भाजपा में बड़े बदलाव की तैयारी, 20 बीजेपी जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है, मोर्चा-प्रकोष्ठ में भी होगी पदाधिकारियों की छुट्टी, सता-वापसी के लिए होंगे सांगठनिक परिवर्तन,
अनेक ने की टिकट की आस में पद छोड़ने की पेशकश, संभव है कि टिकट नहीं मिले और पद भी चला जाए, जानें कौन-कौन हैं ये जिलाध्यक्ष,
राज्य में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है भाजपा की दृष्टि, पार्टी की मजबूती के लिए जिला, मंडल और बूथ स्तर पर कार्यक्रम शीघ्र
जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर जिला मोर्चा और प्रकोष्ठ स्तर के जरूरी फेरबदल करने के निर्देश दिए हैं। बीजेपी के 44 संगठनात्मक जिलों में से 20 जिलाध्यक्ष जल्दी ही बदले जा सकते हैं। चुनाव के लिए बचे अल्पसमय को देखते हुए सभी विधानसभा क्षेत्रों में पूरी तरह एक्टिव होकर बीजेपी नेता उतरना चाहते हैं। अब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी अपने मिशन-2023 की तैयारियों में जुट गई है और संगठन में बड़े बदलाव की तैयारी भी शुरू हो गई है। भाजपा का प्रदेश नेतृत्व 14 जिलाध्यक्षों और कई मोर्चा-प्रकोष्ठों की छुट्टी कर सकता है।
चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ सकते हैं अनेक जिलाध्यक्ष
बताया जा रहा है कि जो जिलाध्यक्ष चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उनमें से कई लोगों ने खुद पार्टी नेतृत्व को पद छोड़ने और किसी और को जिलाध्यक्ष का पद सौंपने की पेशकश की है। बीजेपी हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व में इस पर चर्चा हो चुकी है। विधानसभा चुनाव-2023 और लोकसभा चुनाव-2024 तक प्रदेश में बीजेपी ऐसी टीम तैयार करना चाहती है, जो सक्रिय रहकर सिर्फ संगठन की जिम्मेदारी निभा सके। सूत्रों के मुताबिक ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है, जो विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रखते हों। कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ और पहचान हो। जो अगले दो साल तक चुनाव के दौरान पार्टी के लिए पूरा समय निकाल सकें। इस पर शुरुआती वर्क भी कर लिया गया है। भाजपा का नेतृत्व 15 प्रतिशत नए पदाधिकारी नियुक्त करने जा रही है।
12 से अधिक जिलाध्यक्षों ने स्वयं की पेशकश
जो जिलाध्यक्ष खुद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं या बगावत कर चुनाव में उतर सकते हैं। ऐसे जिलाध्यक्षों का भी फीडबैक जुटाया जा रहा है। ताकि चुनाव से ठीक पहले पार्टी संगठन को स्ट्रेटेजिकली नुकसान ना हो। संगठन और कार्यकर्ताओं पर पकड़ बनाने का समय भी नए जिलाध्यक्षों को मिल सके। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने शेखावाटी से चुनावी शंखनाद भी कर दिया है। अब जल्द ही प्रत्येक संभाग में जिला, मंडल और बूथ स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कवायद शुरू कर दी है। इस बीच 12 से अधिक जिलाध्यक्षों ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने की पेशकश की है। चर्चा है कि इनमें कुछ नाम ऐसे हैं, जिन्हें टिकट मिलने के कोई आसार नहीं है। जिससे ऐसा लगता हैे कि इन नेताओं को विधायक का टिकट भी नहीं मिलेगा और पार्टी का पद भी चला जाएगा।
ये जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं
