लाडनूं में मंदिर माफी की भूमि को राजकीय किए जाने बाबात तहसीलदार ने किया मुकदमा पेश,
ईओ सहित 46 जनों को पार्टी बनाकर पाबंद करने की मांग
लाडनूं। सहायक कलेक्टर न्यायालय के समक्ष तहसीलदार ने एक वाद प्रस्तुत करते हुए स्थानीय शहरिया बास स्थित बाबा रामदेव के प्राचीन मंदिर की भूमि के सम्बंध में चल रहे विवाद में निर्णय पारित करते हुए इस मंदिर माफी की डोली की भूमि को सरकारी भूमि घोषित करने की मांग की है। इस सम्बंध में उन्होंने सहायक कलेक्टर एसडीएम के समक्ष राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 व 188 एवं 212 आरटी एक्ट के तहत 46 जनों को पक्षकार बनाते हुए नगर पालिका के ईओ सहित धोकलसिंह, रणजीत खां, मुकनसिंह, लादू खां, जस्सू खां, भंवरू खां, उम्मेदसिंह, चांद खां की संततियों को अप्रार्थी के रूप में सम्मिलित किया है। इसमें तहसीलदार ने लिखा है कि खसरा नं. 689 की 3.8283 हैक्टेयर एवं खसरा नं. 742 की 4.2330 भूमि, जो किस्म बारानी की हे, वह खातेदारी अप्रार्थीगण के नाम से अंकित हैं। इस सारी भूमि मंदिर माफी भूमि के रेफरेंस का जमाबंदी में अंकन भी है, जो अपेक्षित है। इस भूमि का उपयोग आवासीय, प्लाॅटिंग करने एवं अन्य रूप में अकृषि भूमि के रूप में अप्राथीगण कर रहे हैं। सरकार को इसमें रूपांतरण से होने वाली आय से वंचित किया गया है। यह भूमि नगर पालिका के पैराफरी क्षेत्र में आती है। तहसीलदार ने इस समस्त भूमि की खातेदारी समाप्त करते हुए इसे राजकीय भूमि के रूप में दर्ज करवाने की मांग की है। साथ ही समस्त अप्रार्थीगण को बिना भूमि का विधिवत रूपांतरण करवाए बिना नहीं बेचे जाने और किसी अन्य के माध्यम से बेचान नहीं करवाए जाने के लिए पाबंद करने की मांग भी न्यायालय से तहाीलदार ने की है। एसडीएम ने इसप्रकरण को दर्ज करके इसकी सुनवाई सुनिश्चित की है।