मंत्र जप से होता है चेतना का केन्द्रीकरण- मुनिश्री रणजीत कुमार, पर्युषण पर्व के छठे दिन ‘जप दिवस’ मनाया

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मंत्र जप से होता है चेतना का केन्द्रीकरण- मुनिश्री रणजीत कुमार,

पर्युषण पर्व के छठे दिन ‘जप दिवस’ मनाया

लाडनूं (kalamkala.in)। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में पर्यूषण पर्व के छठवें दिवस को ‘जप दिवस’ के रूप में मनाया गया। मुनिश्री कौशल कुमार के सान्निध्य में आयोजित ‘जप दिवस’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता मुनिश्री रणजीत कुमार थे। कार्यक्रम में मुनि श्री रणजीत कुमार ने मंत्र जप और उस पर विश्वास से सिद्धि की प्राप्ति के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे भीतर दो प्रकार की शक्तियां हैं- आध्यात्मिक शक्ति और भौतिक शक्ति। आत्मा की शांति के लिए हमें परमात्मा की साधना करनी चाहिए। साधना में जप का अपना महत्व होता है। जप का अर्थ है मंत्र की पुनरावृत्ति। कोई भी व्यक्ति अगर ध्वनि करता है, तो उसकी प्रतिध्वनि हम सुन सकते हैं। जब तक मंत्र के प्रति हममें आस्था व विश्वास नहीं होगा, तब तक हम सिद्धि की प्राप्ति नहीं कर सकते। मंत्र जप में वाचिक, मानसिक और मानस जप प्रधान है। उन्होने जाप को अंतर मन से करने पर जोर दिया और कहा कि इसका प्रदर्शन करना ठीक नहीं है।

मंत्र साधना व सिद्धि प्राप्ति के अनेक प्रयेाग बताए

मुनिश्री रणजीत कुमार ने बताया कि संसार में अनेक प्रकार के मंत्र होते हैं। हर धर्म में मंत्र का अपना मूल्य है। ‘नमस्कार मंत्र’ जैन धर्म का सबसे प्रभावशाली मंत्र है। उन्होंने ‘नमस्कार मंत्र’ को केवल जैन धर्म का ही बल्कि जन-जन के धर्म का मंत्र बताया और कहा कि महामंत्र के साथ बीजाक्षर का प्रयोग होना चाहिए। मंत्र से चेतना का केन्द्रीकरण होता है। उन्होंने मंत्र की सिद्धि के लिए समय और स्थान की महत्ता को परिलक्षित करते हुए मंत्र को साधने के अनेक प्रयोग और मंत्र की संयोजना से सभी को रूबरू करवाया। इस अवसर पर मुनिश्री कौशल कुमार ने गीतिका के माध्यम से नमस्कार महामंत्र के वैशिष्ट्य को प्रस्तुत किया। आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने प्रारम्भ में मुनिद्वय का स्वागत किया व विषय-प्रवर्तन किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बनवारी लाल जैन ने किया। डॉ. अमिता जैन ने अंत में आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में समस्त विद्यार्थी व संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

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Author: kalamkala

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