जयपुर शहर जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। अलवर उत्तर और दक्षिण में से एक जिलाध्यक्ष को पद मुक्त किया जा सकता है। दौसा में नया जिलाध्यक्ष लगाया जाएगा। सवाईमाधोपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर देहात, चूरू, टोंक, सीकर, झुंझुनूं, भरतपुर, करौली, भीलवाड़ा, अजमेर, जोधपुर, बाड़मेर, सिरोही, कोटा, करौली, धौलपुर, उदयपुर में भी जिलाध्यक्ष बदलने को लेकर पार्टी संगठन ने एक्सरसाइज की है। जिलाध्यक्षों के खुद के आवेदन, विधायक टिकट की सम्भावनाएं, अब तक की परफॉर्मेंस, कार्यकर्ताओं, पार्टी नेताओं और पब्लिक से मिले फीडबैक, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह पूरी कवायद की जा रही है। नए जिलाध्यक्ष के चेहरों पर भी संगठन में एक राय बनाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया जल्द ही प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह से जिलों में बदलाव की सूची पर चर्चा कर सकते हैं।
दौसा जिलाध्यक्ष रतन तिवाड़ी को कुछ आरोप लगने पर हटाया गया है, उनकी जगह दूसरा जिलाध्यक्ष लगाया जाना है। धौलपुर जिलाध्यक्ष श्रवण कुमार वर्मा, सवाईमाधोपुर जिलाध्यक्ष डॉ भरत मथुरिया, अजमेर शहर जिलाध्यक्ष डॉ प्रियशील हाड़ा, जोधपुर देहात दक्षिण जिलाध्यक्ष जगराम विश्नोई, जोधपुर देहात उत्तर जिलाध्यक्ष मनोहर पालीवाल, सिरोही जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, उदयपुर शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, उदयपुर देहात जिलाध्यक्ष भंवर सिंह पंवार, बांसवाड़ा जिलाध्यक्ष गोविंद सिंह राव, कोटा शहर जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी, कोटा देहात जिलाध्यक्ष मुकुट बिहारी नागर के नामों पर भी मंथन चल रहा है।
पद छोड़ने की पेशकश करने वाले जिलाध्यक्षों की सूची
पार्टी के जिन नेताओं ने पद छोड़ने की पेशकश की है उनमें सीकर जिलाध्यक्ष इंद्रा चैधरी, चूरू जिलाध्यक्ष धर्मवीर पुजारी, झुंझुनू जिला अध्यक्ष पवन कुमार मावंड़िया, जयपुर शहर जिलाध्यक्ष राघव शर्मा, जोधपुर शहर जिलाध्यक्ष देवेंद्र जोशी, बीकानेर देहात जिलाध्यक्ष ताराचंद सारस्वत, अजमेर देहात जिलाध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा, अलवर दक्षिण जिलाध्यक्ष संजय सिंह नरूका, अलवर उत्तर जिलाध्यक्ष बलवान सिंह यादव, भरतपुर जिला अध्यक्ष शैलेश सिंह, बाड़मेर जिला अध्यक्ष आदूराम मेघवाल, भीलवाड़ा जिला अध्यक्ष लादू लाल तेली, करौली जिला अध्यक्ष बृजलाल ढिकोलिया, टोंक जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पराणा के नाम शामिल हैं।
इनमें जयपुर शहर जिलाध्यक्ष राघव शर्मा मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं। मालवीय नगर में बीजेपी के कालीचरण सराफ विधायक हैं। जयपुर देहात उत्तर में जितेंद्र शर्मा, जयपुर देहात दक्षिण में रामानंद गुर्जर जिलाध्यक्ष हैं। अलवर उत्तर जिलाध्यक्ष बलवान सिंह यादव बहरोड़ सीट से टिकट मांग रहे हैं। बहरोड़ से निर्दलीय बलजीत यादव मौजूदा विधायक हैं। अलवर दक्षिण जिलाध्यक्ष संजय सिंह नरूका भी बानसूर से टिकट मांग रहे हैं। बानसूर में कांग्रेस की शकुंतला रावत विधायक हैं। हालांकि बानसूर की सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके अलवर यूआईटी के पूर्व चेयरमैन देवी सिंह शेखावत की भी बीजेपी में मजबूत दावेदारी है। जिन्हें सालभर पहले बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रभारी अरुण सिंह फिर से बीजेपी में जॉइन करवा चुके हैं। बीकानेर देहात जिलाध्यक्ष ताराचंद सारस्वत डूंगरगढ़ से टिकट मांग रहे हैं। यहां से वह पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रह चुके हैं। डूंगरगढ़ में सीपीएम के गिरधारीलाल मौजूदा विधायक हैं। चूरू जिलाध्यक्ष धर्मवीर पुजारी