अजा-जजा के आरक्षण से वंचित रहे वर्ग को प्राथमिकता से आरक्षण दिया जाने को लेकर रैली निकाली, ज्ञापन सौंपा
डीडवाना/लाडनूं (kalamkala.in)। अनुसूचित जाति-जनजाति के सरकारी नौकरियों व सुविधाओं से वंचित रहे तबके के लोगों ने मिलकर डीडवाना में सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त के निर्णय के समर्थन में विशाल धन्यवाद रैली का आयोजन किया और बाद में जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा। डीएसपी समाज (Deprived Scheduled Caste) की ओर से इस ज्ञापन में अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण के फैसले के अनुसार आरक्षण से वंचित जातियों का वर्गीकरण करके सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार लाभ दिलवाने की मांग की गई है। रैली में बड़ी संख्या में महिलाएं भी सम्मिलित रहीं।
बहुत सी जातियां आज भी आरक्षण लाभ से वंचित हैं
ज्ञापन में बताया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय की 7 न्यायधीशों की पीठ द्वारा (6-1 से) अनुसूचित जातियों के उप वर्गीकरण का फैसला दिया गया है, जिसे लागू कराया जाए।राज्य में राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक हर दृष्टि से कमजोर वाल्मीकि, मेहतर, सांसी, कंजर, नट, ढोली, बाजीगर, सपेरा, मदारी, कालबेलिया, भांड, धानक, कामठ व अन्य वंचित समाज, जिसे राज्य सरकार सर्वे के बाद इसके लिए उपयुक्त समझे, आदि अति पिछड़ी हुई जातियां है, जिनके साथ अधिकतर छुआछूत, जातीय उत्पीड़न, मारपीट, हत्या, बतात्कार आदि की घटनाएं होती रहती हैं। अतः इनका सर्वे करवाकर इनको सम्मिलित रूप से एससी के कुल आरक्षण में से 50% आरक्षण दिया जाए और शेष बचे 50% आरक्षण में, (उपवर्गीकरण के बाद शेष SC की उपजातियों एवं उपवर्गीकरण में चयनित वंचित उपजातियों), दोनों को, इस शेष बचे 50% आरक्षण में (सम्पूर्ण SC जातियों) के लिए समान अवसर रखे जाएं। साथ ही, उपवर्गीकृत उपजातियों के लिए आरक्षित किसी पद पर यदि उम्मीदवार ना हो तो नियमानुसार निर्धारित अवधि तक फेरी फॉरवर्ड करने के बाद, SC में से उपवर्गीकृत किये गये SC क्रीमीलेयर केटेगरी से उन पदों को भरा जाए। SC की कुछ जातियों का आरक्षण में तो उपवर्गीकरण करें, किन्तु शेष जातियों को क्रीमीलेयर बताकर उन्हें इस वर्ग से बाहर नहीं करें, बल्कि उन्हें उसी वर्ग में रखते हुवे, उपवर्गीकृत जातियों की खाली सीटों का एक निर्धारित समय सीमा के बाद लाभ, इन्हें मिलना चाहिए और किसी भी स्थिति में वे सीटें सामान्य वर्ग को हस्तांतरित नहीं होनी चाहिए।
राजकीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन हो
ज्ञापन के अनुसार सर्वे के लिए राज्य सरकार को एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन करवानी चाहिए, जिसमें राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के समस्त वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य (भले किसी की भी सरकार में रहे हों) और राज्य अनुसूचित जाति आयोग के वर्तमान व पूर्व केवल उपाध्यक्ष (जोकि स्वच्छकार वर्ग से, भले किसी की भी सरकार में रहे हों) एवं घुमंतू बोर्ड के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष व उपाध्यक्ष (भले किसी की भी सरकार में रहे हों) तथा अन्य (वंचित वर्गों से सम्बन्धित संगठन, ट्रेड यूनियन के एक-एक प्रतिनिधि) जिसे सरकार योग्य समझे को सम्मिलित कर कमेटी बनाकर एक माह के भीतर उनसे सर्वे करवाकर, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार SC जाति में उपवर्गीकरण करवाएं। इस कमेटी में एससी आयोग के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष को नहीं लिया जाये, क्योंकि SC आयोग के अध्यक्ष पद पर सदैव एससी की सक्षम जाति के ही व्यक्ति रहे हैं।
संवैधानिक प्रावधानों की पालना हो
ज्ञापन में बताया गया है कि अनुसूचित जाति वर्ग में कई उपजातियां हैं, जिनका जीवन यापन, पद्धति अलग-अलग हैं, उनमें आपस में वैवाहिक सम्बन्ध भी नहीं होते हैं, उनके बीच रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं है, इसलिए उन्हें समरूप नहीं कहा जा सकता। सी.जे.आई. डी.वाई. चंद्रचूड़ द्वारा भी अनुसूचित जातियों को एक समरूप वर्ग नहीं माना है। संविधान के अनुच्छेद 16(4) व अनुच्छेद 46 राज्य सरकार को इन जातियों के पिछड़ेपन का उन्मूलन करने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करता है, जिसे उपयोग कर राज सरकार को यह पुनीत कार्य करना चाहिए।अनुच्छेद 341 व 342 अनुसूचित जाति व जनजाति को क्रमशः केवत परिभाषित करता है। अनुच्छेद 341(1) में वर्णित किया गया है कि राष्ट्रपति, राज्य या संघ शासित किसी राज्य के राज्यपाल से विचार विमर्श करके लोक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जातियों की सूची जारी कर सकते हैं। अतः इस कमेटी द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंप कर उन्हें यथास्थिति से अवगत करवाते हुवे राष्ट्रपति से विचार-विमर्श कर उपवर्गीकरण हेतु लोक अधिसूचना जारी करवाई जाए।
इन सबने दिए ज्ञापन
इस ज्ञापन की प्रतियां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, राजस्थान के राज्यपाल, सभी राज्यसभा एवं लोकसभा के सांसदों, केबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, उपराज्यमंत्री व विधायकों के साथ राजस्थान के गृह मंत्री को भी भेजी गई है। ज्ञापन देने वालों में ईश्वर राम मेघवाल एडवोकेट, ताराचंद सांगेला, तनवीर वाल्मीकी, चेनाराम, भंवर लाल वाल्मीकि, रोहित पड़ीहार, नेमाराम भानावत, गंगा राम रेगर कैलाश चाँवरिया आदि शामिल थे।