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जसवंतगढ में बिना ढोल-बाजे, डीजे, घोड़ी के बिना पूर्ण सादगी से हुई शादी बनी चर्चा का विषय, शेख सनाबिली ने कहा, समाज मे कम खर्चीली व इस्लामिक शादियों का प्रचलन बढ़ाना जरूरी

जसवंतगढ में बिना ढोल-बाजे, डीजे, घोड़ी के बिना पूर्ण सादगी से हुई शादी बनी चर्चा का विषय,

शेख सनाबिली ने कहा, समाज मे कम खर्चीली व इस्लामिक शादियों का प्रचलन बढ़ाना जरूरी

लाडनूं (अबू बकर बल्खी)। निकटवर्ती कस्बे जसवंतगढ़ में बिना दहेज के एवं सादगी से हुए एक निकाह को लेकर क्षेत्र में चर्चा बनी हुई है। यहां बीदासर से आई हुई बारात में घोड़ी, बैंड बाजा, डीजे आदि और नाच-गाना बिल्कुल ही नहीं था। ग्रामीणों ने इस पूर्ण सादगी के साथ रचाई गई शादी की पहल का स्वागत किया है। इसमें मोहम्मद मुगल पुत्र अब्दुल अजीज निवासी बीदासर की शादी शाहीन बानो पुत्री मोहम्मद फारूक निवासी जसवंतगढ़ के साथ इस्लामिक रीति रिवाज से संपन्न हुई। दूल्हा मोहम्मद मुगल बारात में पूर्ण सादगी के साथ आया व दहेज जैसी सामाजिक कुरीति का त्याग करते हुए ‘दहेज नहीं दुल्हन ही धन है’ के नारे को सार्थक बनाया। सादगी के साथ रचाई गई इस अनोखी शादी पर दूल्हा व दुल्हन के परिवार को लोगों ने ढेरों बधाईयां दी। इस शादी में दूल्हा व दुल्हन का निकाह शेख मोहम्मद इशहाक सनाबिली ने करवाया। इस दौरान निकाह के खुतबे में शेख ने इस्लामिक रिवाज से होने वाली कम खर्चीली शादियों का प्रचलन बढाने के लिए आमजन को जागरूक किया। उन्होंने निकाह को आसान करने व दुल्हन के परिवार पर फालतू खर्चे का बोझ नहीं डालने की सलाह दी, ताकि समाज मे अमीर और गरीब के भेदभाव को मिटाया जा सके।

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