आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा,
बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविश्वविद्यालय में हुए सेमिनार में 1200 शोधार्थी रहे शामिल
लाडनूं (kalamkala.in)। इंडियन पाॅलिटिकल साईंस एसोसिएशन (आईपीएसए) द्वारा प्रायोजित एवं महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर, सहायक आचार्य डॉ. रवींद्र सिंह राठौड़ तथा सहायक आचार्य डॉ. लिपि जैन ने सहभागिता निभाई। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी में देश-विदेश से आये करीब 1200 शोधार्थियों ने भाग लिया तथा अनेक विद्वानों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। सेमिनार की अध्यक्षता आईपीएसए के अध्यक्ष प्रो. गीतांजली दास ने की तथा सेमिनार आयोजक सचिव जनरल सेक्रेटरी प्रो. संजीव शर्मा थे।
महिला सशक्तिकरण पर प्रभावी पत्रवाचन
इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह ने ‘दक्षेश: निर्माण प्रक्रिया का विश्लेषणात्मक अवलोकन’ विषय पर पत्रवाचन किया तथा दक्षेश के निर्माण की प्रक्रिया के विविध पक्षों को रेखांकित करते हुए इसकी स्थापना एवं लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। सहायक आचार्य डॉ. रवींद्र सिंह राठौड़ ने ‘भारत में ग्रामीण महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण: विकसित भारत के संदर्भ में’ विषय पर प्रस्तुतीकरण देते हुए कहा कि विश्व में महिला सशक्तिकरण को देखते हुए भारत में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए महिलाओं का सशक्त होना आवश्यक है, तभी 2047 का विकसित भारत संभव है। विभाग की सहायक आचार्य डॉ. लिपि जैन ने ‘महिला सशक्तिकरण: मजबूत राजनीतिक समाज की क्षमता को उन्मुक्त करने के लिए उत्प्रेरक संकेतक’ विषयक प्रस्तुति दी तथा बताया कि विकसित भारत का स्वप्न तभी साकार किया जा सकता है, जब महिलाओं को सभी क्षेत्र में आगे आने के अवसर दिये जायें तथा उनकी क्षमताओं को आंका जाए। इससे न सिर्फ पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर अपितु राजनीतिक स्तर पर भी विकास के अनेक आयामों को खोजा जा सकेगा।