाया जा रहा है। इधर मुल्जिमान भी आयेदिन पीड़ित पक्ष व उसके परिवार को डरा-धमका कर राजीनामा का दबाव बना रहे हैं। वे उसे खुलेआम धमकिया दे रहे है कि पुलिस से उन्होंने सांठगांठ कर ली है, तुम्हारी एफआईआर का कुछ नहीं बंटेगा। मुल्जिमान राजनैतिक पहुंच वाले व्यक्ति हैं तथा विधायक के नजदीकी होने के साथ ही बड़ी गैंगो से जुड़े हुये लोग हैं और जो अवैध कार्यो में लिप्त हंै। इन कारणो ंसे पीड़ित को अनुसंधान अधिकारी से न्याय की कोई उम्मीद नहीं रही है। उसने पत्र में इस प्रकरण की जांच अन्य ईमानदार व निष्पक्ष उच्च अधिकारी से करवाने की मांग की है। साथ ही लिखा है कि यदि समय रहते मुलजिमानों की गिरफतारी नहीं की जाती है तो वे उसे व उसके परिवार को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचा सकते है।