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गहरे पानी पैठ -2- क्या है लाडनूं आर्यसमाज के चुनावों की असलियत? पर्दे के पीछे छिपी घिनौनी साजिश, चुनाव के लिए चलाए ताम-झाम, आर्य समाज में कालू का क्या काम? पद व सम्पति पर काबिज होने के लिए बना डाले मनचाहे सदस्य, सदस्यों की लम्बी लिस्ट से पद व व संगठन हथियाने के कुत्सित प्रयास, कुछ मेम्बर केवल चुनाव के दिन ही दिखाई देते हैं, फिर कभी नहीं

गहरे पानी पैठ -2-

क्या है लाडनूं आर्यसमाज के चुनावों की असलियत? पर्दे के पीछे छिपी घिनौनी साजिश,

चुनाव के लिए चलाए ताम-झाम, आर्य समाज में कालू का क्या काम?

पद व सम्पति पर काबिज होने के लिए बना डाले मनचाहे सदस्य, सदस्यों की लम्बी लिस्ट से पद व व संगठन हथियाने के कुत्सित प्रयास, कुछ मेम्बर केवल चुनाव के दिन ही दिखाई देते हैं, फिर कभी नहीं

जगदीश यायावर। लाडनूं (kalamkala.in)। आर्य समाज लाडनूं के पास आज करोड़ों की सम्पति है, लेकिन आर्य-विचार, वैदिक नियम-सिद्धांत आदि और वैदिक प्रचार-प्रसार के कार्यक्रमोें को ताक पर रख दिया गया है। हां, केवल एक यज्ञ की निमितता अवश्य बनी हुई है। आर्यसमाज के तथाकथित पदाधिकारी और सदस्यों के लिए भी यह जरूरी नहीं रहा कि वे आर्य समाज की दी हुई गाइड लाईन के अनुसार अपने जीवन को चलाएं। बल्कि उसके विरूद्ध मूर्तिपूजा, मंदिरों के चक्कर लगाने, घरों में मृत्युभोज करने, दहेज लेने-देने वाले, जर्दा-पान खाने और नशाखोरी करने वालेे ही नहीं बल्कि मांसाहारी और नमाज पढनेे-रोजा रखने वाले तक यहां आसानी से सदस्य बन सकते हैं और पदाधिकारी तक बन सकते हैं।

कब होगा कालू मोहम्मद का शुद्धिकरण?

आपको जानकर हैरत होगी कि इस आर्य समाज संस्थान का एक सम्मानित सदस्य ‘कालू पुत्र मो. हुसैन’ भी है। सब्जी बेचने और आर्य समाज मंदिर में सब्जी आदि रख कर आर्य समाज भवन का खुलेआम दुरूपयोग करनेे वाला यहां सदस्य है। अगर देखा जाए तो वह व्यक्ति एक दिन भी आर्य समाज के दैनिक यज्ञ या साप्ताहिक यज्ञ, सत्संग आदि में सम्मिलित नहीं हुआ, उसका शुद्धि-संस्कार नहीं किया गया और नाम बदलने के साथ धर्म परिवर्तन नहीं करवाया गया, तबकि यह अति आवश्यक था। अगर ऐसे ही कोई ऐरा-गैरा आर्य समाज का सदस्य बन जाएगा, ता फिर आर्य समाज को खुर्दबुर्द होने में अधिक समय नहीं लगेगा। आर्यसमाज में शुद्धिकरण के पश्चात ही प्रवेश हो सकता है, इसक बिना बिल्कुल नहीं। लकिन स्थानीय आर्य समाज के पदाधिकारी किस सोच के धनी है, यह कुछ भी समझ में नहीं आता।

आखिर कौन थे हवन-कुंड में मानव-मल फेंकने वाले?