रतनगढ़ या सरदारशहर में से किसी एक सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। रतनगढ़ में बीजेपी के अभिनेष महर्षि विधायक हैं, जबकि सरदारशहर सीट कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन से खाली हुई है। टोंक जिलाध्यक्ष राजेंद्र पराणा भी टोंक सीट से टिकट मांग रहे हैं। टोंक से कांग्रेस के सचिन पायलट विधायक हैं। सीकर जिलाध्यक्ष इंद्रा चैधरी दांतारामगढ़ या लक्ष्मणगढ़ में से किसी एक सीट पर टिकट की दावेदार हैं। दांतारामगढ़ से कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह और लक्ष्मणगढ़ से गोविंद सिंह डोटासरा विधायक हैं। झुंझुनूं जिलाध्यक्ष पवन कुमार मावंड़िया उदयपुरवाटी से टिकट मांग रहे हैं। वहां सैनी समाज के अच्छे वोट हैं। उदयपुरवाटी से कांग्रेस के राजेंद्र सिंह गुढ़ा विधायक हैं, जो बसपा के टिकट से चुनाव जीतकर आए थे। बाद में कांग्रेस पार्टी में मर्ज हो गए। भरतपुर जिलाध्यक्ष डॉ शैलेष सिंह पूर्व मंत्री स्वर्गीय दिगम्बर सिंह के बेटे हैं। जो डीग-कुम्हेर सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं। डीग-कुम्हेर से कांग्रेस के विश्वेंद्र सिंह विधायक हैं। करौली जिलाध्यक्ष बृजलाल मीणा डिकोलिया सपोटरा या टोडा़भीम से चुनाव मैदान में उतरना चाहते हैं। सपोटरा से कांग्रेस के रमेश चन्द मीणा और टोड़ाभीम से पृथ्वीराज (पीआर) मीणा विधायक हैं। भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली मांडलगढ़ या भीलवाड़ा से टिकट मांग रहे हैं। मांडलगढ़ में गोपाल लाल शर्मा और भीलवाड़ा में विट्ठल शंकर अवस्थी बीजेपी के मौजूदा विधायक हैं। अजमेर दक्षिण देहात जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायक देवीशंकर भूतड़ा की ब्यावर से ही विधानसभा टिकट की दावेदारी है। हालांकि ब्यावर में शंकर सिंह रावत मौजूदा बीजेपी विधायक हैं। जोधपुर शहर जिलाध्यक्ष देवेंद्र जोशी सूरसागर से टिकट मांग रहे हैं। सूरसागर से बीजेपी की मौजूदा विधायक सूर्यकांता व्यास हैं। जिनका जन्म 23 फरवरी 1938 का है। व्यास चुनाव तक 85 साल की हो जाएंगी। ऐसे में जोशी ने सीट पर दावेदारी की है। बाड़मेर जिलाध्यक्ष आदूराम मेघवाल चैहटन से टिकट मांग रहे हैं। उन्हें पिछली बार भी बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया था। लेकिन, कांग्रेस के पदमाराम से हार हुई।
सांगठनिक गतिविधियों में निष्क्रियता के भी आरोप
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जिन जिलाध्यक्षों ने पद छोड़ने की पेशकश की है उनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो संगठन की गतिविधियों में सक्रिय नहीं थे। इन नेताओं से पार्टी आलाकमान नाराज थे। निष्क्रियता और नाराजगी के कारण ही पार्टी ने इन्हें पद छोड़ने की नसीहत दी गई थी, ताकि इन पदों पर नई नियुक्तियां की जा सके और पार्टी में कोई विवाद नहीं रहे।
जिला ही नहीं मंडल व मोर्चा-प्रकोष्ठों में भी होंगी नई नियुक्तियां
आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही बीजेपी के संगठन में काफी फेरबदल किया जा सकता है। पार्टी के जिलाध्यक्षों के अलावा कई मंडल अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं। संगठन में पदों पर बैठे निष्क्रिय नेताओं की पार्टी जल्द ही छुट्टी करने वाली है। मंडल, मोर्चों और प्रकोष्ठों का नवीनीकरण करके राज्य में भाजपा की सत्ता वापसी के लिए मार्ग प्रशस्त करने और चुनावी रणनीति तैयार करने की कायद ही है। उम्मीद है कि भाजपा संगठन में नई नियुक्तियां किए जाने से संगठन में सक्रियता बढ़े सकेगी।