जमीनें हड़पने का जोरदार तरीका, लगाया सरकार को करोड़ों का चूना,
तहसीलदार, कलेक्टर और रेवेन्यू बोर्ड के फैसलों के बावजूद रचा फर्जीवाड़ा और राजकीय घोषित भूमि का किए फर्जीवाड़े से बेचान
लाडनूं (अबू बकर बल्की, पत्रकार)। तहसील के ग्राम भरनावा में फर्जी दस्तावेज बनाकर राजगामी भूमि का बेचान करने के मामले में एक शिकायत हुई है। प्रार्थी हरीराम पुत्र हड़मानाराम बुरड़क निवासी भरनावां ने यहां तहसीलदार गौरव पूनिया के समक्ष इस बाबत ज्ञापन सौंपकर बताया है कि सरहद भरनावां में पुराने खेत खसरा नंबर 44 रकबा 18 बीघा 13 बिस्वा व खसरा 44/190 रकबा 1 बीघा दो बिस्वा, कुल 19.15 बीघा भूमि, जिसके वर्तमान खसरा नंबर 349, 350, 357, 358/44 के लंबित प्रकरण में भूमि को राजगामी घोषित कर राज्य सरकार के खाते में दर्ज करने का आदेश 27 मार्च 1989 को दिया गया था। इस सम्बंध में प्रथम अपील जिलाधीश नागौर में की गई, जिस पर 9 सितंबर 1991 को अपील खारिज करने का आदेश देकर तहसीलदार का फैसला कायम रखा गया। इसके विरुद्ध न्यायालय राजस्व मंडल अजमेर की निगरानी पेश की गई, जिसमें पारित निर्णय 17 सितंबर 1998 के तहत मूल खसरा नंबर 44, 44/190 को राजकीय संपत्ति घोषित कर राज्य सरकार के खाते में दर्ज करने के आदेश यथावत रखे गए। लेकिन, 2018 में भूमाफियाओं द्वारा मिलीभगत कर राजगामी घोषित भूमि को फर्जी दस्तावेज अपने नाम से बनवाकर बार-बार इस भूमि का बेचान करते हुए राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है। समाजसेवी हरिराम ने तहसीलदार पुनियां को दस्तावेज पेश करते हुए मूल खसरा एवं वर्तमान खसरा को राजस्व मंडल की निगरानी के निर्णय अनुसार उसके वर्तमान खातेदारों के नाम हटाकर भूमि को राजकीय संपत्ति घोषित करवाने की मांग की है। प्रार्थी ने बताया कि बक्षराम के भागुराम व भीयाराम दो ही पुत्र थे। भूमाफिया लक्ष्मणराम, प्रेमाराम व अन्य ने मोटाराम को फर्जी पुत्र घोषित कर भूमि को अपने नाम करवा ली। फिर, इसका बेचान कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। तहसीलदार के आदेश पर पटवारी कृपा शर्मा ने मौका रिपोर्ट तैयार कर तहसीलदार के सुपुर्द की है।
इनका कहना है:
सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से वारिस बनकर बेचान करने का मामला सामने आया है। इस मामले में पटवारी से मौका रिपोर्ट मंगवाई है। एसडीएम को जांच रिपोर्ट पेशकर शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
-गौरव पूनियां (तहसीलदार लाडनूं)