*आस-पास के खेतों ने किया सीमा विस्तार, हड़पी ‘चनणी नाडी’ की सैंकड़ों बीघा जमीन, चनणी नाडी की बची जमीन में अवैध मिट्टी दोहन,* *राजस्व और खनन विभाग क्यों नहीं लेता संज्ञान, मुश्ताक खान ने उठाई, ‘चनणी नाडी का पूरा सीमा-ज्ञान हो’ की मांग*

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*आस-पास के खेतों ने किया सीमा विस्तार, हड़पी ‘चनणी नाडी’ की सैंकड़ों बीघा जमीन, चनणी नाडी की बची जमीन में अवैध मिट्टी दोहन,*

*राजस्व और खनन विभाग क्यों नहीं लेता संज्ञान, मुश्ताक खान ने उठाई, ‘चनणी नाडी का पूरा सीमा-ज्ञान हो’ की मांग*

लाडनूं (kalamkala.in)। क्षेत्र की सरकारी जमीनों में अतिक्रमण, खनन-दोहन और अन्य अवैध गतिविधियों का संचालन बेधड़क, खुलेआम किया जा रहा है। इस बारे में ‘कलम कला’ अनेक बार खुलासा भी कर चुका, पर ढाक के वही तीन पात’, किसी पर कोई असर नहीं। खनिज विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग के अभाव में अवैध खनन करने वालों के हौसले निरन्तर बुलंद होते हैं। क्षेत्र के नाडी, तालाबों, जलाशयों को खुर्द-बुर्द किया जा रहा है। एक तरफ सरकार परम्परागत जलस्रोतों को संरक्षित करने पर जोर दिया जा रहा है और दूसरी तरह उनमें अवैध खनन, दोहन, अतिक्रमण करके उन्हें नेस्तोनाबूद करने पर लोग तुले हैं। ऐसा ही एक मामला सामाजिक कार्यकर्ता मो. मुश्ताक खान कायमखानी ने उठाते हुए यहां शहरिया बास-विश्वनाथपुरा रोड़ स्थित सार्वजनिक सरकारी संपत्ति ‘चनणी नाडी’ को खेत मालिकों द्वारा अपनी सीमा विस्तार करते हुए नाडी की सैंकड़ों बीघा भूमि को खुर्द-बुर्द करने और बची-खुची को रेत-माफिया बरसों से करोड़ों कमाने के लिए खुदाई और परिवहन कर बेचने में लगे हुए हैं। इस प्रकार दिनों-दिन घटती चनणी नाडी को बचाने के लिए अभियान छेड़ते हुए मो. मुश्ताक खान कायमखानी ने इस बारे में पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चनणी नाडी का सीमा ज्ञान कराने की लम्बे समय से मांग की जा रही है, इस पर राजस्व विभाग को अविलम्ब ध्यान देना चाहिए। इस सरकारी भूमि के चारों और अतिक्रमण धारी काबिज हो रखे हैं। यह जीव-जंतुओं के संरक्षित स्थान होना चाहिए और जनहित में इसे पूर्ण अतिक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए।

यह है चनणी नाडी की जमीन का मामला: बेखौफ अतिक्रमण और मिट्टी-माफिया सक्रिय

शहरिया बास-विश्वनाथपुरा रोड़ स्थित इस सरकारी संपत्ति ‘चनणी नाडी’ में सरकार और प्रशासन की अनदेखी व लापरवाही के चलते मिट्टी का दोहन का कार्य बेखौफ धड़ल्ले से जारी है। यहां मिट्टी का अवैध खनन कर्ताओं द्वारा जेसीबी व ट्रेक्टरों के माध्यम से मिट्टी को वहां से अवैध तरीके से उठाने का काम करने में लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मो. मुश्ताक खान कायमखानी ने बताया कि इस सरकारी सम्पदा चनणी नाडी से अवैध रूप से उठाई जाने वाली मिट्टी को ये अवैध कारोबारी लम्बे समय से मनमर्जी से कीमत तय करके ऊंचे दामों बेच रहे हैं। साथ ही इस सरकारी चनणी नाडी के चारों तरफ आस-पास के खेतों वाले लोग चनणी नाडी पर अवैध अतिक्रमण भी कर लिया है। राजस्व विभाग की यह सैकड़ों बीघा सरकारी सार्वजनिक सम्पत्ति है, जिस पर जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान तक नहीं जाना चिंताजनक है। इन जिम्मेदार अधिकारियों को इसे संज्ञान में लेते हुए आगे आकर इस ‘चनणी नाडी’ का सीमा-ज्ञान कराने की जरूरत है। वर्ष 1990 के आस-पास यह ‘चनणी नाडी’ की सीमा सैकड़ों बीघा थी और देखने पर दूर-दूर तक फैली हुई यह खुली भूमि नजर आती थी, जो आज वर्ष 2025 में करीब 70 से 80 बीघा भूमि नहीं बची है। इसलिए, नियमानुसार पुराना रिकार्ड निकाल कर उसके अनुसार इस सरकारी चनणी नाडी का राजस्व विभाग हित में और जनहित में अति शीघ्र सीमा ज्ञान कराया जाना अति आवश्यक हो गया है। कायमखानी ने बताया की पिछले काफी लम्बे समय से यहां पर अवैध अतिक्रमण व अवैध मिट्टी खनन का कार्य किया जा रहा है। यह एक सार्वजनिक सरकारी संपत्ति है, जहां पर जीव-जंतु विचरण करते हैं। लेकिन इन दिनों यहां अवैध मिट्टी खनन के चलते जगह-जगह गड्ढे पड़े नजर आ रहे हैं।

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Author: kalamkala

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