Download App from

Follow us on

मोहनीय कर्म को जीतना ही है परम विजय– आचार्य महाश्रमण, ज्योतिचरण की सन्निधि से पावन बना वडाली जैन तीर्थ, लगभग17 किमी विहार कर गुरुदेव पधारे पानोल

मोहनीय कर्म को जीतना ही है परम विजय– आचार्य महाश्रमण,

  • ज्योतिचरण की सन्निधि से पावन बना वडाली जैन तीर्थ, लगभग17 किमी विहार कर गुरुदेव पधारे पानोल

Vadali, साबरकांठा (गुजरात)। जन मानस में अहिंसा, नैतिकता, व्यसन मुक्ति की प्रेरणा देते हुए अपनी अणुव्रत यात्रा के साथ युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी उत्तर गुजरात की धरा को पावन बनाते हुए निरंतर गतिमान है। पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए कहीं अतिरिक्त चक्कर तो कही समय में विलंब को भी दरनिकार करते हुए करूणासागर आचार्य श्री महाश्रमण अपनी अध्यात्म गंगा से सबको तृप्त करते हुए आगे अहमदाबाद की ओर बढ़ रहे है।

आज प्रातः आचार्य श्री ने तेरापंथ भवन खेड़ब्रह्मा से मंगल विहार किया। श्रावक समाज के निवेदन पर निर्धारित मार्ग से पृथक मार्ग लेकर आचार्यश्री ने अनेकों भक्त जनों के निवास, प्रतिष्ठानों के समक्ष मंगलपाठ प्रदान कर आशीष प्रदान किया। शांतिदूत की यह कृपा देख हर कोई धन्यता की अनुभूति कर रहा था। तत्पश्चात आचार्यश्री वहा से प्रस्थान कर वड़ाली ग्राम में पधारे। शांतिदूत का सान्निध्य प्राप्त कर स्थानीय जैन समाज जयघोषों से हर्षाभिव्यक्ति कर रहा था। आचार्य प्रवर ने वहां जैन स्थानक में पगलिया कर मंगल आशीष से उन्हें कृतार्थ किया। लगभग 12 किमी विहार कर पूज्य गुरुदेव वड़ाली जैन तीर्थ में प्रवास हेतु पधारे। मध्यान्ह में पुनः लगभग 05 किमी का विहार कर गुरुदेव का पानोल की एवरग्रीन पब्लिक स्कूल में पधारना हुआ।

मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा– दुनिया में जय की भी बात होती है व पराजय की भी बात होती है। जय–पराजय चुनाव में, युद्ध में व न्यायालय दोनों में धटित होती रहती है। अकेला योद्धा दश लाख योद्धाओं पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर यह मात्र विजय है, परम विजय नहीं। अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर लेना व उससे जीत लेना परम विजय है। सरल कार्य करना कोई विशेष बात नहीं पर क्रोध, झूठ, कषाय जैसी दूर्वृत्तियो से बचना कठिन है। व्यक्ति को कठिन मार्ग का चयन करना चाहिए।

गुरुदेव ने आगे कहा कि क्षमा वीरों का आभूषण होता है। हम समता के पथ पर आगे बढ़े। समता का पथ राजपथ है। आत्मा पर कषायों का जो साम्राज्य स्थापित हो गया है उससे हमें मुक्त होना है। भगवान महावीर ने कितनी कठिन साधना की तब उन्हें परम विजय प्राप्त हुई। हमें भी मनुष्य जन्म मिला है व जैन शासन का सुखद साया भी मिला है। इस जीवन में समता, संयम व तप की बात पर पूरा बल दिया गया है। हम मोहनीय कर्म को जीतने का प्रयास करे तो परम विजय को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकते है।

स्वागत के क्रम में श्री फूलचंद छाजेड़, वडाली तीर्थ के ट्रस्टी श्री राजेश भाई मेहता, युवक रत्न श्री अशोक भाई, श्री शंकरलाल पितलिया, पायल छाजेड़, प्रिया छाजेड़, अंश छाजेड़ ने अपने विचार रखे। छाजेड़ परिवार की बहनों ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने स्वागत में प्रस्तुति दी।

आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए–
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।

Share this post:

खबरें और भी हैं...

अपनी कमाई और ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगाकर परिवार को उन्नति के लिए आगे बढाएं- खर्रा,  शहीद मांगू राम खर्रा की 26वीं पुण्यतिथि पर स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने की शिरकत 

Read More »

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

We use cookies to give you the best experience. Our Policy