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लाडनूं के अस्पताल के सामने बनी ड्राईवरों के बीच झगड़े की स्थिति, प्रशासन का सचेत रहना जरूरी, जयपुर से आए एम्बुलेंस चालकों ने स्थानीय एम्बुलेंस वालों की छीनी रोजी-रोटी

लाडनूं के अस्पताल के सामने बनी ड्राईवरों के बीच झगड़े की स्थिति, प्रशासन का सचेत रहना जरूरी,

जयपुर से आए एम्बुलेंस चालकों ने स्थानीय एम्बुलेंस वालों की छीनी रोजी-रोटी

लाडनूं (kalamkala.in)। यहां तीन प्रमुख अस्पताल बिलकुल पास-पास में ही स्थित है, जिनमें राजकीय उपजिला चिकित्सालय, डा. एमएन घोड़ावत होस्पिटल और पूनिया नर्सिंग होम शामिल हैं। इनमें सबसे प्रमुख अस्पताल राजकीय चिकित्सालय है, जहां से प्रतिदिन अनेक मरीजों को रैफर किया जाता है। यहां से रैफर होने वाले मरीजों को उच्च चिकित्सार्थ अधिकतर जयपुर ले जाया जाता है। सीकर और बीकानेर भी मरीजों को पहुंचाया जाता है। इस कार्य के लिए यहां सरकारी एम्बुलेंस गाड़ियों के अलावा निजी एम्बुलेंस वाहन भी काफी लम्बे समय से कार्यरत हैं। अब कुछ महिनों से इस कार्य में जयपुर से आने वाली एम्बुलेंस गाड़ियों ने दखलंदाजी शुरू कर दी है। जयपुर से डेड बाॅडी को लेकर आने वाली एम्बुलेंस गाड़ियां यहां लाडनूं में इन चिकित्सालयों के पास पहुंच जाती है और यहां से रैफर किए मरीजों को आधी कीमत पर वापस लेकर चली जाती है। इस प्रकार उन्हें डबल किराये का लाभ मिल जाता है। इधर यहां के स्थानीय एम्बुलेंस चालक अपनी गाड़ियां लेकर खड़े ही रहते हैं, उन्हें किराया नहीं मिल पाता। जयपुर से आने वाली एम्बुलेंस गाड़ियों के लिए आना-जाना फायदे का काम होने से वे दोनों तरफ से किराया वसूल कर लेते हैं और यहां के चालकों की रोजी-रोटी मार लेते हैं। इस कारण स्थानीय एम्बुलेंस चालक चिंताजनक हालत में हैं और आएदिन जयपुर व लाडनूं के एम्बुलेंस वालों के बीच झगड़े की स्थितियां बन रही है। गौरतलब है कि लाडनूं में प्राईवेट एम्बुलेंस 8 से 10 करीब हैं, जो प्रतिदिन यहां राजकीय चिकित्सालय और आसपास में ही खड़ी रहती है। यहां के निजी एम्बुलेंस चालकों ने इस हालत से स्थानीय प्रशासन को अवगत भी करवाया है और अपनी रोजी-रोटी छीन लेने पर चिंता जताई है, लेकिन कई बार अवगत करवाने के बावजूद इसका कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है। जयपुर से आई हुई बाहरी एम्बुलेंस वाहनों के कर्मियों ने यहां कई महीनों से जमावड़ा बना रखा है। इस सम्बंध में पुलिस और प्रशासन को पुख्ता बंदोबस्त करने चाहिए, अन्यथा परस्पर रोजमर्रा का झगड़ा कभी बड़ा रूप भी ले सकता है। अस्पताल प्रशासन को भी इसको लेकर सचेत रहना चाहिये।

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