आर्य समाज मंदिर में एक वृहद् यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रांगण में अनेक यज्ञवेदियां बनाई जाकर उनमें हवन मंत्रों के साथ आहुतियां दी गई थी। कुछ ही दिनों के भीतर उन पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने उन पर मानव-मल लाकर फेंक दिया और उन्हें अपवित्र कर दिया। यह विधानसभा चुनावों से ठीक पहले होने के कारण इस वारदात को पुलिस द्वारा दबा दिया गया। इस वारदात करने वाले केे फोटो सीसी टीवी में भी संभवतः कैद हुए, लेकिन सभी को दबा कर समाप्त कर दिया गया। इस घिनौनी वारदात की रिपोर्ट ओमदास स्वामी ने स्वयं पुलिस थाना लाडनूं का देकर प्रकरण दर्ज करवाया था। निश्चित ही इस वारदात में शामिल व्यक्ति एक से अधिक थे। किसी अकेले व्यक्ति की हिम्मत ऐसी नहीं हो सकती। आर्य समाज के एक शताब्दी के इतिहास में कभी ऐसी घिनौनी हरकत नहीं हुई। अगर अनास्था रखने वाले और यज्ञ से घृणा पालने वाले लोग ही ऐसा कर सकते हैं। इसके बावजूद आर्यसमाज के नियमों, सिद्धांतों, मान्यताओं से अनास्था रखने वाले और विपरीत आचरण करने वाले लोगों तक को केवल पद-लाभ की पूर्ति करने के लिए सदस्य बनाया जाता रहा, तो स्वार्थवश जुड़ने वाले ऐसे लोगों से किसी को व्यक्तिगत लाभ अवश्य पहुंच सकता है, लेकिन आर्य समाज का कोई लाभ नहीं होगा और महर्षि दयानन्द के मिशन को सिवाय नुकसान के कुछ नहीं मिलने वाला है।

क्या सभी सदस्य जानते हैं कि आर्यसमाज क्या है?

आर्य समाज के सदस्यों में दिनेश गोदारा, हणमान राम भाकर, गुप्ताजी (बिना नाम के) आदि भी सदस्य बनाए गए हैं, वे कहां के रहने वाले हैं, कभी आर्य समाज से जुड़े रहे हैं या नहीं, लाडनूं आर्य समाज में इनकी भूमिका क्या रही और वैदिक सिद्धांतों, नियमों, मान्यताओं के प्रति दनके विचार क्या हैं? इस बारे में बिना कोई जानकारी ही सदस्य बना डाले। केवल रसीदें काटे जाना ही आर्य समाज का सदस्य बनना नहीं होता, बल्कि आर्य समाज का सदस्य बनने के लिए नैतिकता, वैदिक धर्म केे प्रति प्रतिबद्धता, श्रेष्ठ गुणों का समावेश आदि का होना जरूरी है। लेकिन, जो कुल कितने वेद हैं, संख्या तक नहीं बता सकते और सब वेदों के नाम तक नहीं बता सकते, नियमों की कोई जानकारी नहीं रखते, वे भी अगर आर्य समाज के सदस्य बन जाते हैं, तो इससे अधिक शर्मनाक स्थिति क्या होगी?

आर्य समाज में कौन शामिल हो सकता है?

आर्य समाज की सदस्यता उन व्यक्तियों के लिए होती है, जो आर्य समाज के मूल सिद्धांतों को अपनाते हैं और इसके मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आर्य समाज की सदस्यता उन सभी के लिए खुली है, जो आर्य समाज के दस सिद्धांतों में विश्वास करते हैं। इसमें लिंग, वर्ग, जाति, राष्ट्र या देश के कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन जरूरी है कि सदस्य धार्मिक मान्यताओं, आस्थाओं, अवधारणाओं को स्वीकार करे। आर्यसमाज के 10 नियमों को माने, हवन-सत्संग, संध्योपासना आदि का पालन करे। आर्य समाज में शामिल होने का आसान तरीका है कि आर्य समाज में जाकर वहां आचार्य या पुरोहित से आर्य समाज, वैदिक धर्म, वैदिक अवधारणाओं, वैदिक हवन और वैदिक सत्संग के बारे में जानकारी लें। फिर रविवार की सुबह होने वाले कुछ साप्ताहिक हवन या सत्संग में भाग लेें। फिर कभी वैदिक यज्ञ या वेद आरंभ संस्कार यज्ञ में पवित्र वैदिक समारोहों के साथ वैदिक जीवन से परिचित होकर यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करें। आर्यसमाज का सदस्य बनने के बद भी वह आर्य-सभासद् नहीं हो सकता। इसके लिए अन्य नियम लागू होते हैं। केवल आर्य सभासद् ही आर्य समाज का पदाधिकारी बन सकता है और चुनाव में भाग ले सकता है। किसी मुस्लिम को आर्य समाज में शामिल करने के लिए उसकी शुद्धि करवानी जरुरी होती है , फिर उसको परखने के बाद ही सदस्य बनाया जा सकता है।

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