मां का पद बहुत गरिमामय होता है, वह विपतियों में ढाल बनती है- बंसल,
लाडनूं में मातृशक्ति सम्मेलन आयोजित
लाडनूं (kalamkala.in)। विद्या भारती सम्बद्ध विद्यालय आदर्श विद्या मंदिर, लाडनूं में बुधवार को मातृ-शक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में विद्या भारती के जोधपुर प्रांत के शिशुवाटिका प्रमुख राजकुमार बंसल ने बताया कि कि बच्चे को माँँ चाहे जैसा ढाल सकती है। बालक अपने परिवार और बडों को देख कर वैसा ही अनुकरण करता है। माँ का पद बहुत ही गरिमामय होता है। बच्चे के सामने जीवन में कोई भी समस्या या विपति आती है, तो मां उसके सामने दीवार बनकर खडी हो जाती है।
महापुरूषों का निर्माण माताओं ने किया
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक अशोक विजय ने कहा कि माता को निर्मात्री कहा गया है। माता का कार्य केवल शरीर बनाना नहीं होता, मां जन्म देने के साथ ही लालन-पालन का भी कार्य करती है। भगवान श्रीराम से लेकर भगवान कृष्ण के निर्माण मंे मां की मुख्य भूमिका रही थी। मां अपने जीवन से बच्चों को मेहनत, निस्वार्थ-भाव, साहस, धैर्य और त्याग की शिक्षा देती है। उन्होंने विद्या मंदिर के विद्यालयों में बालकों में अच्छे संस्कार, अपनी संस्कृति से जुड़ने एवं समाज, देश और मानवता के कल्याण की सोचने की शिक्षा दी जाने के बारे में भी बताया। मुख्य अथिति वंदना भोजक ने कहा कि विद्या भारती के विद्या मंदिर बालकों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों का भी निर्माण करते है। विशिष्ट अतिथि मेरी जैन ने कहा कि मां को प्रथम गुरू भी कहा जाता है। मां को सबसे अच्छा शिक्षक, मित्र, प्रेरक, मार्गदर्शक और रक्षक भी कहा जाता है। मां घर का पूरा कार्य भी संभालने के साथ-साथ विद्यालय में बालकों को शिक्षण देने का कार्य भी करती है।
मां हमेशा प्रेरणादायी रहेगी
मातृ सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए दुर्गा गुर्जर ने कहा कि इतिहास में अनेक महापुरूषों का निर्माण मां द्वारा किया गया है। मां जीजा बाई द्वारा छत्रपति शिवाजी का निर्माण जैसे अनेक उदाहरण मिलते है। माँ सूर्योदय के पूर्व से लेकर रात्रिकाल तक लगातार परिवार के लिए अथक परिश्रम करती है। वह कभी थकती नहीं है, इसलिए हमारे लिए हमेशा प्ररेणादायी है। डीडवाना जिला संघचालक रामावतार सर्राफ ने बताया कि माँ रूपी महासागर में समस्त विश्व समाया हुआ है। इस अवसर पर प्रबंध जिला समिति के अध्यक्ष रामेश्वरलाल सूंठवाल, समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बैद, कोषाध्यक्ष पदमचंद जैनाग्रवाल, व्यवस्थापक नन्दलाल शर्मा, कार्यकर्ता कैलाश घोड़ेला, प्रधानाचार्य रमेश कुमार गौड़, अमित गुर्जर, गिरधारीलाल पारीक, नंदलाल वर्मा, मुरलीमनोहर टाक के अलावा आचार्या दीदी एवं मातृशक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्राथमिक स्तरीय प्रधानाध्यापिका सरिता राजपूत ने किया। अंत में प्रबंध समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बैद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।